राजनांदगांव। दिग्विजय कालेज के प्रोफेसर और स्टेट रिसोर्स पर्सन डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने पीटीएस में अतिथि व्याख्यान देते हुए कहा है कि आम नागरिक को नहीं बल्कि अपराधियों को पुलिस का भय होना चाहिए। जनता से दोस्ताना व्यवहार किया जाय तो वह पुलिस को सहयोग जरूर करेगी। आज संपत्ति से ज्यादा ज़िंदगी की सुरक्षा की दरकार है। तरह-तरह की सेवा के मुखौटे लगाकर लगातार घात-प्रतिघात और विश्वासघात करने वालों को बेनकाब करने में पुलिस की भूमिका अगर कारगर रहे तो लोगों में पुलिस और क़ानून के प्रति आस्था बढ़ेगी। इससे पुलिस और जनता के बीच संवाद का रिश्ता मजबूत होगा।
पीटीएस के पुलिस अधीक्षक इरफ़ान उल रहीम खान के कुशल और उत्साहवर्धक मार्गदर्शन में आयोजित पदोन्नति कोर्स के व्याख्यान के प्रारम्भ में कोर्स की समन्वयक इंस्पेक्टर स्वाति मिश्रा ने अतिथि वक्ता डॉ. चंद्रकुमार जैन का परिचय देते हुए उनका आत्मीय स्वागत किया। बाद में डॉ. जैन ने जनता की पुलिस से अपेक्षाओं और उनकी पूर्ति में पुलिस की भूमिका पर पारदर्शी विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सुलझे हुए व्यवहार से ही जनता का विश्वास जीता जा सकता है। पुलिस की कार्य शैली, सामाजिक व्यवस्था एवं संस्कार में तालमेल जरूरी है। कानून सबके लिए है। इसलिए पुलिस को तय करना चाहिए कि किसी निर्दोष को सजा न मिले और दोषी बच कर न निकल जाए। कानून से ही पुलिस को ताकत मिलती है। इसका सदुपयोग होना चाहिए।
डॉ. जैन ने कहा कि अपराधों के इजाफे में समाज की उपेक्षा भी जिम्मेदार है। समाज विरोधी कार्य और व्यापार करने वालों पर पुलिस ही नहीं, समाज का भी नियंत्रण और बहिष्कार का तेवर रहे तो लोगों का मनोबल बढ़ाया जा सकता है। दूसरी तरफ ऐसे धोखेबाज़ लोगों के चंगुल से जनता को मुक्त करना पुलिस का की बड़ी जवाबदारी है। पुलिस का काम जनता को नहीं बल्कि अपराधियों को डराना और जनता का भरोसा हासिल करना है। उसे महसूस कराना होगा कि पुलिस मित्र है। निर्दोषों को पुलिस से काफी उम्मीद रहती है। इस पर पुलिस को खरा उतरना चाहिए। जनता में पुलिस की ईमानदार छवि होनी चाहिए। इससे लोगों में पुलिस के प्रति आदर और सम्मान का भाव होगा। दूसरी तरफ डॉ. जैन ने यह भी कहा कि समाज में बढ़ती अनुशासनहीनता और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार पर परिवार और समाज का भी नियंत्रण होना चाहिए। केवल तभी पुलिस जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगी।
डॉ. जैन ने कहा कि पुलिस कार्य में मानवीय या सीधे सूचना की भूमिका अब कम होती जा रही है। तकनीकी सूचना पर पुलिस काम कर रही है। देखना होगा कि तकनीक का भी गलत उपयोग न हो। पुलिस और जनता के बीच संवाद को पुन: स्थापित करने का एकमात्र उपाय यह है कि बीट पेट्रोलिंग को संवेदनशील बनाया जाये। मीडिया का सकारात्मक सहयोग लिया जाए। अपराधों की शिनाख्त और उनके नियंत्रण तथा ज़ाहिर अपराध करने वालों की सूचना जन हित में पूरी मुस्तैदी से साझा की जानी चाहिए। इस कदम से जनता पुलिस को साथ देने खुद आगे आएगी। व्याख्यान के दौरान डॉ. जैन ने प्रशिक्षण ले रहे बैच के सवालों के ज़वाब भी दिए। अंत में राष्ट्रभक्ति और राजगीत के तराने से उन्हें भावविभोर कर दिया।