देश में कई सालों की गठबंधन राजनीति का समापन करके पूर्ण बहुमत की सरकार लाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अब जल्द ही रुपहले पर्दे पर नजर आने वाले हैं। उनके जीवन पर फिल्म बन रही है पीएम नरेन्द्र मोदी। मोदी की बायोपिक में रामगोपाल वर्मा की खोज कहलाने वाले अभिनेता विवेक ओबरॉय पर्दे पर मोदी अवतार में दिखेंगे। कभी गुजरात में बडऩगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचकर कालांतर में 15 साल तक लगातार सीएम रहने वाले नरेन्द्र मोदी साल 2014 में किस कदर दिल्ली के सरताज बने यह फिल्म जल्द ही उन सारे पलों से हमें रुबरु कराने वाली है।
मोदी जिस लोकप्रियता के साथ करीब 280 सीट जीतकर सवा सौ करोड़ भारतवासियों के नीति निर्माता बने उसी तेजी से देश में मोदी विरोध की राजनीति भी धीरे धीरे खड़ी हुई है। अच्छे दिन आने वाले नारे के साथ जनमत हासिल करने वाले मोदी जिस आंधी के साथ गुजरात से दिल्ली आए थे उसने अब तक कई दौर देख लिए हैं। कई राज्यों में ताबड़तोड़ जीत के बाद जिस कांग्रेस मुक्त भारत की मोदी ने हुंकार भरी थी वह अब मंद हो चली है। 5 राज्यों के चुनाव में यही दिखा। भाजपा खेमे से ही अब कई बार आवाज आती है कि पीएम मोदी का जादू अब पहले जैसे नहींं रहा।
चुनाव में अब सिर्फ कुछ माह ही बाकी हैं और अब व्यापक जनमत के साथ आकांक्षाओं और अभिलाषाओं की भारी जिम्मेदार साढ़े चार साल के बाद नरेन्द मोदी के कंधों पर हैं। उधर नाना प्रकार के घोटालों के सामने आने व अंत में रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के व्यापक जनआंदोलन के कारण केन्द्र से विदा हुआ यूपीए गठबंधन एंटी इनकम्बैंसी के सपने में अपनी सियासी जमीन तलाश रहा है। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने समापन की ओर जा रही कांग्रेस को संजीवनी दी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर मोदी विरोधी तमाम विपक्षी अब और मुखर हुए हैं।
ऐसे में नरेन्द्र मोदी पर बनने वाली फिल्म के लिए उनके अतीत से लेकर वर्तमान तक काफी कुछ बताने और दिखाने को है। कोई शक नहीं कि पीएम मोदी की शख्सियत इस समय भारतीय राजनीति में सबसे ज्यादा उंचाई लिए हुए है। मोदी को हराने के लिए मोदी जैसा उम्मीदवार न होना विपक्ष की दुखती रग है। विपक्ष पर राहुल गांधी, शरद पवार, ममता बैनर्जी, चंद्रबाबू नायडू जैसे क्षत्र पतो कई हैं मगर मोदी जैसा सफलतम सेनापति बिल्कुल नहीं। उधर कुर्ते को बाहों पर चढ़ाकर तीखे तेवर दिखाने के बावजूद राहुल गांधी अपने विस्मरण और संसद में मित्रों से नैनमटक्का और आंख मिचकनी आदत के कारण वे आए दिन मीडिया और सत्तापक्ष के निशाने पर आ जाते हैं। बेशक राहुल गांधी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से लेकर अध्यक्ष बनने तक खुद का काफी विकास किया है मगर उनकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उनके सामने 2019 में मुकाबले के लिए 2014 में नरेन्द्र मोदी की तरह मनमोहन सिंह जैसे सुविधाजनक विपक्षी नहीं हैं। कांग्रेस सदर राहुल गांधी के सामने मोदी जैसे मजबूत और अग्रेसिव लीडर हैं। राहुल भी ये जानते हैं और मानते हैं इसलिए व्यंग्य ही सही मगर खुद कई मंचों से कह चुके हैं कि मोदीजी से मुकाबला करते करते मैं काफी कुछ सीख रहा हूं। वे मोदी के सोशल कैम्पेन से लेकर तमाम राजनीतिक दांव पेंचों को आए दिन आजमाते देखे जा रहे हैं। 2019 लोकसभा चुनाव बताएगा किसने कितने दांव सीखे और कौन कितने दाव भूला।
खैर भारतीय राजनीति की मौजूदा स्थिति के बीच पीएम मोदी फिल्म प्रधानमंत्री मोदी के जीवन के किन किन क्षेत्रों और प्रसंगों को दिखाएगी ये जिज्ञासा का विषय है। फिल्म का निर्देशन सरबजीत और मैरीकॉम जैसी चर्चित बायोपिक बनाने वाले निर्देशक ओमांग कर रहे हैं। फिल्म के निर्माता विवेक ओबरॉय के पिता और सालों तक हिन्दी सिनेमा के चर्चित चरित्र अभिनेता रहे सुरेश ओबरॉय और संदीप हैं। पीएम मोदी फिल्म को देश भर में किस तरह रिलीज किया जाएगा इस बात का ट्रेलर फिल्म के पहले पोस्टर आने पर देश देख चुका है। 23 भाषाओं में इस पोस्टर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के हाथों जारी किया गया है। 2019 चुनाव से पहले यह फिल्म दर्शकों के सामने होगी। जिस तरह से फिल्म ठीक आमचुनाव से पहले आ रही है उससे न चाहकर भी इसे चुनावी फिल्म कहा जा रहा है। फिल्म को पहली फुरसत में क्रिटिक करने वालों का कहना है कि पीएम मोदी के जीवन को सही और संतुलित रुप से दिखाए बिना ये फिल्म पक्की बायोपिक की जगह सिर्फ ब्रांड प्रमोशन फिल्म ही कहला सकती है। निसंदेह बात में दम है। चूंकि पीएम मोदी को पूरे देश और दुनिया भर के लोगों ने पिछले 4 सालों में निरंतर देखा है सो यह फिल्म बहुत बड़ी चुनौती से कम नहीं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म पीएम मोदी के सियासी सफर की सफलताओं और असफलताओं को किस कदर साकार कर पाएगी। ऐसे में जब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर देश दुनिया से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में तमाम बहस हो रही है उस वक्त पीएम मोदी पर फिल्म नयी बहस को जन्म देकर सियासी पारे को गरमा सकती है।
देश जानता है कि पीएम मोदी के साढ़े चार साल की कार्यकाल ने सियासी सफलताओं ने प्रतिउत्तर में विरोधियों को भी लामबंद किया है। ऐसे में मोदी पर बनने वाली फिल्म पर विपक्ष की पैनी निगाह रहेगी।
2019 के लिए मोदी विरोध कर रहे विपक्षी दल इस फिल्म को कैसे लेते हैं देखना दिलचस्प रहेगा। फिलहाल तो मौजूदा प्रधानमंत्री पर फिल्म बनाकर पक्ष विपक्ष सबको प्रतिक्रियाओं के लिए खुली छूट देने वाले कलाकार निर्देशक ओमंग, निर्माता सुरेश ओबरॉय और केन्द्रीय भूमिका के लिए चुने गए विवेक ओबरॉय के साहस और विचार की तारीफ की जानी चाहिए और पीएम मोदी फिल्म बनने से रिलीज होने तक इंतजार करना चाहिए।
विवेक पाठक स्वतंत्र वेबलेखक हैं
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