केंद्र सरकार ने विशेष अनुमति के बगैर पत्रकारों, एनजीओ कार्यकर्ताओं और फिल्म निर्माताओं के जेल में प्रवेश पर रोक लगा दी है। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव कुमार आलोक ने इस सिलसिले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है, इसमें उन्होंने कहा है कि किसी भी पत्रकार, एनजीओ या कंपनी के कर्मचारी को शोध करने, डॉक्यूमेंट्री बनाने, लेख लिखने या साक्षात्कार लेने के लिए जेल में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
हालांकि, यदि कोई फिल्म निर्माता ऐसी डॉक्यूमेंट्री बनाना चाहता है, जिसका समाज पर सकारात्मक असर पड़ेगा, तो उसे प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है। पत्रकारों या किसी अन्य व्यक्ति पर भी यही बात लागू होगी। इस तरह से यदि किसी व्यक्ति को जेल में प्रवेश की इजाजत दी जाती है, तो उसे एक लाख रुपए की जमानत राशि जमा करानी होगी। डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए सिर्फ हैंडी-कैमरा ले जाने की इजाजत होगी। मोबाइल फोन, कागज, किताब या कलम लेकर नहीं जाने दिया जाएगा।
यह फैसला उस वक्त किया गया जब जेल में बंद कैदियों के साक्षात्कार की कई घटनाएं सामने आई हैं, इनमें 16 दिसंबर के बलात्कार की जघन्य घटना को लेकर ब्रिटिश फिल्मकार लेसली उडविन की ओर से बनाई गई डाक्यूमेंट्री भी शामिल हैं। बता दें कि उन्होंने तिहाड़ जेल में बंद इस मामले के एक दोषी के साक्षात्कार के आधार पर यह डॉक्यूमेंट्री बनाई थी।