उदयपुर। निजी उपयोग के लिए झीलों में नाव संचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। झीले सार्वजानिक प्रयोजन की पेयजल प्रदायिनी पर्यावरणीय संरचनाये है। इसमें किसी भी प्रकार का निजीकरण उचित नहीं होगा। वहीं इन झीलों में रेस्क्यू बोट के अलावा चप्पुवाली नावों का ही संचालन किया जाना जाहिए। यह विचार झील मित्र संस्थान,झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रम संवाद में व्यक्त किये गए।
झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि प्रति माह बदलने वाले झीलों के परिवर्तन शील जलस्तर व जल फैलाव को देखते हुए उसी अनुपात में नावों की संख्या तय होनी चाहिए।
झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि डीजल व पेट्रोल चालित मोटर बोट पर प्रतिबन्ध के बावजूद झीलों में इस प्रकार की नावों का संचालन हो रहा है। इसे तुरंत रोकना चाहिए।
डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि तेज स्पीड की बोट से प्रवासी पक्षियों के जीवन पर गंभीर संकट होता है। साथ ही झीलों की अपनी वहन क्षमता के बाहर उनमे विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन बढ़ाना खतरनाक होगा।
संवाद से पूर्व पिछोला झील के अमरकुंड क्षैत्र में झील मित्र संस्थान,झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रमदान द्वारा झील क्षैत्र से शराब की बोतलें , मांस के टुकड़े,पोलिथिन ,नारियल , घरेलु कचरा व जलीय घास निकाली गयी। श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, राम लाल गेहलोत, ललित पालीवाल, शाहनवाज हुसैन,कुलदीपक पालीवाल,नरेंद्र व्यास , अजय सोनी,नितिन सोनी,गरिमा,दीपेश स्वर्णकार,हर्षुल,हरीश पुरोहित,तेज शंकर पालीवाल,डॉ अनिल मेहता व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया ।