Wednesday, December 25, 2024
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राहुल गांधी को न हिंदी आती है और न ही अंग्रेजी!

राहुल गांधी की बातों पर वैसे ज्यादा ध्यान देना उचित नहीं है, क्योंकि उस बेचारे नौजवान को यह ही पता नहीं होता कि वह जो बोल रहा है, उसका मतलब क्या है। उसे न हिंदी आती है और न ही अंग्रेजी!

यदि आप राहुल का भाषण सिर्फ पांच मिनिट सुनें तो उसमें से ऐसे एक-दो वाक्य छांटना भी मुश्किल हो जाएगा, जो व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध हों। राहुल न तो कोई बौद्धिक है, न विचारशील है और न ही कोई खास पढ़ा-लिखा है। उसे हम लोग नेता कह देते हैं, क्योंकि वह कांग्रेस की मालकिन का बेटा है। दुर्भाग्य है कि वह बेटागीरी भी ठीक से नहीं निभा पा रहा है। उसके भाषणों, उसके दौरों और उसकी नौटंकियों के कारण वह अपनी मां का बहुत नुकसान कर रहा है।

कांग्रेस-जैसी महान पार्टी की इज्जत पैंदे में बैठी जा रही है। कांग्रेस की खाट खड़ी होती जा रही है। कांग्रेस में देश के कई चुनिंदा बुद्धिजीवी, निष्ठावान समाजसेवी और अनुभवी नेतागण हैं। उनका दम बुरी तरह से घुट रहा है लेकिन वे क्या करें? वे मजबूर हैं। अभी-अभी किसान-यात्रा की पूर्णाहुति में राहुलजी ने फिर एक बम गिरा दिया है। उन्होंने कह दिया कि ‘जो हमारे जवान हैं, जिन्होंने अपना खून दिया है….. उनके खून की पीछे आप छुपे हैं। उनकी आप दलाली कर रहे हो।’ यह आप कौन है? यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। मोदी कौनसी दलाली कर रहे हैं? खून की दलाली क्या होती है, यह राहुलजी ही बता सकते हैं। किसी के खून के पीछे कैसे छिपा जा सकता है, यह भी हमारे महापंडित राहुल गांधी को ही पता होगा। राहुल शायद भूल गया कि उसकी मां ने गुजरात में चुनाव के दौरान मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कह दिया था। क्या नतीजा हुआ, उसका?

मान लें कि सोनियाजी इतालवी हैं। उन्हें हिंदी ठीक से नहीं आती लेकिन भाई आप तो यहीं पैदा हुए हैं। कुछ तो भाषा सीखिए। आप भले हैं, भोले हैं लेकिन आपको भौंदू नहीं दिखाई पड़ना चाहिए। आपने शल्य चिकित्सा (सर्जिकल स्ट्राइक) पर मोदी को बहुत दिल खोलकर बधाई दी। आपका भोलापन और भलापन उजागर हुआ लेकिन ‘खून की दलाली’ ने आपका कौनसा रुप प्रकट कर दिया? गनीमत है कि कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं की तरह राहुलजी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को फर्जी नहीं बता रहे हैं लेकिन हमारे जवानों की बहादुरी और कुर्बानी का मजाक उड़ाने का उन्हें क्या अधिकार है? ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से मोदी को उत्तरप्रदेश और पंजाब के चुनाव में थोड़ा-बहुत फायदा होने की संभावना है तो उससे इतने विचलित होने की क्या जरुरत है

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