अब अगर आप मेल या एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा कर रहे हों और 139 से कोई कॉल आता है, तो समझ लीजिए कि यात्रा को लेकर रेलवे आपसे आपका फीडबैक जानना चाहती है। करीब 1500 ट्रेनों में इस पहल की शुरुआत व्यवस्था सुधारने को लेकर 1 जुलाई से की गई है।
आईआरसीटीसी को अब यात्रियों से फीडबैक लेने का भी जिम्मा दिया गया है। इसमें साफ-सफाई से लेकर खानपान, बेडरोल की क्वालिटी, एसी की कूलिंग और ट्रेन के लेट होने जैसे छह सवालों में से कोई दो सवाल यात्रियों से पूछे जाते है। ये कॉल पहले से ही रिकॉर्डेड होती हैं।
आईआरसीटीसी के सीएमडी एके मनोचा बताते हैं कि ये पहल 1200 से 1500 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में की गई हैं। हमारी कोशिश रोजाना एक लाख कॉल करने की है, ताकि हम यात्रियों से उनकी राय ले सकें।
रेलवे मुसाफिरों से छह सवाल – प्लेटफॉर्म और ट्रेन की साफ-सफाई, खानपान तथा बेडरोल की गुणवत्ता, एसी की कूलिंग और ट्रेन की पंक्चुयलिटी के बारे में पूछती है। और विकल्प के तौर पर संतोषजनक, संतोषजनक नहीं और अच्छे के लिए 0,1 या फिर 2 टाइप करना होता है।
इसके तहत 1 जुलाई को करीब सवा लाख कॉल की गईं, लेकिन उनमें से सफलता 69,953 कॉल्स में हाथ लगी। वहीं 2 जुलाई को किए गए करीब 3 लाख कॉल्स में से आईआरसीटीसी 87,000 यात्रियों से फीडबैक ले पाई। एक ट्रेन में स्लीपर और एसी के 60-70 यात्रियों से रैन्डमली सुझाव लिए जाते हैं।
यात्रियों के नंबर देने में क्रिस अहम भूमिका निभाती है। साथ ही कोशिश की जाती है कि जब यात्री ट्रेन में ठीक से बैठ जाएं और ट्रेन चल पड़े, उसके बाद ही कॉल किए जाएं, ताकि वो कॉल अटेंड कर पाएं। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रात के 9 बजे से लेकर दिन के 9 बजे तक कोई भी कॉल नहीं की जातीं।
आईआरसीटीसी के आईटी विभाग के ग्रुप जनरल मैनेजर सुनील कुमार कहते हैं कि सिफ फीडबैक लेना हमारा काम नहीं है। जैसे ही हमें यात्रियों का फीडबैक मिलता है, हम तुरंत इसकी जानकारी सर्विस प्रोवाइडर को भेजते हैं, ताकि जितनी जल्दी हो सुधार हो जाए। उन्होंने बताया कि दो दिनों में एक वेब पोर्टल भी बनाया जा रहा है, जहां ये सारी जानकारी उपलब्ध होगी।
साभार- http://khabar.ndtv.com/ से