Wednesday, December 25, 2024
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राजशेखर व्यास ने रोमांचित किया मुंबई के सुधी श्रोताओं को

मुंबई। रविवार 7 मई 2023 को केशव गोरे ट्रस्ट के मृणालताई हाल में आयोजित चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई के सृजन संवाद में पद्मभूषण पं. सूर्यनारायण व्यास और चर्चित लेखक पांडेय बेचन शर्मा उग्र पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। व्यास जी के सुपुत्र प्रतिष्ठित लेखक राजशेखर व्यास ने बताया कि उनके पिता पं. व्यास को समाज, संस्कृति, इतिहास और धर्म से बेहद प्रेम था। उन्होंने सन् 1928 में उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदास समारोह की शुरुआत की। उनके प्रयास से कवि कालिदास और सम्राट विक्रमादित्य पर मुंबई के सिने जगत में फ़िल्म का निर्माण हुआ। विक्रम विश्वविद्यालय और विक्रम कीर्ति मंदिर का निर्माण उन्होंने कराया। आज़ादी के पहले वे 144 स्टेट के राज ज्योतिषी थे। पचास से अधिक ग्रंथों के लेखक, संपादक, व्यंग्यकार, कवि, निबंधकार और इतिहासकार पं. व्यास के डॉ राजेंद्र प्रसाद, मोरारजी देसाई और कई राजनीतिक हस्तियों के साथ बहुत अच्छे रिश्ते थे। उनकी जन्म शताब्दी पर सन् 2002 में माननीय अटल बिहारी वाजपेई ने डाक टिकट जारी किया
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पांडेय बेचन शर्मा उग्र के उग्र स्वभाव की चर्चा करते हुए राजशेखर जी ने बताया कि उनका लेखन उच्च कोटि का था मगर उनको अपेक्षित सम्मान नहीं मिला। उग्र जी की कहानी ‘उसकी मां’ गोर्की की ‘मां’ के समकक्ष रखी जाती है। आज़ादी के पहले मुंबई के फ़िल्म जगत में उग्र जी ने कई साल काम किया लेकिन उनके अक्खड़ स्वभाव के कारण यहां भी लोगों से उनकी नहीं पटी। उन्होंने अपने एक संस्मरण में सिने जगत की पर्दे के पीछे की सच्चाईयों का ज़बरदस्त चित्रण किया है। राजशेखर जी ने कोलकाता के पत्र ‘मतवाला’ में उग्र जी की सक्रियता और शिवपूजन सहाय से उनके रिश्तों के बारे में महत्वपूर्ण संस्मरण सुनाए। सन् 1927 में प्रकाशित उग्र के उपन्यास ‘चॉकलेट’ का बड़ा विरोध हुआ और उसे घासलेटी साहित्य कहा गया। उग्र जी स्वभाव से विद्रोही थे। उन्होंने लीक से हटकर लेखन किया। इसी के चलते उन्हें नौ महीने जेल में बिताने पड़े।
चित्रनगरी संवाद मंच में रंगकर्मी विजय पंडित के नाटक ‘पूर्ण पुरुष’ के अंश का वाचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की अभिनेत्री निधि मिश्रा और भारतेन्दु नाट्य अकादमी के अभिनेता कृष्ण गोपाल ने किया। डॉ मधुबाला शुक्ला ने बड़े सलीक़े से विजय पंडित की लेखन यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मुंबई में विजय पंडित का आगमन कैसे संयोगवश हुआ और कैसे उन्होेंने कई बड़े धारावाहिकों की पटकथा लिखने में अपने क़लम का जादू दिखाकर प्रतिष्ठा अर्जित की। प्रतिष्ठित रंग समीक्षक डॉ सत्यदेव त्रिपाठी ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विजय पंडित ने जो कुछ अर्जित किया है वह अपनी प्रतिभा और लगन से अर्जित किया है। इस अवसर पर मौजूद इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी ने चित्रनगरी संवाद मंच को अपनी शुभकामनाएं दीं।
चर्चा के अंत में आयोजित कविता पाठ में रायपुर से पधारी कवयित्री वर्षा रावल, विशू, गोविंद सिंह राजपूत, विश्वदीप ज़ीस्त, राजेश ऋतुपर्ण, ज़ाकिर हुसैन रहबर, रास बिहारी पांडेय, केपी सक्सेना और नवीन जोशी नवा ने शिरकत की। समकालीन कविता के महत्वपूर्ण कवि डॉ बोधिसत्व, कवयित्री आभा बोधिसत्व, कवि बिकास गुप्ता, फ़िल्मकार अशोक सक्सेना, फ़िल्मकार पारस जैन और अभिनेता शैलेंद्र गौड़ ने अपनी मौजूदगी से आयोजन की गरिमा बढ़ाई।
साभार- https://www.facebook.com/csmanchs से

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