Sunday, November 24, 2024
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अंतराष्ट्रीय स्वरूप हुआ अयोध्या रामलला जन्मस्थान मंदिर का

  • थाईलैंड से मिट्टी आई : दुनिया के 155 देशों से जल आया

  • 80 देशों में सीधा प्रसारण होगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह

अयोध्या में भव्य आकार ले रहे रामजन्म स्थान मंदिर ने अब अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है। पूरी दुनिया में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दिवस की अधीरता से प्रतीक्षा की जा रही है। निर्माण के लिए 155 देशों से जल आया है, अमेरिका से एक श्रृद्धालु ने दान भेजा है तो थाईलैंड से जल के साथ मिट्टी भी आई है। 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अस्सी देशों में सीधा प्रसारण होगा।

अयोध्या में बन रहे रामलला जन्म स्थान मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है। यद्यपि भव्यता और पूर्णता के लिए तो लगभग एक वर्ष और लगेगा पर 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण प्रतिष्ठा आयोजन की लगभग सभी तैयारी हो चुकी है। इस समारोह की तैयारी तीन स्तरीय चल रही है। एक ओर मंदिर के स्वरूप की पूर्णता, दूसरी ओर अयोध्या को भारतीय संस्कृति के अनुरूप एक सोलर सिटी का स्वरूप देने का प्रयास और तीसरा प्राण प्रतिष्ठा समारोह का पूरे भारत और संसार के अन्य श्रृद्धालुओं के लिए लाइव टेलीकास्ट करने का प्रबंध।

इन तीनों दिशाओं का कार्य भी अब पूर्णता की ओर है। 17 से 22 जनवरी तक संपन्न होने वाला पाँच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ 48 दिनों का मंडल पूजन और मंडलाभिषेकम् आयोजन भी होगा जो सात मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। इसमें देश विदेश के वे श्रृद्धालु भाग लेगें जो स्थानाभाव के कारण पाँच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में सम्मिलित नहीं हो सकेंगे। रामलला जिस सिंहासन पर विराजमान होंगे वह सिंहासन भी अयोध्या पहुंच गया है।

अयोध्या में केवल भव्य जन्मस्थान मंदिर का ही निर्माण नहीं हो रहा है अपितु पूरी अयोध्या नगरी का स्वरूप निखर रहा है। अयोध्या नगर को उसके प्राचीन स्वरूप और वैभव के साथ एक “सोलर सिटी” के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। भगवान राम ने सूर्यवंश में अवतार लिया था। और भगवान सूर्यदेव अपनी ऊर्जा से पूरे संसार को जीवन देते हैं। इसी कल्पना को आकार देने के लिए पूरा नगर सौर ऊर्जा से ही प्रकाशित होगा। इसके लिए पूरे अयोध्या में स्तंभ लगाए जा रहे हैं। इन स्तंभों को दो नाम दिए गए हैं।

एक सूर्य स्तंभ और दूसरा श्रीराम स्तंभ। इन स्तंभों पर प्राचीन भारतीय संस्कृति के चित्र और अभिलेख पंक्तियाँ होंगी। इन स्तंभों के माध्यम से पूरे नगर को ऐसा साँस्कृतिक स्वरूप देने का भी प्रयास किया जा रहा जिससे इस नगर में आने वाले श्रद्धालुओं को त्रेता युग की संस्कृति का आभास हो सके। हर स्तंभ का अपना उपनाम भी होगा। नगर के चौराहों और मार्गों के नाम भी इन स्तंभों के नाम और उपनाम के आधार पर होगें जैसे सूर्य स्तंभ, श्रीराम स्तंभ धर्मपथ, भक्तिपथ और रामपथ आदि। रामनगरी अयोध्या में इस प्रकार 40 सूर्य स्तंभ और 25 श्रीराम स्तंभ लगाए जा रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि 22 जनवरी तक इन स्तंभों का कार्य पूरा हो जाएगा। यह कार्य अयोध्या विकास प्राधिकरण कर रहा है।

गरिमा के अनुरुप नगर की सज्जा के साथ इस समारोह में आने वाले श्रृद्धालुओं की सुविधा के प्रबंध भी किए जा रहे हैं। नगर के खाली पड़े स्थानों और मैदानों में तंबू लगाए जा रहे हैं। सुविधा की दृष्टि से ये चार प्रकार के होगें। इन तंबुओं ने भोजन, शयन और अन्य आवश्यक सभी सुविधा प्रबंध होगें। इन तंबुओं में भाषा और क्षेत्र के अनुसार श्रद्धालुओं के रुकने का प्रबंध होगा। इनमें संबंधित भाषा और क्षेत्रीय आधार पर दुभाषिया भी होगा ताकि अतिथियों की भाषा समझकर उनकी सुविधानुसार व्यवस्था की जा सके।

अयोध्या में रामजन्म स्थान पर निर्माणाधीन रामलला मंदिर का आकर्षण केवल भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं रह गया है। इस गौरव स्थल ने अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है। मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए पूरी दूनियाँ के श्रृद्धालु आतुर हैं। यह सहयोग आर्थिक भी और भावनात्मक भी। आर्थिक सहयोग के संदेश भी अनेक देशों से आ रहे हैं पर नियम प्रक्रिया के चलते अभी तक यह संभव न हो पा रहा था।

अब इन नियम प्रक्रियाओं का कुछ सरलीकरण हुआ है। तो प्रतीक के रूप में अमेरिका में निवास करने वाले एक श्रृद्धालु ने दस हजार रुपए भेजे हैं। वहीं मंदिर निर्माण में श्रमदान करने और मंदिर दर्शन केलिए आने वाले श्रृद्धालुओं की सेवा करने की इच्छा भी अनेक विदेशी श्रृद्धालु इच्छा जता रहे हैं। कुछ तो पर्यटन वीजा पर अयोध्या के दर्शन को अभी से आ गए हैं। ‘रामलला’ के भव्य अभिषेक के लिए यूक्रेन और रूस सहित 7 महाद्वीपों और 155 देशों से पवित्र जल आया है। इसके अतिरिक्त प्रतीक के रूप में थाईलैंड से पवित्र नदी का जल के साथ मिट्टी भी भेजी गई है।

लोकार्पण की तिथि 22 जनवरी को इस मंदिर का स्वरूप कैसा होगा और प्राण प्रतिष्ठा समारोह कैसा होगा इसके प्रति भी पूरी दुनिया जिज्ञासु है। जैसे जैसे प्राण प्रतिष्ठा की तिथि समीप आ रही है वैसे वैसे पूरी दुनिया में इस मंदिर के प्रति आकर्षण और जिज्ञासा बढ़ रही है। यह जिज्ञासा भी दोनों प्रकार की है। मंदिर कैसा होगा और प्राण प्रतिष्ठा आयोजन कैसा होगा। यह जन जिज्ञासा पूर्ति के लिए भी प्रबंध किए जा रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद की पहल पर 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का विदेशों में भी लाइव प्रसारण किया जाएगा।

दुनिया के अस्सी देशों में विश्व हिंदू परिषद की शाखाएँ हैं। इन सभी देशों में लाइव प्रसारण के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि सभी श्रृद्धालु जन्मस्थान मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को अपनी आंखों से देख सकें। पचास से अधिक देशों में तो लाइव प्रसारण के स्थान का चयन और प्रबंध भी हो गया है। इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका आदि हैं।

प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी रामनगरी अयोध्या में तो चल ही हैं वहीं भारत में भी सभी श्रृद्धालु 22 जनवरी को एक भव्य उत्सव के रूप में मनाने की तैयारी चल रही है। भारत में जितने मठ मंदिर हैं सबको 17 जनवरी से सजाया जाएगा और 22 जनवरी को इन सभी धर्म स्थलों में लाइव प्रसारण के साथ विशेष पूजा अर्चना भी होगी। इस पूजन में उस क्षेत्र के उन सभी श्रद्धालुओं को जोड़ा जाएगा जिन्होंने मंदिर निर्माण में सहयोग दिया है। इसके साथ ही देश के लगभग दस हजार से अधिक ऑडिटोरियम, खेल मैदान, और अन्य प्रकार के स्टेडियम का चयन किया गया है जिनमें 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जाएगा। इन स्थलों पर कारसेवकों और उनके परिवारों को भी आमंत्रित किया गया है।

समारोह के लिए राममंदिर न्यास, विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की सक्रियता को देखकर लगता है कि ये सभी तैयारियाँ 15 जनवरी तक पूरी कर लीं जाएगी।

Ramesh Sharma

(लेखक ऐतिहासिक व राष्ट्रीय विषयों पर शोधपूर्ण लेखन करते हैं)

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