दो टूक : प्रेम के लिए दोस्ती और दुशमनी कोई मायने नहीं रखती। वो बस हो जाता है. अब ये अलग बात है कि उसके बाद उसके लिए मौत और जिंदगी का मायने भी ख़त्म हो जाता है . बस इतनी सी बात करती है संजय लीला भंसाली की रणवीर सिंह , दीपिका पादुकोण , गुलशन देवयाह , ऋचा चड्ढा , श्वेता साल्वे, सुप्रिया पाठक , गिरीश सहदेव, बरखा बिष्ट, अभिमन्यु सिंह , विवान बाटना , शरद केलकर और प्रियंका चोपड़ा के अभिनय वाली नयी फ़िल्म राम लीला .
कहानी: फ़िल्म की कहानी है राम (रणवीर सिंह) और लीला (दीपिका पादुकोण) की है जो गुजरात में सनेड़ा और रजाड़ी खानदानों के बीच पांच सौ सालों से चली आ रही दुश्मनी के बीच भी प्रेम कर बैठते हैं . दोनों शादी करना चाहते हैं और इस से पहले कि उनकी दुश्मनी और प्रेम को एक नया चेहरा मिले राम के भाई [अभिमन्यु सिंह ] की हत्या सनेड़ा खानदान के लोगों के हाथ हो जाती है और गुस्से में आकर राम, लीला के भाई की हत्या कर देता है. लेकिन लीला, अपने प्यार के आगे भाई की हत्या को भूलकर राम के साथ भाग जाती है. समय उनका साथ दे इस से पहले ही उनके बीच सलीला [ऋचा चड्ढा] और लीला का भाई [गुलशन देवयाह] जैसे लोग आ खड़े होते हैं . इसके बाद शुरू होती है दोनों समूहों के बीच नए सिरे से दुश्मनी की भी एक नयी शुरुआत .फ़िल्म की कहानी शेक्सपियर के रोमियो और जूलियट नाटक पर आधारित है.
गीत संगीत : फ़िल्म का संगीत निर्देशक संजय लीला भंसाली ने दिया हैं और गीत सिद्धार्थ और गरिमा ने लिखे हैं . संजय की फिल्मों की एक ख़ास बात है कि उनकी फ़िल्म के रंगों और बोलों में उनका परिदृश्य भी मिल जाता है और साथ ही उनका प्रस्तुतीकरण भी अद्भुत किस्म को होता है . फ़िल्म का शीर्षक गीत राम लीला , नगाड़ा संग ढोल बाजे , अंग लगा दे जैसे गीत बेशक लम्बे समय न सुने जाएं पर वो याद तो रखे जा सकते हैं .
अभिनय : राम और लीला की भूमिका में में रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की अपने अपने अपने पात्रों के साथ गम्भीरता दिखती देती है . ये अलग बात है कि पिछली कुछ फिल्मों में दीपिका कुछ अधिक बोल्ड और खुलकर सामने आती हैं पर वो जमती हैं और रणवीर सिंह के साथ उन्होंने पूरी ऊर्जा के साथ खुद को प्रस्तुत किया है . रही रणवीर सिंह की बात तो उनके संवाद आदायगी के मामले को छोड़ दें तो उनकी शारीरिक भाषा और अपने पात्र के प्रति आत्मविश्वास गजब का है .
सुप्रिया पाठक अपनी प्रतिभा से प्रभावित करती है और गुलशन देवैया के साथ रिचा चढ्डा और अभिमन्यु सिंह एक नए परवेश के साथ खुद को साबित करते हैं पर इन सब पर भारी तो दीपिका ही हैं . फ़िल्म में उनके गहने और कपड़े नए फ़ैशन शैली के परिचायक हैं. रजा मुराद लम्बे समय दिखे हैं और शरद केलकर , होमी वाडिया के साथ बरखा बिष्ट के लिए इस से बड़ा मौका नहीं हो सकता हथा . रही प्रियंका चोपड़ा कि बात तो उनके तो कहें ही क्या .
निर्देशन : संजय लीला भंसाली की फिल्मों में भव्यता होती है और रंगों के साथ उनके पात्र भी सजे धजे रहते हैं . हर फ़्रेम में उनके शानदार सेट, गांव की गलियों की खूबसूरती, तकनीक और कलात्मकता दिखती है लेकिन इस बार उनकी फ़िल्म उनकी फिल्मों से अलग है . कई मायनो में . फ़िल्म विलियम शेक्सपियर के मशहूर नाटक 'रोमियो-जूलियट' पर आधारित है लेकिन उसे उसमे लीला ने इस बार प्रेम रिश्तों,कहानी, चरित्र, कथानक और घटनाओं का जो मेलोड्रामा गढ़ा है वो सेक्स , चुम्बन , हिंसा को मिलाकर बुना गया है . फ़िल्म एक सुन्दर कैनवास है पर उसे उसके चमकीले गाढ़े रंगों के साथ देखना भी एक अलग अनुभव है जिसमे राकेश पांडे और भंसाली का सम्पादन , एस रवि वर्मन का कैमरा , शाम कौशल का एक्शन और सिद्धार्थ गरिमा के संवाद उसे एक बार तो देखने लायक बना ही देते हैं .
फ़िल्म क्यों देखें : संजय लीला भंसाली की एक नए किस्म की प्रेम कहानी है .
फ़िल्म क्यों न देखें : ये अलग बात है कि लीला की इस फ़िल्म में कहानी के नाम पर कोई नया करिशमा नहीं है .