अद्भुत शिल्प वाला यह शिव मंदिर इस्वी सन 1213 में वारंगल के काकतिया वंश के महाराजा गणपति देव ने बनवाया। विश्व का यह एकमात्र मंदिर है जिसका नाम भगवान के नाम पर ना होकर उसके शिल्पी के नाम पर है ।
इसमें हुए शोध से एक आश्चर्यजनक बात सामने आई की इसकी अद्भुत मज़बूती का रहस्य है मंदिर के पत्थरों का वजन बहुत कम होना, इस कारण से मंदिर टूटता नहीं । ये पत्थर पानी में तैरते हैं यानी आर्किमिडिज का सिद्धांत यहां गलत साबित हो जाता है ।
अब तक वैज्ञानिक इसका उत्तर नहीं ढूंढ पाए कि रामप्पा यह पत्थर लाये कहाँ से क्योंकि इस तरह के पत्थर विश्व में कहीं नहीं पाये जाते जो पानी में तैरते हों. तो फ़िर क्या रामप्पा ने 800 वर्ष पहले ये पत्थर खुद बनाये? अगर हाँ तो वो कौन सी तकनीक थी उनके पास!! वो भी 800-900 वर्ष पहले!
रामप्पा या राम लिंगेश्वर मंदिर वारंगल से 70 कि. मी दूर पालम पेट में स्थित है। यह मंदिर 6 फ़ीट ऊँचे मंच पर बना हुआ है।