अन्य क्षेत्रों में तेजी से हो रही प्रगति के साथ-साथ भारतीय पर्यटन क्षेत्र भी अब निश्चत रूप से तेजी से आगे बढ़ रहा है। “अतुल्य भारत” के रूप में वर्णित अनेक तीर्थ स्थलों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा देश धीरे-धीरे प्राकृतिक सौन्दर्य वाले अनेक स्थानों, विशिष्ट वातावरण और अनेक अन्य आकर्षणों के साथ लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। हमारा देश वैश्विक पर्यटन उद्योग में अपनी उचित हिस्सेदारी और स्थिति को और मजबूत कर रहा है।
हाल के वर्षों में सामाजिक एकता और आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में पर्यटन प्रमुखता से आगे बढ़ रहा है। तीर्थयात्रा, व्यापार और अनेक अन्य कारणों से यात्रा करना प्राचीन समय से ही चला आ रहा है। जहां आजादी के समय केवल 17,000 पर्यटक ही देश में आए थे वहीं वर्तमान में पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। लेकिन उच्च संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, भारत के पर्यटन उद्योग को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। वर्तमान सरकार द्वारा किए गए कुछ शानदार प्रयासों और प्रचार योजनाओं के कारण यह क्षेत्र निश्चित रूप से वैश्विक पर्यटन क्षेत्र में अपना उचित स्थान तैयार करेगा।
आजादी के बाद से पर्यटन के महत्व को ध्यान में रखते हुए ठोस नीतियों और विस्तृत योजनाओं को अलग-अलग चरणों में लागू किया गया है जिसके परिणामस्वरूप पर्यटन व्यापार में लगातार वृद्धि और विकास हुआ है। वैश्विक भ्रमण और पर्यटन क्षेत्रों में अधिक गति लाने के लिए और अधिक से अधिक निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।
नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 2016 में पर्यटन ने देश के सकल घरेलू उत्पाद में 14.02 लाख करोड़ (220 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का योगदान दिया और इसमें 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पर्यटन के कारण 40.343 मिलियन नौकरियां सृजित हुईं जो अपने कुल रोजगार का 9.3 प्रतिशत है। 6.8 प्रतिशत की वार्षिक गति से बढ़ने के साथ इस क्षेत्र के 2027 तक 28.49 लाख करोड़ (440 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है जो हमारी जीडीपी का 10 प्रतिशत है। एक उदाहरण के तौर पर देखें तो भारत के मेडिकल पर्यटन का अनुमानित आंकड़ा 3 बिलियन अमरीकी डॉलर है और 2020 तक यह बढ़कर 7-8 अरब डॉलर होने का अनुमान है। 2014 में लगभग 184,300 विदेशी मरीजों ने चिकित्सा उपचार के लिए भारत की यात्रा की। 2016 में 88.90 लाख विदेशी पर्यटक भारत आये, जबकि इससे पिछले वर्ष यह आंकड़ा 80.27 लाख था जिसमें 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 2012 में घरेलू पर्यटकों की संख्या लगभग 1,036.35 मिलियन थी, जिसमें वर्ष 2011 की तुलना में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। तीर्थ पर्यटन की संख्या में भी हर साल लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने में युवा शक्ति की भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
वैश्विक यात्रा और पर्यटन पर विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के 136 देशों में भारत का 40वां स्थान है। मौजूदा सरकार द्वारा सड़कों के नेटवर्क, उच्च गति वाले रेल और हवाई सेवाओं, शानदार होटल की सुविधा, व्यावसायिक अवसरों, नकद रहित भुगतान प्रणाली, स्वच्छ वातावरण और उदारवादी वीजा व्यवस्था तथा उपयुक्त मानव संसाधनों में किए जा रहे सुधारों से पर्यटन के क्षेत्र का आंकड़ा तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
निरंतर विकास के लिए पर्यटन मंत्रालय और सभी राज्यों को भागीदारों के रूप में सही तरीके से तैयार की गईं राष्ट्रीय नीतियों और योजनाओं पर कार्य करना होगा। वीजा नीति को उदार बना दिया गया है और “अतुल्य भारत” के विश्वव्यापी अभियान के उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। पर्यटन क्षेत्र को और प्रोत्साहन देने और वैश्विक पर्यटक के आवागमन में भारत का दर्जा और बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। ई-टूरिस्ट वीज़ा सुविधा का विस्तार 150 से अधिक देशों तक किया जा चुका है तथा घरेलू और विदेशी पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में अन्य योजनाओं के साथ उड़ान योजना भी काफी लंबा सफर तय करेगी।
देश में सभी प्रकार के पर्यटकों के अनुरूप अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए यात्रा पैकेज और पर्यटन और तीर्थ यात्रा सर्किट मौजूद हैं। सेवा क्षेत्र के बीच भारतीय पर्यटन और होटल उद्योग विकास का प्रमुख चालक हैं। पर्यटन देश के लिए विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत होने के साथ-साथ रोजगार मुहैया कराने का भी प्रमुख स्त्रोत है। प्रत्येक नागरिक को “अतिथि देवो भव:” (हर पर्यटक हमारा सम्मानित अतिथि है) की भावना का पालन करना होगा और ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन के स्वैच्छिक राजदूत के रूप में कार्य करना होगा।
भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग और खर्च करने की अतिरिक्त क्षमता में बढ़ोतरी से घरेलू और विदेशी पर्यटन के विकास को लगातार मदद मिल रही है। 2016 में घरेलू पर्यटकों के आगमन (डीटीवी) का आंकड़ा 15.5 फीसदी वर्ष दर वर्ष बढ़कर करीब 1.65 बिलियन हो गया। विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है और पर्यटन के माध्यम से भारत की विदेशी मुद्रा आय (एफईई) में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अप्रैल, 2017 में यह 2.278 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 2030 तक भारत वैश्विक स्तर पर व्यापार से संबधित शीर्ष पांच बाजारों में स्थान बना लेगा क्योंकि देश में व्यवसायिक यात्रा खर्च 2015 के 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2030 तक तीन गुना होने की उम्मीद है। भारत के विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए) में पिछले तीन वर्षों के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह संख्या अप्रैल, 2017 में 7.40 लाख थी जो अप्रैल 2016 में 5.99 लाख और अप्रैल 2015 में 5.42 लाख थी। भारत यात्रा करने वाले अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है।
2017-18 के आम बजट में पर्यटन और अतिथि सत्कार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए, जिनमें पांच पर्यटन जोन की स्थापना, विशेष तीर्थाटन या पर्यटन ट्रेन तथा अतुल्य भारत अभियान की वैश्विक स्तर पर शुरूआत आदि शामिल है।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और राज्य सरकारें, निजी क्षेत्र, गैर सरकारी संगठनों और प्रत्येक नागरिक को देश के पर्यटन में योगदान देने के लिए संयुक्त रूप से हरसंभव प्रयास करने चाहिए और भारत को वैश्विक पर्यटन हब बनाने के लिए अधिक से अधिक पहलों की शुरूआत करनी चाहिए।
*लेखक जम्मू कश्मीर में स्वतंत्र पत्रकार हैं। इस लेख में व्यक्त किए विचार लेखक के निजी विचार हैं।
साभार-http://pib.nic.in से