अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के बीच चल रही रस्साकच्छी, रूस यूक्रेन के बीच पिछले लम्बे समय से लगातार चल रहे युद्ध एवं पिछले एक माह से भी अधिक समय से पूर्व प्रारम्भ हुए हम्मास इजराईल युद्ध के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल की बैठक दिनांक 5 नवम्बर 2023, रविवार, को प्रातः 9 बजे भुज, गुजरात में प्रारम्भ हुई। बैठक का शुभारम्भ परम पूज्य सर संघचालक डॉक्टर मोहन जी भागवत और सर कार्यवाह श्री दत्तात्रेय जी होसबाले ने भारत माता के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित करके किया। बैठक में देश भर से संघ की दृष्टि से 45 प्रांतो एवं 11 क्षेत्रों के माननीय संघचालक, कार्यवाह, प्रचारक, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य तथा कुछ विविध संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्रियों सहित लगभग 382 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उक्त बैठक में संघ शताब्दी की दृष्टि से कार्य विस्तार के लिए बनी योजना की समीक्षा एवं संघ प्रशिक्षण अभ्यास क्रम विषयों पर विस्तार से चर्चा सम्पन्न हुई। साथ ही, परम पूज्य सर संघचालक डॉक्टर मोहन जी भागवत के विजया दशमी उदबोधन में चर्चा में आए कुछ मुख्य विषयों जैसे प्रकृति विरुद्ध जीवन शैली, जलवायु परिवर्तन का विश्व पर प्रभाव, सुरक्षा, स्व आधारित युगानुकुल नीति आदि विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, गौ सेवा, ग्राम विकास व अन्य गतिविधियों में चल रहे प्रयासों के बारे में भी प्रतिनिधियों से जानकारी ली गई। यह बैठक 7 नवम्बर 2023 को सायंकाल 6 बजे सम्पन्न हुई।
विश्व के कई देशों, विकसित देशों सहित, में सामाजिक तानाबाना ध्वस्त हो चुका है। अमेरिका सहित विश्व के कई देशों में आज “सिंगल पेरेंट” की अवधारणा जोर पकड़ती जा रही है। लगभग 50 प्रतिशत बच्चों को अपने पिता के बारे में जानकारी ही नहीं हैं। कुटुंब अथवा परिवार में रहकर माता एवं पिता द्वारा मिलकर ही बच्चे का शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास सही तरीके से किया जा सकता है। इन देशों में केवल माता अथवा पिता द्वारा बच्चे का लालन पालन करने से बच्चे का मानसिक एवं बौद्धिक विकास सही तरीके से नहीं हो पा रहा है एवं यह बच्चे उच्च स्तर की पढ़ाई के मामले में पिछड़ रहे हैं। आज अमेरिका में बहुत कम बच्चे विज्ञान एवं गणित की उच्च स्तर पर पढ़ाई कर पा रहे हैं, जिसके चलते यह बच्चे सेवा क्षेत्र में कुछ छोटे मोटे काम करते नजर आते हैं।
दूसरे, भारत सहित कई देशों में विभिन्न जातियों, मत एवं पंथ के आधार पर नागरिकों को आपस में लड़ाया जा रहा है एवं समाज में आज नागरिकों के बीच आपसी भाईचारा एवं विश्वास का नितांत अभाव दिखाई दे रहा है, जिससे आज सामाजिक समरसता का अभाव स्पष्टत: दिखाई देने लगा है। साथ ही, लगभग पूरे विश्व में ही पर्यावरण को लेकर भी गम्भीर स्थिति बन गई है। विशेष रूप से विकसित देशों में नागरिकों की जीवन शैली ही इस प्रकार की बन गई है कि प्रकृति का दोहन करने के स्थान पर प्रकृति का शोषण किया जा रहा है। जंगल खत्म