कोटा। कोटा संभाग की एक मात्र महिला लेखिकाओं की संस्था आर्यन महिला लेखिका संस्था की ओर से रेखा पंचोली जो इस संस्था की संस्थापक अध्यक्ष भी हैं की उपन्यास कृति” लोक डाउन एंड कोचिंग सिटी कोटा ” का समारोहपूर्वक लोकार्पण किया गया।
मुख्य वक्ता विजय जोशी ने कहा कि साहित्यकार सीधे सीधे जनसरोकार से जुड़ा हुआ रहता है। यही कारण है कि वह आपदा में अवसर तलाशता है।वह लोक की पीड़ाओं को विभिन्न आयामों से समेटता है।यह उपन्यास करोना काल त्रासदी का जीवंत दस्तावेज है। उपन्यास डायरी के पन्ने से निकलकर संस्मरण में फैलता है और कोटा के करोना काल की कहानी कह देता है।
मंच से मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए जितेंद्र निर्मोही ने कहा हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल जब खड़ी बोली का बड़ा प्रभाव था। झालावाड़ से पंख गिरधर शर्मा नवरत्न को काव्य सेवा में जाना जाता है उनकी पहचान रविन्द्र नाथ टैगोर से और तत्कालीन हिन्दी पुरोधाओं से थी उन्होंने गीतांजलि का हिंदी अनुवाद किया था।
उन्होंने कहा कि कथा परंपरा में लज्जा राम मेहता की सेवा नहीं भुलायी जा सकती है। शचींद्र उपाध्याय और शांति भारद्वाज राकेश को उनके उपन्यास पर रांघेय राघव पुरस्कार दिया गया था। इसी श्रंखला में दया कृष्ण विजय, डॉ नरेन्द्र चतुर्वेदी,क्षमा चतुर्वेदी,सरला अग्रवाल, घनश्याम लाडला,माधव सिंह दीपक,भोला शंकर व्यास, विजय जोशी, जितेन्द्र निर्मोही आदि आते हैं। उन्होंने कहा की उपन्यास नवांतर युग लाने का श्रेय ईश्वर चंद्र सक्सेना को जाता है । एक लंबी खामोशी के बाद यह उपन्यास भी उपन्यास नवांतर की श्रेणी में जाना जाएगा।
विशिष्ट अतिथि रामेश्वर शर्मा रामू भैया उपन्यास के कुछ अंश पढ़कर सुनाए। अध्यक्षता कर रहे राजेश बिरला ने कहा आर्यन महिला लेखिका संस्था कोटा की सृजनधर्मिता प्रशंसनीय है । भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान के लिए इस संस्था की लेखिकाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। संचालन विदुषी डॉ. अर्पणा पान्डे द्वारा करते हुए सरस्वती वंदना और कृति परिचय भी दिया गया। नहुष व्यास ने कृतिकार का परिचय पूरे परिवार को समेटते हुए दिया।