Wednesday, December 25, 2024
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धर्म रक्षार्थ अर्जुन बनो …

महोदय

सोचो,समझो और सत्य को स्वीकार करो कि हिन्दू बचेगा तो ही तो गाय,मंदिर,धर्म व देश सब बचेगा…..अफगानिस्तान व पाकिस्तान,बंग्लादेश व कश्मीर में क्या अब गाय नही है . ? पर हिन्दू नहीं बचे।यह सत्य है गाय रक्षा आवश्यक है पर हिन्दूओ की रक्षा सर्वोपरि है ।
आज हमें हिन्दुओ की रक्षा के साथ साथ अपनी घटती जनसंख्या पर भी ध्यान देना होगा।अर्जुन के समान मछली की आँख का लक्ष्य स्पष्ट बनाओ और आईएसआई, आईएस , लश्करे-ए-तोयबा व अन्य देशद्रोहियो जिहादियो से बचने के उपाय निकालो ?

अब करोडो बांग्लादेशी घुसपैठियो के अतिरिक्त म्यांमार से लाखों रोहियांग मुसलमान भी घुसपैठ करके आ रहे है, इस प्रकार  शत्रु गति से बढ़ रहा है। पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था  'इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस' ( आईएसआई )ने पुरे देश में अपने एजेंटो का जाल फैला रखा है और अरबो रुपया बाँट रही है। कश्मीर को हिन्दू विहीन करने में भी आईएसआई का ही सार्वाधिक योगदान रहा था । उसे हमारे देश में छदम युद्ध करते हुए लगभग 40 वर्ष हो चुके है और हम अभी तक उसके जिहादी कारनामो को समझ ही नहीं पा रहें या समझना ही नहीं चाहते ?
हम कब तक बिगलेड बिल्ली  को आता देखकर कबूतर के समान आँखे बंद किये रहेंगे और इस प्रतीक्षा में रहेंगे कि कब वह हम पर झपट्टा (आक्रमण) मारें ?

आज अनेक स्थानों पर गाय की सुरक्षा के नाम पर वास्तविक सघर्ष से बचा जा रहा है और नित्य नये नये संगठन गाय के नाम पर बनाये जा रहे  है। इस प्रकार  अपनी सीमित शक्ति को "गाय सुरक्षा", "मंदिर निर्माण" व कथाओं के बड़े बड़े आयोजनों में समर्पित करके धार्मिक कृत्य मान कर संतोष कर लेते है। पर क्या यह पर्याप्त है ?

आज जब जिहादियो ने (दारूल इस्लाम) विश्व का  इस्लामीकरण करने के लिए मानवता का गला घोटने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है तो फिर ऐसे में गैरमुस्लिम (काफ़िर)  क्या करें ?

आज जहां एक ओर हमको धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ा कर जीवन भर सहनशील, मानवतावादी,सहिंष्णु व अहिंसक व्यवहार बनाये रखने के लिए उपदेश दिए जाते है वही दूसरी ओर जिहाद के लिए भटके हुए युवको को विभिन्न प्रकार से अमानवीय अत्याचारों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है ।
यह कैसी विडंबना है कि वे हमें इस्लामिक भाषा में  काफ़िर (एक प्रकार से बुरा आदमी व शत्रु समान) समझे, कायर समझे व हमें लुटे मारें फिर भी  हम भाईचारा निभाये, उदारता बनाये, सहिष्णुता दिखाए , अहिंसा अपनाये,मानवता निभाए इत्यादि  शोभा बढाने वाले शब्दों के जाल में फंस कर अपने भविष्य पर कालिख पोत विनाश का मार्ग अपनायें ? 

आज सभी मानवतावादी व राष्ट्रवादियो के लिए यह परम आवश्यक है कि वे    अपने अस्तित्व व भविष्य को सुरक्षित रखने के लिये घर घर जाकर इस बढ़ते हुए अमानवीय अत्याचारो से सबको अवगत करायें और सतर्क व सावधान रहकर धर्म का पालन करें ।

भवदीय
विनोद कुमार सर्वोदय
गाज़ियाबाद

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