मुंबई,। विश्व हिंदू परिषद के अथक प्रयासों के बाद विपुल प्रकाशन ने रश्मि जिजेश करनाथ , दीपा शिवजी जमींदार और रेशमा शेख परब द्वारा लिखित पुस्तक ‘विपुल्स फाउंडेशन कोर्स -१ ‘ में हिन्दू संगठनों के सम्बन्ध में विद्यार्थियों को दूषित जानकारी देने के कारण मुंबई विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से क्षमा याचना की है और पुस्तक की सभी प्रतियां वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या १३८ में लिखा गया है कि ‘ हिन्दू धार्मिक समूह जैसे शिवसेना ,हिन्दू महासभा ,विश्व हिन्दू परिषद् हिन्दुओं के हितों के अनुसार सरकार को कदम उठाने के लिए विवश करते हैं , वे सभी मुसलमानों को पाकिस्तान समर्थक और राष्ट्रद्रोही मानते हैं और अन्य सम्प्रदायों से संभावित चुनौतियों के विरुद्ध हिन्दू साम्प्रदायिकता को प्रोत्साहित करते हैं। ‘
उक्त पुस्तक में छपी इन बातों को देश एवं समाज के लिए हानिकारक बताते हुए समाजसेवक, भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी एवं विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता अमोल अशोक जाधव ने तीनों लेखकों और प्रकाशक को वैधानिक नोटिस भेजकर अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए नोटिस मिलने के तीन दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से मुंबई विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों से क्षमायाचना करने और उपरोक्त आपत्तिजनक बातों को पुस्तक से हटाने की चेतावनी दी थी। इसके सम्बन्ध में उन्होने मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति , ठाकुर महाविद्यालय की प्राचार्य , महाराष्ट्र के राज्यपाल को भी सूचना दी थी।
अमोल के अधिवक्ता प्रकाश सालसिंगीकर की नोटिस पर तीनों लेखकों ने बिना शर्त क्षमायाचना की और प्रकाशक ने अपने सभी पुस्तक- विक्रेताओं को पत्र लिखकर सभी पुस्तकों को वापस प्रकाशक के पास भेजने का अनुरोध किया है।