Saturday, November 23, 2024
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शोधकर्ताओं ने विषाद में योग के उपचारात्मक प्रभावों का पता लगाया

एक नए अनुसंधान से संकेत मिलता है कि मानक विषाद रोधी उपचार बड़े विषाद संबंधी विकार (एमडीडी) वाले रोगियों को नैदानिक और जैविक दोनों ही प्रकार से राहत प्रदान कर सकता है और इससे पहले ही राहत मिल सकती है।

बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाईंसेज (निमहन्स) के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. मुरलीधरण केसवन की अगुवाई में किए अनुसंधान ने बड़े विषाद संबंधी विकार (एमडीडी) में रोग के उपचारात्मक प्रभावों के साथ साथ संबंधित न्यूरोबायोलॉजिकल आधार पर इसके प्रभावों का आकलन किया गया है। इस शोध कार्य को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के ‘योग एवं ध्यान का विज्ञान और प्रौद्योगिकी (सत्यम)’ कार्यक्रम के तहत सहायता प्रदान की गई और इसे ‘द कनाडियन जर्नल ऑफ साइकियेटरी’ में प्रकाशित किया गया है।

निमहन्स में पहले किए गए अध्ययनों ने एमडीडी लक्षणों, संबंधित तनाव हारमोन स्तरों को घटाने तथा ब्रेन में गामा अमीनोबुटरिक एसिड (गाबा) नामक अवरोधक न्यूरोट्रांसमीटर के स्तरों एवं ब्रेन के स्वायत्त कामकाज में सुधार लाने में आशाजनक परिणाम प्रदर्शित किए हैं। इस अनुसंधान में, टीम ने विषाद के नैदानिक लक्षणों एवं संबंधित विभिन्न बायोमार्कर्स के आकलन के जरिये इसके कार्य के तंत्र पर योग उपचार की प्रभावशीलता का आलन किया है। उन्होंने 3.5 वर्षों में 70 व्यक्तियों पर गाबा कार्यकलाप (ट्रांसक्रैनियल मैग्नेटिक स्टीमुलेशन-टीएमएस), ब्लड बायोमार्कर्स (इंटरल्यूकिन स्स्टिम के रास्ते प्रतिरक्षण प्रणाली असामान्यताओं), इमोशनल प्रोसेसिंग एवं ब्रेन एक्टिविटी-फंक्शनल मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (एफएमआरआई) ऑटोमैटिक फंक्शनिंग-हार्ट रेट परिवर्तनशीलता (एचआरवी) जैसे बायोमार्कर्स का आकलन किया।

उन्होंने यह भी पाया कि योग जल्द आरंभ कर देने से अच्छा परिणाम और रोग का बेहतर निदान होता है तथा यह हल्के से मध्यम विषाद में मोनोथेरेपी के रूप में भी प्रभावी हो सकता है। विषाद के रोगियों में सुधार को बढ़ाने में योग की प्रशसनीय उपचारात्मक भूमिका के कारण, निमहन्स में दी जा रही आईपी एवं ओपी सेवाओं में विषाद वाले रोगियों के लिए नैदानिक अभ्यास में रूटीन अनुशंसा के लिए इस पर विचार किया जा रहा है।


शोध कार्य के सह लेखक:

बेंगलूरु के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाईंसेज (निमहन्स) के डॉ. गंगाधर बी.एन., डॉ. वेंकटसुब्रमनियन जी, डॉ. रोज डॉन भरथ, डॉ. सत्यप्रभा टी. एन., डॉ. किवराज उड्डुपु , डॉ. मरियम्मा फिलिप, डॉ. मोनोजीत तथा पुणे के आदित्य बिरला अस्पताल के कंसलटैंट मनोचिकित्सक डॉ. स्नेहा जे. करमाणी।

बेंगलूरु के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑॅफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाईंसेज (निमहन्स) के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. मुरलीधरण केसवन

अधिक विवरण के लिए कृपया डॉ. मुरलीधरण केसवन (drmuralidk@gmail.com) से संपर्क करें।

एक निवेदन

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