उज्जैन ( म.प्र. )। लोकभाषाएँ लोकरंजानाओं की और ले जाती हैं जो एक नदी की तरह बहकर अपना रास्ता बनातीं है।जो प्रवाहित होता है वही शुद्ध होता है तथा साहित्य के प्रवाहित होने के लिए भाषा की समस्त धाराओं की और जाना होता है। लेखन और सृजन में सृजन महत्वपूर्ण होता है क्योंकि सृजन शाश्वत होता है। यह बात विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राम राजेश मिश्र ने नौवें अखिल भारतीय शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान समारोह में अध्यक्षता करते हुए कही ।मध्य प्रदेश सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान में 30 सितम्बर,रविवार को आयोजित भव्य सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता डॉ. विकास दवे ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति में साहित्य बहुजन हिताय बहुजन सुखाय कहा गया है जबकि भारतीय दर्शन के अनुसार साहित्य सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय ही लिखा जाना चाहिए। समृध्द साहित्य सृजन के लिए श्रेय और प्रेय से दूर रहने की परंपरा रही है। आज बुद्धिजीवियों के बजाय बुद्धिधर्मी होना जरूरी है।अतिथी युवा साहित्यकार राजकुमार जैन राजन(चित्तौड़ ) ने कहा कि साहित्य सृजन किसी भी संस्कृति का अभिन्न अंग माना जाता है सदियों से हमारे यहां साहित्य को आनंद दाता ही नहीं ज्ञान का भी प्रकार माना गया है साहित्य मनुष्य को खंड खंड में नहीं पूर्णता में दिखाता है साहित्य जलती हुई मशाल है ।
शब्द प्रवाह साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक मंच उज्जैन के तत्वावधान में अखिल भारतीय पुरस्कार और सम्मान इस समारोह में प्रदान किए गये । “शब्द साधक” सम्मान साहित्यकार श्री अरविंद त्रिवेदी सनन को, “शब्द कला साधक” सम्मान श्री शरद शर्मा को, समाजसेवा सम्मान श्री राजीव पाहवा को, श्रीमती सरस्वती सिंह स्मृति सम्मान डॉ. विकास दवे (इंदौर) को एवं श्रीमती माया मालवेन्द्र बदेका शब्द प्रवाह गौरव सम्मान श्री स्वप्निल शर्मा (मनावर) को प्रदान किया गया ।
दिदियाश्री लघुकथा सम्मान श्री कमल चौपड़ा (दिल्ली) डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय स्मृति सम्मान श्री सीताराम चौहान पथिक (दिल्ली) , स्व. श्रीमती सत्यभामा शुकदेव त्रिवेदी गीतकार सम्मान डॉ, रामसनेहीलाल यायावर (फिरोजाबाद),स्व. बालशौरि रेड्डी बाल साहित्य सम्मान प्रथम डॉ सुधा गुप्ता (कटनी),द्वितीय पुरस्कार श्रीमती इंदु पाराशर (इंदौर) इजी.प्रमोद शिरढोणकर बिरहमन स्मृति नई कविता सम्मान सुश्री सरिता गुप्ता (दिल्ली) तथा इजी. प्रमोद शिरढोणकर स्मृति कहानी सम्मान श्रीमती नीतू मुकुल (जयपुर) स्व.लक्ष्मीनारायण सोनी स्मृति गजल सम्मान श्री हितेशकुमार शर्मा (बिजनौर) को प्रदान किया गया ।साथ ही मंच द्वारा साहित्य की विभिन्न विधाओं पर प्राप्त हुई पुस्तकों में से हिन्दी कविता विधा समग्र के क्षेत्र में श्री कारुलाला जमड़ा,( जावरा) की कृति ” सफर संघर्षों का” , लधुकथा के लिए श्री घनश्याम मैथिल अमृत, (भोपाल) की कृति ” एक लौहार की” व्यंग्य के लिए डॉ रवि शर्मा,(दिल्ली) की कृति ” अंगुठा छाप हस्ताक्षर” को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया ।**समारोह में व्यंग्यकार डॉ हरीशकुमार सिंह का विशेष सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया।
साहित्यिक/ सामाजिक पत्रकारिता के लिए डॉ. देवेन्द्र जोशी, राधेश्याम चौरसिया, प्रांजल शर्मा (मंदसौर), महेश सोनी(भोपाल) संपादक रत्न सम्मान प्रदान किया गया। नवोदित कलमकार मनीषा प्रधान (रीवा), रोहिणी तिवारी (कल्याण मुंबई),सौरभ जैन (तराना) को नयी कलम सम्मान प्रदान किया गया ।आयोजन का शुभारम्भ राजेश राज की सरस्वती वंदना से हुआ, स्वागत भाषण कमलेश व्यास कमल ने दिया। अतिथी स्वागत राजेश राजकिरण, भंवरलाल जैन,डॉ हरीशकुमार सिंह, अशोककुमार रक्ताले, आदी ने किया ।संचालन डॉ. राजेश रावल एवं अर्पिता जैन ने किया आभार संदीप सृजन ने माना ।