1992-93 से समाचारपत्रों की सुर्खियों में प्रतिदिन छाये रहनेवाले प्रो.अच्युत सामंत निश्चित रुप से एक विलक्षण व्यक्तित्व हैं। उनका सरल,सहज तथा आत्मीय स्वभाव ही उनकी विलक्षणता की पहली पहचान है। उनका पारदर्शी चरित्र तो उनको विलक्षण व्यक्तित्व के शीर्ष पर प्रतिष्ठत कर देता है। उनकी बहुजन हिताय,बहुजन सुखायवाली सोच भी उनके दिव्य व्यक्तित्व को महान बना देती है जिसके बदौलत वे पिछले लगभग 30 वर्षों से अपने उन बाल सहपाठियों को अपनी ओर से अच्युत सामंत पेंशन देते हैं जो आज भी अभावग्रस्त हैं। वे आत्मविश्वासी हैं। वे बडे गर्व से सामनेवाले से आंख से आंख मिलाकर बात करते हैं और उसका दिल जीत लेते हैं।उनकी सूझबूझ तथा प्रत्युत्पन्नमता तो कमाल की है।उनके उठने-बैठने,बातचीत करने,उनके व्यवहार तथा आचरण से उनके विलक्षण व्यक्तित्व का पता चलता है।
वे अपने चाहनेवालों के दिलों पर शासन करते हैं इसलिए नहीं कि वे विश्व के सबसे बडे और प्रथम आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय तथा कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर,ओडिशा के प्राणप्रतिष्ठाता हैं अपितु इसलिए कि वे दूसरों की सिर्फ अच्छाइयों को हंस की तरह चुन लेते हैं,ले लेते हैं।उनके बोलचाल की भाषा अत्यंत सरल,मृदुल तथा प्रभावकारी है।उनके पास विचार-विनयमय की अनोखी संस्कृति है।वे वक्ता कम ,श्रोता अधिक हैं।उनकी सोच सकारात्मक है।वे जरुरतमंदों की बात बडे धीरज के साथ सुनते हैं तथा उसकी मदद तत्काल करते हैं।वे अपने व्यक्तगत,पारिवारिक,सामाजिक तथा राजनैतिक जीवन की अनुकूल तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में सदैव धीरज से काम लेते हैं।संसार सुख देगा नहीं,धरती पसीजी है कहीं, जिससे हृदय को बल मिले है ध्येय उनका तो यही। यही नहीं ,उनकी विनम्रता को अनोखी है जिसका आभास उनके चेहरे की हंसी से सदैव देखने को मिलती है।वे बडे बी शांत-चित्तवाले व्यक्ति हैं।
वे अहंकारी तो बिलकुल ही नहीं हैं।उनके दिल को अगर कोई जीत सकता है तो वह उनके प्रति अपनी वफादारी तथा ईमानदारी से।यही कारण है कि उस विलक्षण व्यक्तित्व के बदौलत कीट-कीस-कीम्स शैक्षणिक समूह के लगभग एक लाख बच्चे,शिक्षक,अभिभावक तथा कर्मचारी उनको अपना आदर्श मानते हैं।
गत 28 अक्टूबर को भुवनेश्वर के गीत गोविंद सदन में कुमार पूर्णिमा ओडिया मासिक पत्रिका विश्वमुक्ति की ओर से पहली बार शारदीय बंधुमिलन एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह के रुप में मनाई गई। उसमें कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद महान शिक्षाविद् प्रो.अच्युत सामंत के अति सरल,सामान्य जीवन तथा उनकी असाधारण उपलब्धियों पर आधारित ओडिया पुस्तकः पत्र गोटालि रू एमपी: आम प्रिय अच्युत सामंत’ लोकार्पित हुई।उसकी लेखिका हैं- मिनती बाला सामंतराय जिन्होंने प्रो अच्युत सामंत को कभी देखा नहीं था अपितु उनके विलक्षण व्यक्तित्व के विषय में सुना मात्र था। मंचासीन थे प्रो अच्युत सामंत,डॉ शशांक चूडामणि,विश्वमुक्ति के सम्पादक,संरक्षकः पूर्व सांसद डॉ प्रसन्न कुमार पाटशाणी, भुवनेश्वर-कटक के पुलिस आयुक्त सौमेंद्र प्रियदर्शी, उड़िया साहित्य और संस्कृति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सत्यब्रत साहू, पूर्व मंत्री देवेन्द्र मानसिंह, उड़िया भाषा अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रो. बसंत पंडा और आदिवासी कवि मकरध्वज नायक आदि।
इस अवसर पर अखिल ओडिशा पाइक महासंघ द्वारा विलक्षण व्यक्तित्व प्रो अच्युत सामंत को कलिंग वीर सम्मान से सम्मानित भी किया गया।सच कहा जाय तो प्रो अच्युत सामंत के विलक्षण व्यक्तित्व को सफल बनाता है उनका आध्यात्मिक और सरल जीवन।इसलिए वे अपने जीवन के बाल्यकाल से लेकर 25 वर्षों तक घोर आर्थिक संकटों से बडकर स्वावलंबी बने तथा उसके उपरांत पिछले लगभग 28 वर्षों से अपना जीवन कंधमाल लोकसभा सांसद के रुप में एक सफल जननायक के रुप में तथा कीट-कीस-कीम्स के प्राणप्रतिष्ठाता के रुप में व्यतीत कर रहे हैं और उनसे मिलने तथा उनकी अद्भुत कीर्ति कीट-कीस-कीम्स को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में शिक्षाविद्,कारपोरेट जगत के भामाशाह,राजनेता,अनेक देशों के शासनाध्यक्ष,खिलाडी,वैज्ञानिक तथा समाजसेवी ओडिशा आते हैं और प्रो अच्युत सामंत के विलक्षण व्यक्तित्व के दर्शन कर अपने मानव-जीवन को धन्य करते हैं।
(लेखक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हैं और ओड़िशा की सामाजिक साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों पर नियमित लेखन करते हैं)