भारतीय प्राचीन कला, संस्कृति और पुरातात्विक वैभव को समेटे उज्जैन में स्थापित त्रिवेणी संग्रहालय अपने आपमें अदभुत और अनूठा है। पिछले साल सिंहस्थ महापर्व के दौरान उज्जैन को मिली यह ऐसी अनुपम सौगात है जो चिरस्थायी महत्व की है। त्रिवेणी संग्रहालय की परिकल्पना को जिस सुनियोजित कोशिश के साथ साकार रूप दिया गया है वह अत्यंत सराहनीय है। इसके जरिये न केवल उज्जैन और मालवा अंचल बल्कि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश को अनूठी धरोहर मिली है। उज्जैन स्थित रूद्र तालाब, जयसिंहपुरा के नजदीक विकसित त्रिवेणी संग्रहालय उज्जैन आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिये राज्य शासन की अनुपम भेंट है। इसमें भारतीय संस्कृति और पुरातत्व का एक साथ संयोजन और समावेश बखूबी किया गया है। मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने इस संग्रहालय के निर्माण में व्यक्तिगत रुचि लेकर इसे एक नया स्वरूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
त्रिवेणी संग्रहालय में भारतीय परम्परा की तीन प्रमुख शाश्वत धारा – शैवायन, कृष्णायन और दुर्गायन के रूप में भगवान शिव, कृष्ण और शक्ति की प्रतीक माँ भगवती के सभी रूपों को दर्शाया गया है। प्रदर्शनी खण्ड में माँ भगवती के 108 रूप दर्शाये गये हैं जिन्हें कलाकारों द्वारा देवियों की प्रचलित कथाओं के आधार पर साकार रूप दिया गया है। यह सभी दुर्लभ संग्रह हैं। संग्रहालय में शैव, शाक्त एवं वैष्णव दर्शन की प्राचीनतम प्रतिमाएँ संग्रहीत की गई हैं। ईश्वरीय शक्तियों के इन तीन प्रतीकों को संग्रहालय में अदभुत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। संग्रहालय में लगभग 21 सौ वर्ष पुरानी प्रतिमा संग्रहीत की गई है। इस प्रतिमा के सहित अन्य प्राचीन प्रतिमाएँ खास तौर पर मध्यप्रदेश की उन्नत और वैभवशाली स्थापत्य-कला का परिचय करवाती है।
संग्रहालय में एक स्थान पर सुदामा जी को सिंहासन पर बैठा दिखाया गया है और भगवान श्रीकृष्ण नीचे बैठे हुए हैं। इसके जरिये यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि पहले आप सुदामा बनें तभी आप कृष्ण को पा सकते हैं। इस प्रकार के अनेक चित्रण प्रदर्शनी गैलरी में प्रदर्शित किये गये हैं, जो अदभुत हैं और वर्तमान युग के लिये प्रेरणा-स्त्रोत हैं।
त्रिवेणी संग्रहालय को उसकी मूल अवधारणा और परिकल्पना के साथ साकार रूप देने में देश के विश्व ख्यातिप्राप्त आधुनिक और पारम्परिक शिल्पकारों, आकल्पकों, चित्रकारों और परिकल्पनाकारों की असाधारण भूमिका और उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है। प्रदेश के ओरछा में स्थापित रामायण संग्रहालय के बाद त्रिवेणी संग्रहालय की उज्जैन में स्थापना एक सफल कोशिश है।
भारतीय पुरा-वैभव और संस्कृति में रुचि-रुझान रखने वाले पर्यटकों और श्रृद्धालुओं के लिये उज्जैन में अन्य दर्शनीय स्थलों और मंदिरों के साथ त्रिवेणी संग्रहालय भी एक अनुपम दर्शनीय स्थल के रूप में है।