आरआरआर फिल्म 400 करोड़ का खूबसूरत झूठ है… जिसने जिहादियों की लंका जलाई उसे ही राजमौली ने जिहादी बनाकर जनता के सामने पेश कर दिया… इसका मतलब दाऊद के आदमियों ने साउथ की फिल्मों में भी अपना एजेंडा घुसेड़ना शुरू कर दिया है
– इतिहास से तोड़मरोड़ की बातें तो सुनी थीं लेकिन पहली बार देखा कि RRR के निर्देशक राजामौली ने इतिहास को परिहास में बदल दिया… या यूं कहें कि इतिहास को इतिहास्य में बदल दिया… या यूं कहें कि इतिहास का ही सामूहिक बलात्कार और हलाला कर डाला
-फिल्म बनी है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोमाराम भीम पर. जिनका जन्म 1900 में उस दौर की हैदराबाद स्टेट में हुआ था। आज के भारत में इनका जन्मस्थान तेलंगाना में पड़ता है । कोमाराम भीम एक गोंड आदिवासी लीडर थे और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी निजाम मीर उस्मान अली खान की मुस्लिम सेनाओं से संघर्ष करते हुए बिताई और वीरगति को प्राप्त होकर अमर हुए
-कोमाराम भीम मुसलमानों से बहुत ज्यादा नफरत करते थे क्योंकि उनकी आदिवासी बेटियों का निजाम के मुस्लिम सैनिकों ने अपहरण, बलात्कार और धर्मांतरण किया था । लेकिन फिल्म में इतिहास को सिर के बल उल्टा कर दिया गया है और ये दिखाया गया है कि कोमाराम भीम ने एक मुस्लिम परिवार के यहां पर शरण ली। एक मुस्लिम के पैर छुए और मुस्लिम के साथ एक ही थाली में मांस खाया और जानवरों की हत्या कर उनका मांस अपने कंधे पर लादा… जबकि असली बात ये है कि कोमाराम राजू पर पुराणों का बहुत ज्यादा प्रभाव था। उनके गुरु भी संत थे,वो पशुओं पर अत्याचार नहीं करते थे। वो खुद को महाभारत के किरदार भीम का वंशज मानते थे… और उनको इस्लाम से बहुत ज्यादा नफरत थी क्योंकि इस्लामिक शासन में मुसलमान सैनिक हिंदुओं… आदिवासियों का दमन कर रहे थे… हिंदू आदिवासी औरतों के सामने ही उनके बच्चों का कत्ल करके उनको यौनदासी बना रहे थे… उनका बलात्कार कर रहे थे… जबरन निकाह धर्मांतरण ये सब निजाम के राज में खुल्लेआम चल रहा था…. और निजाम के इसी अत्याचार के खिलाफ कोमाराम भीम हिंदुओं और गोंड आदिवासी समाज के बहुत प्रचंड आवाज बनकर उभरे थे
-निजाम के तालुकदार अब्दुल सत्तार के खिलाफ कोमाराम भीम ने युद्ध किया था। कोमाराम भीम गोरिल्ला युद्ध लड़ते थे इसलिए उनको तलाश करने के लिए निजाम के मुस्लिम और जिहादी सैनिकों ने कोमाराम भीम के परिवार की औरतों को अपने जूतों और बूटों से और डंडों से पीटा था । कोमाराम भीम के परिवार की औरतों के साथ मुसलमानो ने रेप किया लेकिन जिहादियों के हाथ बिक गए लालची राजमौली ने कोमाराम भीम को ही मुस्लिम टोपी में दिखा दिया जो नितांत निंदनीय है इतिहास के साथ इतने बड़े फरेब की सजा मेरी नजर में मौत ही होनी चाहिए इस फिल्म का गोंड आदिवासियों ने खूब विरोध भी किया था लेकिन 400 करोड़ की इस फिल्म ने लोगों की आंखें ऐसी चकाचौंध कर दी कि किसी को भी आदिवासियों का विरोध नजर नहीं आया ।
फिल्म शुरू होते ही गोल गोल टोपियां नजर आने लगती है। ये सारी गोल गोल टोपियां अंग्रेजों का विरोध करते हुए दिखाई गई हैं जो कि पूरी तरह से झूठ है। सच्चाई ये है कि 1857 में अगर अंग्रेज हारते और मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का राज आता तो फिर वही मुगलिया दौर वापस आता जिसमें हिंदुओं के मंदिर तोड़े गए थे। टीपू सुल्तान की तलवार पर लिखा था कि ये तलवार काफिरों के वध के लिए है। वो आजादी का योद्धा नहीं बल्कि एक जिहादी आतंकवादी और हिंदू विरोधी था। जो इस्लाम के लिए लड़ रहा था, सच ये है कि 1857 का युद्ध हारने के बाद मुसलमान पूरी तरह से अंग्रेजों की चापलूसी में लग गए। जब वो ये जान गए कि अब लोकतंत्र आएगा और उनका एक वोट एक ही गिना जाएगा तो पूरा मुस्लिम समाज मुस्लिम लीग और जिन्ना के पीछे खड़ा होकर देश बांटने की मुहिम में लग गया । मौलाना आजाद जैसे कांग्रेस नेता जिंदगी भर जिन्ना का साथ देने वाले हिंदुस्तान के मुसमलानों को कोसते रहे ।
मौलाना आजाद खुद भी एक जिहादी था और वो हजारों मुसमलानों को भड़काकर खलीफा का साथ देने के लिए तुर्की भेज रहा था लेकिन अफगानिस्तान में ही पठान मुसलमानों ने हिंदुस्तानी मुसमलानों की बीवियों से बलात्कार शुरू कर दिए जिसके बाद हिंदुस्तान के मुसलमानों के सिर पर चढ़ा खिलाफत का भूत उतरा । जब मुस्लिम लीग जैसी पार्टियों में मौलाना आजाद फेल हो गया तो वो बेहद चालाकी से गांधी का चेला बन गया । बाद में यही जिहादी मौलाना आजाद देश का लगातार कई बार शिक्षामंत्री बना और मुगलों का महिमामंडन इतिहास की किताबों में करके कब्रिस्तान में दफन हो गया ।
-इस झूठ का पर्दाफाश होना चाहिए कि मुसलमानों का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान है । दरअसल मुसलमान झूठ बोलते हैं ताकी वो भारत में अपने हिस्से को एक कानूनी वैधता दिखा सकें जबकि सच तो ये है कि वो पहले ही हिंदुओं के कत्लेआम की धमकी देकर भारत को तोड़कर इस्लाम के नाम पर एक मुल्क पाकिस्तान बना चुके हैं । और अब एक बार फिर पूरे भारत में गजवा ए हिंद का ख्वाब देख रहे हैं
– फिल्म में एक मुसलमान किरदार को इतना सहृदय दिखाया गया है जो किसी को भी हजम नहीं हो सकता है… पूरी दुनिया में मुसलमान बम धमाके कर रहा है लव जिहाद कर रहा है जिस देश में रहता है उस देश की मिट्टी से गद्दारी करता है…. 5 टाइम मक्का मदीना की तरफ सिर झुकाता है और काफिर सरकारों से सरकारी दूध मलाई काटकर… देश से गद्दारी करता है आईएसआई की जासूसी करता है । लेकिन फिल्म में उसे बिलकुल मासूम खरगोश दिखाया गया है जो कि एक झूठा प्रोपागेंडा है और हिंदुओं की आंखों में पट्टी बांधने के लिए है ताकी आतंकवादियों और जिहादियों के द्वारा उन्हें आसानी के साथ कत्ल किया जा सके… जैसा कि आतंकवाद के माध्यम से मनमोहन राज और पहले मुगल राज में भी होता रहा ।
-आप लोग खुद किताब लेकर ये इंटरनेट पर विश्व ज्ञान कोश में जाकर कोमाराम भीम के बारे में पढ़ लीजिए लेकिन कृपया जिहादियों के हाथों बिक चुके इस राजामौली की फिल्में ना देखिए….
-फिल्म के आखिर में दिखाया गया है कि अभिनेता भगवान राम के रूप में नजर आने लगता है । सच ये है कि पूरी जिंदगी कोमाराम भीम भगवान राम जैसे वेष में ही रहे थे । लेकिन ये सच आखिर में हल्का सा दिखाया गया ताकी हिंदुओं की कृपा प्राप्त की जा सके । इस धूर्त राजमौली ने बनारस का दौरा करके हम सबको चकमा दे दिया कि फिल्म हिंदू भावना से ओतप्रोत है और हजारों करोड़ रुपए हिंदुओं से कमा लिया
-अब तो यही कहना होगा कि राजमौली की भी अंडरवर्ल्ड से डील हो चुकी है । दाऊद के आदमियों ने साउथ की फिल्मों में भी अपना एजेंडा घुसेड़ना शुरू कर दिया है
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