जाने-माने संतूरवादक पंडित भजन सोपोरी ने अपनी पसंद की पांच किताबों के बारे में बताया है, जो उनके दिल के बेहद करीब हैं। स्मरण रहे कि सोपोरी का जन्म जम्मू कश्मीर में 1948 में हुआ। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक सूफियाना घराने से ताल्लुक रखते हैं। उनके परिवार की छह पीढ़ियां संतूर वादन की साधना को समर्पित रही हैं। श्री सोपोरी ने प्रयाग संगीत समिति और इलाहाबाद विश्विद्यालय के तत्वावधान में आयोजित समारोह में पहली बार मात्र दस वर्ष की अवस्था में अपनी प्रस्तुति से लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था। उनके सुपुत्र अभय रुस्तम सोपोरी भी कुशल संतूर वादक हैं। पिता-पुत्र ने अनेक साझा कार्यक्रम भी दिए हैं। उन्होंने वाशिंगटन विश्व विद्यालय में भी संगीत की शिक्षा दी है। संगीत के माध्यम से उन्होंने जम्मू कश्मीर का रिश्ता शेष भारत से मज़बूत बनाने तथा मानवता को एकसूत्र में बाँधने में अहम भूमिका निभायी है।
बहरहाल, आइये सोपोरी जी के शब्दों में ही देखते हैं इस किताबों में उनकी पसंद का अक्स आखिर किस तरह उभरता है। यानी समझने की कोशिश करें कि एक मशहूर संगीतकार को ये गौरव ग्रन्थ किसलिए पसंद हैं।
मदर
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रूसी लेखक गोर्की के इस कालजयी उपन्यास को पसंद करने की एक बहुत बड़ी वजह यह है कि इसमें एक महिला के संघर्ष जैसे बेहद संवेदनशील विषय को बड़ी ही खूबसूरती के साथ पेश किया गया है। आमतौर पर मैं किसी किताब को उसके लेखक की बैकग्राउंड देखने के बाद ही पढ़ता हूं। गोर्की का राइटिंग स्टाइल मुझे बहुत अपील करता है, यह भी एक बड़ी वजह है मदर को पसंद करने की। नॉवेल का मुख्य चरित्र एक बेहद दबी-कुचली और कम पढ़ी-लिखी महिला है, जिसके जरिए लेखक ने दुनिया भर की वर्किंग क्लास को एड्रेस किया है।
गोदान
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आधुनिक भारतीय साहित्य का सबसे महान उपन्यास है गोदान। अपने दौर की सामाजिक-आर्थिक दिक्कतों के अलावा गरीब ग्रामीणों के शोषण की कहानी पढ़ने वाले के दिल को छू जाती है। किसी रचना का सर्वकालीन होना उसकी एक बड़ी कामयाबी होता है और प्रेमचंद के इस उपन्यास का मुख्य पात्र होरी आज भी आपको नजर आ जाएगा। क्या खूब लिखा है प्रेमचंद ने, मानो एक-एक शब्द को तराशा हो फिर उसे प्रयोग किया हो। एक जुमला है, सबसे सही जगह पर सबसे अच्छे शब्द। बस इसी का दर्शन कराती है यह रचना।
हैमलेट
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हैमलेट का जिक्र चलने पर टु बी ऑर नॉट टु बी का जुमला जरूर याद आता है। गौर से देखें तो हमारी जिंदगी में यह टु बी ऑर नॉट टु बी की उलझन हमेशा से रही है और जब तक मानवता रहेगी, यह उलझन हमेशा कायम रहेगी और छोटी से छोटी बातों में रहेगी। दुनिया की इस सर्वश्रेष्ठ ट्रैजिडी में शेक्सपियर ने प्रेम, नफरत और लालच के जिन भावों का चित्रण किया है, वे सार्वभौमिक हैं, हमारी आपकी हर किसी की जिंदगी से जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि यह रचना हर आम पाठक की ट्रैजिडी बनकर रह जाती है।
पंचतंत्र
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इंसानी स्वभाव, उसकी सोच और उसके मस्तिष्क की छोटी से छोटी परत को समझना है, तो पंचतंत्र जरूर पढ़नी चाहिए। बेशक इस किताब को बच्चों को संबोधित करके लिखा गया है, लेकिन इसकी छोटी-छोटी कहानियों में भी जिंदगी का ऐसा फलसफा छिपा है, जो कहीं और दुर्लभ है। लेखक कहानियों के माध्यम से आम जिंदगी की समस्याओं को उभारता है और फिर उनका हल पेश कर देता है। सब कुछ ऐसा लगता है मानो हम सबकी जिंदगी से जुड़ा हो। लेखक की सोच, उसकी कल्पना की उड़ान वाकई काबिलेतारीफ है।
भगवद् गीता
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गीता में एक अध्याय है जिसमें अर्जुन भगवान कृष्ण की उपासना करता है। एक बार इस अध्याय को मैंने संगीतबद्ध किया था। जाहिर है, किसी रचना को संगीतबद्ध करने की प्लानिंग आप तभी कर सकते हैं, जब वह आपके दिल के बेहद करीब हो। किताब बताती है कि कुरुक्षेत्र कहीं और नहीं, हमारे मन के भीतर ही है और हमें रोज उसका सामना करना पड़ता है। जब तक मानवता रहेगी, गीता में कही गई एक-एक बात हमारे सबके जीवन पर लागू होती रहेगी और उसे सही दिशा दिखाती रहेगी।
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