नई दिल्ली। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने IFMR में अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (J-PAL) दक्षिण एशिया को ‘समावेशी आजीविका’ कार्यक्रम हेतु एक नोलेज पार्टनर के रूप भागीदार बनाया है। यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता के मार्ग पर लाने के लिए डिज़ाइन किया गया एक व्यापक आजीविका कार्यक्रम है।
एमओआरडी – एमओयू
‘समावेशी आजीविका’ कार्यक्रम BRAC के ग्रेजुएशन एप्रोच के अनुकूल काम करेगा, जो एक व्यापक आजीविका कार्यक्रम है। यह J-PAL और इनोवेशन फॉर पॉवर्टी एक्शन से संबंद्धित शोधकर्ताओं द्वारा यादृच्छिक मूल्यांकन को सबसे गरीब परिवारों को अत्याधिक गरीबी से बाहर निकालने में प्रभावी पाया गया है। इस साझेदारी के हिस्से के रूप में, J-PAL दक्षिण एशिया भारत में समावेशी आजीविका का विस्तार करने के लिए निर्णय लेने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य और डेटा का उपयोग करने में MoRD का समर्थन करेगा।
‘समावेशी आजीविका में व्यवसाय प्रशिक्षण, जीवन-कौशल कोचिंग और अल्पकालिक वित्तीय सहायता शामिल होगी और इसे MoRD के प्रमुख आजीविका कार्यक्रम दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के माध्यम से पूरे भारत में ग्रामीण महिलाओं को प्रशासित किया जाएगा।
समझौता ज्ञापन पर चरणजीत सिंह, अतिरिक्त सचिव, ग्रामीण आजीविका, ग्रामीण विकास मंत्रालय, स्मृति शरण, संयुक्त सचिव, ग्रामीण आजीविका, ग्रामीण विकास मंत्रालय, निवेदिता प्रसाद, उप सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, रमन वाधवा, निदेशक, डीएवाई-एनआरएलएम, और उषा रानी, आईबीसीबी एसआईएसडी और एचआर, एनआरएलएम, शोभिनी मुखर्जी, कार्यकारी निदेशक, जे-पाल दक्षिण एशिया एवं शरण्या चंद्रन, निदेशक, नीति और संचार, जे-पाल दक्षिण एशिया की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
इस साझेदारी का प्रमुख उद्देश्य एक ऐसे ईको सिस्टम का निर्माण करना है जो विस्तृत साक्ष्य साझा करने, ज्ञान अंतराल को पाटने और राष्ट्रव्यापी विभिन्न राज्यों और संदर्भों में ग्रेजुएशन अपरोच को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने की दिशा में काम कर सके। चरणजीत सिंह, अतिरिक्त सचिव, ग्रामीण आजीविका, ग्रामीण विकास मंत्रालय, ने कहा कि किसी भी कार्यक्रम को वास्तविक समय में फीडबेक प्राप्त होना महत्वपूर्ण है और यह समझौता ज्ञापन इस प्रक्रिया में मदद करेगा। J-PAL दक्षिण एशिया महिलाओं पर केन्द्रित विकास पर काम करने के लिए NRLPS-DAY-NRLM के भीतर नए शोध करने और डेटा उपयोग को संस्थागत बनाने हेतु MoRD के साथ मिलकर एक जेंडर इम्पैक्ट लैब भी स्थापित करेगा।
MoRD के साथ J-PAL दक्षिण एशिया की साझेदारी ASPIRE द्वारा समर्थित है जो कि बड़े पैमाने पर प्रभावशाली बदलाव लाने के लिए J-PAL दक्षिण एशिया और वेदीस फाउंडेशन की एक संयुक्त पहल है। भारत सरकार का डीएवाई-एनआरएलएम विश्व के सबसे बड़े सामुदायिक जुड़ाव प्रयासों में से एक है, जिसने 90.4 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों और 4 लाख से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के गठनों में 9.99 करोड़ से अधिक महिलाओं को संगठित किया है। यह कार्यक्रम स्थायी आजीविका को बढ़ावा देता है और महिलाओं को अपनी बचत करने में मदद करता है। लेकिन इन सबसे ऊपर, यह उन्हें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है।
नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी सूचकांक प्रगति रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत ने पिछले एक दशक में अत्यधिक वनरेबिलिटी को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है लेकिन लगभग 19.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में रहना जारी रखते हैं। पहली बार 2002 में बांग्लादेश में लागू किए गए ग्रेजुएशन अपरोच को J-PAL और इनोवेशन फॉर पॉवर्टी एक्शन से संबद्ध शोधकर्ताओं द्वारा सात देशों में गहनता से परीक्षण किया गया है। उनके निष्कर्षों से पता चलता है कि समर्थन का पूरा पैकेज प्राप्त करने वाले परिवारों में अधिक खर्च करने की क्षमता आई, वे नियमित रूप से खाते हैं, और उनकी उच्च आय और बचत हुई।
भारत में पश्चिम-बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में J-PAL के सह-संस्थापकों और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो के नेतृत्व में एक मूल्यांकन में पाया गया कि कार्यक्रम का प्रभाव एक दशक बाद भी बना रहा। 2015 और 2019 के बीच, J-PAL दक्षिण एशिया और NGO बंधन-कोननगर ने झारखंड, ओडिशा, राजस्थान और बिहार में ग्रेजुएशन अप्रोच मॉडल को प्रायोगिक आधार पर शुरु किया।
आज ग्रेजुएशन अप्रोच जैसे साक्ष्य आधारित कार्यक्रमों की तत्काल आवश्यकता है । इनके व्यापक प्रभाव व लाभ पाने के लिए कई क्षेत्रों में लागू करने की ज़रूरत है। J-PAL दक्षिण एशिया की कार्यकारी निदेशक शोभिनी मुखर्जी ने कहा, “ग्रेजुएशन अपरोच महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए भारत सरकार के विज़न के लिए एक बड़ा बढ़ावा है। MoRD ने अपने निर्णय लेने में वैज्ञानिक साक्ष्य और डेटा को अपनाने में अभूतपूर्व नेतृत्व दिखाया है। समावेशी आजीविका एक शक्तिशाली अनुस्मारक है कि सरकारों, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिक समाज संगठनों का एक मजबूत ईको सिस्टम बड़े पैमाने पर प्रभाव डालने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”
J-PAL दक्षिण एशिया बंधन-कोननगर के साथ मिलकर सतत जीविकोपरजन योजना (SJY) के विस्तार का समर्थन करने के लिए 2018 से बिहार सरकार के JEEViKA के साथ काम कर रहा है। अनुमान है कि यह दुनिया में ग्रेजुएशन अपरोच का सबसे बड़ा सरकार के नेतृत्व वाला स्केल-अप है। SJY पूरे बिहार में 2024 तक 200,000 महिला-प्रधान परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखता है। J-PAL साउथ एशिया SJY के कार्यान्वयन से अपने निष्कर्ष और अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए राज्य सरकारों और नागरिक समाज संगठनों को मिलाकर MoRD के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ भी सहयोग करेगा।
जे-पाल दक्षिण एशिया के बारे में
अब्दुल लतीफ़ जमील पोवर्टी एकशन लेब(जे-पाल)अमेरिका स्थित एक विश्व्यापी शोध संस्था है है जो की शोध द्वारा गरीबी उन्मूलन से जुड़े साक्ष्य और प्रमाणों को सरकारों तथा संस्थाओं से साझा करती हैं जिससे की गरीबी उन्मूलन से जुड़े प्रयास को कारगर और सदृढ़ बनाया जा सके! विश्व भर के अग्रणी विश्वविद्यालयों से जुड़े करीब 870 प्राध्यापक और शोधकर्ता इस मुहीम का हिस्सा हैं जो अपने रेण्डमाइज़्ड कण्ट्रोल ट्रायल पर आधारित अनुसंधान के उपयोग से गरीबी उन्मूलन की दिशा में जटिल सवालों के उत्तर तलाश रहे हैं।
अब्दुल जमील पाँवर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) की स्थापना 2003 मे मेसेच्युसेट्स इंस्टीटयूट आफ़ टेक्नोलोजी अमेरिका में की गई थी। जे-पाल के दुनिया भर में सात क्षेत्रीय कार्यालय हैं, ज-पाल दक्षिण एशिया का कार्यालय चेन्नई में Institute for Financial Management and Research (IFMR) में स्थित है। भारत में जे-पाल कई सरकारी संगठनों और विभागों के साथ 20 से ज्यादा राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में मिल के शोध के नए विषयों और सवालों साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की दिशा में साझदारी तथा प्रक्षिशण के विभिन्न आयामों और अवसरों पर मिल के काम कर रहा है।
वेदीस फाउंडेशन के बारे में
वेदीस फाउंडेशन प्रौद्योगिकी पर और बड़े पैमाने पर स्थायी प्रभाव पैदा करने की नीति काम करने वाले संगठनों का समर्थन करता है। गहरे और अपरिवर्तनीय सामाजिक परिवर्तन बनाने के मिशन के साथ फाउंडेशन प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण पर सरकारों के साथ सीधे काम करता है। फाउंडेशन इस प्रकार के काम करने वाले संस्थानों का समर्थन करने के लिए एक साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण अपनाता है। यह औसत दर्जे का बाहरी प्रभाव प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ निवेशों के लिए विश्लेषणात्मक कठोरता और एक सहयोगी भावना लाने की उम्मीद करता है।
एक सफल तकनीकी उद्यमी और आईआईटी दिल्ली और आईआईएम कलकत्ता के पूर्व छात्र विक्रांत भार्गव द्वारा स्थापित, वेदीस फाउंडेशन ने कई राज्य सरकारों के साथ प्रत्यक्ष (और अप्रत्यक्ष रूप से) काम किया है और 100 से अधिक संगठनों का समर्थन किया है। इस में LetzChange.org का गठन भी किया गया है जो अब एक तकनीकी प्लेटफॉर्म है जो गिवइंडिया के रिटेल फंडरेसिंग प्लेटफार्म को मजबूत बनाता है।
ज्यादा जानकारी के लिये विज़िट करें www.povertyactionlab.org/south-asia