Wednesday, December 25, 2024
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एस. आर.रंगनाथन एक योग्य शिक्षक थे ः प्रो. सुधीर कुमार

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबिनार में विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफ़ेसर सुधीर कुमार ने कहा किपद्मश्री डाक्टर एस. आर.रंगनाथन एक योग्य शिक्षक थे और उन्होने अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया। रंगनाथन जी ने विक्रम विश्वविद्यालय में दो वर्ष विज़िटिंग प्रोफ़्रसर के रूप में पढ़ाया था, यह बात पूरे मालवा के लिए आज भी गौरव की बात है प्रो. सुधीर कुमार डाक्टर बी.आर. अंबेडकर सामाजिक़ विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा डॉ. एस. आर. रंगनाथन कीं १२९ वी जन्मतिथि एवं राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस के अवसर पर ´रंगनाथन के विचार और दर्शन पर दिवसीय वेबीनार को सम्बोधित कर रहे थे ।

वेबीनार में बीज वक्तव्य देते हुए प्रो. किशोर जॉन ने कहा कि रंगनाथन ने फ़ाइव लॉ का सिद्धांत प्रतिपादित किया था। वे संस्कृत के पंचाक्षर को लेकर चारों दिशाओं की बात करते थे हालाँकि उनके दर्शन में पाश्चात्य का भी समावेश था और कहा जाता था कि उनका झुकाव धर्म की ओर भी था |

राष्ट्रीय वेबिनार के आरम्भ में कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं कुलपति प्रोफ़ेसर आशा शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत किया और उनका परिचय दिया । प्रो. शुक्ला ने आज के दिन को विशेष महत्व का बताते हुए कहा कि किताबों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। आज भले ही हम ईबुक्स की दुनिया में आ गाए हैं लेकिन पढ़ वहाँ भी किताब रहे है। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर शुक्ला ने इंदोर डिविज़न के लायब्रेरी संघ के अध्यक्ष डॉ. जी. डी. अग्रवाल को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

जम्मू यूनिवर्सिटी में लायब्रेरी विभागाध्यक्ष प्रो संगीता गुप्ता ने कहा कि डॉ. रंगनाथन लाइब्रेरी साइंस के मसीहा थे।वे अपने पूरे जीवन अपने प्रोफ़ेशन के लिए समर्पित रहे।ग्रेट थिंकर रंगनाथन के प्रयासों से 1948 में पहली पब्लिक लाइब्रेरी मद्रास में स्थापित हुआ। इसके बाद देश के 28 राज्यों में क़ानून बनाकर पब्लिक लाइब्रेरी की स्थापना हुई। प्रो गुप्ता ने कहा कि लाइब्रेरी साइंस में वे बाय लक नहीं बल्कि बाय चोईस आए थे।

यह बात मोहनलाल सुखाड़िया विश्ववद्यालय के सहायक प्रोफ़ेसर डॉ. प्रभात सिंह राजपुत ने कहा कि रंगनाथन ने अपने जीवन में लाइब्रेरी साइंस बहुत कुछ दिया है। उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व है कि उनके बताए रास्ते पर चल कर लाइब्रेरी साइंस को समृद्ध करें। श्री राजपूत ने एक अच्छे विध्यार्थी के रूप में अर्जुन का उदाहरण प्रस्तुत किया । वेबीनार का संचालन डॉ.चेतना बोरीवाल ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ. दीपक कारभारी ने किया।

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