सलमान खान से जुड़े 13 साल पुराने हिट एंड रन केस में फैसला आ चुका है। दोषी करार दिए गए सलमान को पांच साल की कैद हुई है। हालांकि, सलमान को हाईकोर्ट से दो दिन की अंतरिम जमानत मिल चुकी है। वैसे, इस फैसले के बावजूद पीड़ितों को कोई खास खुशी नहीं है। उनका मानना है कि इससे उनकी तबाह हुई जिंदगी वापस पटरी पर आने वाली नहीं है।
कौन हैं पीड़ित: इस मामले में पांच पीड़ित हैं। पहले, नुरुल्लाह शरीफ जो हादसे में मारे गए। इस हादसे में चार लोग और घायल हुए थे। ये थे मोहम्मद अब्दुल्ला शेख, मन्नू खान, मोहम्मद कलीम इकबाल पठान, मुस्लिम नियामत शेख। इन चारों ने पुलिस को बताया कि सभी को 3-3 लाख रुपए बतौर मुआवजा मिले, लेकिन इसमें से उन्हें 1.2 लाख रुपए कानूनी फीस के तौर पर चुकाने पड़े। बता दें कि ये चारों ही हिल रोड स्थित एक बेकरी में काम करते थे।
मोहम्मद अब्दुल्ला शेख
शेख ने हादसे के बाद पुरानी बेकरी में नौकरी छोड़ दी। अब ये बांद्रा की एक बेकरी में काम करते हैं। शेख के मुताबिक, वह मामले में फैसला आने को लेकर बहुत ज्यादा आशान्वित नहीं थे। उन्होंने कहा, ''यह फैसला मेरी जिंदगी नहीं बदलने वाला है। फिर इस बात की क्या चिंता करना? अगर मैं अपनी जिंदगी तबाह करने को लेकर एक्टर के खिलाफ कुछ बोलता हूं तो किसे परवाह है? शुरुआत में मेरी उनके प्रति बहुत कड़वी राय थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। मैं नहीं चाहता कि उनको सजा हो, क्योंकि इससे मेरी कोई मदद नहीं होगी। हम तो बस यह चाहते हैं कि वह हमारी मदद करें।''
'सलमान गरीबों के मददगार, सच नहीं'
शेख ने बताया, ''शुरुआत में मैं सलमान को बहुत भला-बुरा कहता था, लेकिन धीरे-धीरे उनके प्रति मेरी बुरी भावना खत्म होती गई। हालांकि, जब भी एक्सीडेंट का जिक्र होता तो ऐसा लगता कि किसी ने दुखती रग दबा दी हो। वैसे, मैंने धीरे-धीरे सच्चाई को कबूल कर लिया। वे बड़े लोग हैं। हम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। हमने सलमान के बारे में अपने गांव और मुंबई में बहुत कुछ अच्छा भी सुना है। मैंने सुना है कि वह गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। हालांकि, उन्होंने हमारे लिए कुछ नहीं किया। सोचता था कि वह मेरे परिवार के पास आएंगे और हमारी मुश्किलों को समझते हुए मदद करेंगे, लेकिन अब तो यह सपने जैसा ही लगता है। मुझे लगता है कि सलमान द्वारा मदद करने से जुड़ी खबरें झूठी हैं।"
हादसे में घायल होने के बाद वह कुछ महीने अस्पताल में रहे, इसके बाद वह यूपी चले गए। शेख जब वापस लौटे तो उस बेकरी के मालिक ने उन्हें नौकरी देने से इनकार कर दिया, जहां वह पहले काम करते थे। इसके बाद उन्होंने दूसरी बेकरी में नौकरी शुरू की। यहां उनके साथी उन्हें चिढ़ाने के लिए अखबार में छपी सलमान की फोटो शेख के काम करने वाली जगह पर चिपका देते थे। आखिर में शेख कहते हैं कि उनके जैसे लोग पूरी जिंदगी अपनी रोजी-रोटी कमाने और परिवार की गुजर-बसर करने में बिता देते हैं। उनके पास किसी केस पर नजर रखने या फैसले का इंतजार करने का वक्त नहीं है।