मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पुजारियों के खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्रवाई के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने एक तरफ जहां आरोप लगाया है कि धर्मनिरपेक्षता के प्रदर्शन के लिए ऐसा किया गया है वहीं उसने मोदी सरकार को चुनौती दी है कि वह चर्चों और मस्जिदों के खिलाफ कार्रवाई करके दिखाए।
मोदी सरकार पर शिवसेना का हमला
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया, ‘अपनी धर्मनिरपेक्षता दिखाने की खातिर मोदी सरकार पुजारियों को टारगेट कर रही है। मोदी सरकार अब कांग्रेस, लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह की धर्मनिरपेक्षता से एक कदम आगे निकल चुकी है। इनकम टैक्स अधिकारियों के पास चर्चों, मदरसों और मस्जिदों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने का माद्दा नहीं है जहां धर्मांतरण की खातिर दूसरे मुल्कों से कालाधन आ रहा है।’
संपादकीय में आगे कहा गया, ‘हम भारत में कालेधन पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हिंदू समुदाय को निशाना मत बनाइए। त्र्यंबकेश्वर के पुजारी कई तरह की पूजा के जरिए पैसा कमा रहे हैं। उनकी कमाई का जरिया आसान नहीं है। महाराष्ट्र में शिरडी, पंढरपुर, अष्टविनायक जैसे कई धार्मिक स्थल हैं जहां पुजारी अपना काम कर रहे हैं। क्या ये सभी मोदी सरकार के लिए आरोपी हैं?’
यह है मामला
दरअसल, आईटी डिपार्टमेंट ने नौ अन्य लोगों सहित नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर के दो प्रमुख पुजारियों को एक नोटिस भेजा है। यह नोटिस कालेधन के खिलाफ चल रही कार्रवाई के संदर्भ में है और इसमें पुजारियों के पास कथित बेहिसाब नकदी की बात कही गई है। इन दोनों पुजारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। आईटी अधिकारियों का अनुमान है कि इन पुजारियों के पास 2.3 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति है।
वोटबैंक की राजनीति
शिवसेना के मोदी सरकार पर हमले के पीछे की वजह चुनावी राजनीति बताई जा रही है। दरअसल, बीएमसी के चुनाव होने वाले हैं और इस मुद्दे को उठाकर शिवसेना हिंदू कार्ड खेलना चाहती है।