Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeराजनीतिसेवा दल को कांग्रेस की तवज्जो मिली

सेवा दल को कांग्रेस की तवज्जो मिली

देश में कुछ संगठन ऐसे हैं, जो निस्वार्थ भाव से जन सेवा के काम में जुटे हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल भी एक ऐसा ही संगठन है, जो मुश्किल वक़्त में लोगों की मदद करता है। कहीं बाढ़ आए, सूखा पड़े या फिर कोई और मुसीबत आए, संगठन के कार्यकर्ता राहत के कामों में बढ़ चढ़कर शिरकत करते हैं। दरअसल, जंगे-आज़ादी के वक़्त वजूद में आए इस संगठन का मक़सद ही सामाजिक समरसता को बनाए रखना और देश के नवनिर्माण में योगदान देना है। समाज सेवा के साथ-साथ कांग्रेस को मज़बूत करने में भी इसने अपना अहम किरदार अदा किया है।

पिछले कुछ अरसे से कांग्रेस की अनदेखी के शिकार इस संगठन की गतिविधियां फिर से तेज़ हो गई हैं। कांग्रेस ने अब अपने आनुषांगिक संगठन सेवा दल पर तवज्जो देनी शुरू कर दी है। यह संगठन हर महीने के आख़िरी रविवार को देशभर के एक हज़ार क़स्बों, शहरों और महानगरों में ’ध्वज वंदन’ कार्यक्रम करेगा। इन कार्यक्रमों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी आदि के सिद्धांतों और विचारों को जनमानस के सामने रखा जाएगा और उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा की जाएगी।

हाल में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने सेवा दल के प्रस्तावों को अपनी मंज़ूरी दी है। उन्होंने सेवा दल के पदाधिकारियों को यक़ीन दिलाया है कि पहले की तरह ही यह संगठन आज़ाद होकर काम करेगा। सेवा दल की कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में संगठन के पदाधिकारियों ने उनके समक्ष कई प्रस्ताव रखे थे, जिसे उन्होंने मंज़ूर कर लिया।

सेवा दल के मुख्य संगठक लालजी भाई देसाई का कहना है कि सेवा दल अब पहले की तरह सक्रिय नहीं है। अब तो सेवा दल को कांग्रेस के कार्यक्रमों की ज़िम्मेदारी भी नहीं दी जाती है। मौजूदा हालात को देखते हुए सेवा दल को फिर से खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। इसी सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष के सामने कुछ सुझाव रखे गए।

ग़ौरतलब है कि डॉ। नारायण सुब्बाराव हार्डिकर ने 1 जनवरी, 1924 को आंध्र प्रदेश के काकिनाडा में कांग्रेस सेवा दल की स्थापना की थी। इसके पहले अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। देश को आज़ाद कराने की मुहिम में शामिल कांग्रेस के क़द्दावर नेता इस संगठन से जुड़े हुए थे। सीमाप्रांत और बलूचिस्तान के महान राजनेता ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान के संगठन लाल कुर्ती का विलय भी सेवादल में किया गया था। आज़ादी की मुहिम में सेवा दल के अहम किरदार के मद्देनज़र साल 1931 में इसका आज़ाद वजूद ख़त्म करके इसे कांग्रेस का हिस्सा बना दिया गया। कहा जाता है कि ये फ़ैसला सरदार बल्लभ भाई पटेल की सिफ़ारिश पर किया गया था। उन्हें डर था कि सेवा दल कहीं अपने मातृ संगठन कांग्रेस को ही ख़त्म न कर दे। अपनी इस आशंका का ज़िक्र करते हुए उन्होंने महात्मा गांधी से कहा था कि ‘अगर सेवादल को आज़ाद छोड़ दिया गया, तो वह हम सबको लील जाएगा।’

पहले इसे हिन्दुस्तानी सेवा दल के नाम से जाना जाता था, बाद इसे कांग्रेस सेवा दल का नाम दिया। दरअसल, कांग्रेसियों ने महिला सेना का गठन किया था। इस पर कार्रवाई करते हुए साल 1932 में बिटिश शासकों ने सेवा दल पर पाबंदी लगा दी थी, बाद में कांग्रेस से तो पाबंदी हटा ली गई, लेकिन हिन्दुस्तानी सेवा दल पर पाबंदी जारी रही। बाद में यह संगठन कांग्रेस सेवा दल के नाम से वजूद में आया।

क़ाबिले-ग़ौर यह भी है कि देश को आज़ादी मिलने के बाद कांग्रेस हुकूमत में आ गई। कांग्रेस का सारा ध्यान सत्ता संभालने में लग गया। कांग्रेस के कई नये आनुषांगिक संगठन वजूद में आते गए और बदलते वक़्त के साथ-साथ सेवा दल की अनदेखी होने लगी। सेवा दल के कार्यकर्ताओं को मलाल है कि उन्हें महज़ रवायती बना दिया गया। कांग्रेस के समारोहों में उनकी ज़िम्मेदारी वर्दी पहनकर इंतज़ामों की देखरेख की रह गई। जिस मक़सद से सेवा दल का गठन किया गया था, वह कहीं पीछे छूटने लगा। लेकिन इस सबके बावजूद सेवा दल के कार्यकर्ता अपने काम में लगे रहे। वे सामाजिक कार्यों में पहले की तरह ही बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते रहे, चाहे प्राकृतिक आपदाओं में पीडि़तों की मदद करनी हो या फिर महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों और महोत्सवों में श्रद्धालुओं के रहने और भोजन का इंतज़ाम करना हो। हर जगह इनकी मौजूदगी नज़र आती है।

कांग्रेस के अग्रिम संगठनों में सेवा दल का अनुशासन और निष्ठा इसे और भी ख़ास बनाती है। बिल्कुल फ़ौज की तरह इसका संचालन किया जाता है। एक दौर वह भी था जब सेवा दल में प्रशिक्षण लेने के बाद ही किसी को कांग्रेस में शामिल किया जाता था। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने अपने बेटे राजीव गांधी को कांग्रेस में शामिल करने से पहले सेवा दल का प्रशिक्षण दिलाया था, ताकि वे पार्टी की नीतियों को बेहतर तरीक़े से समझ पाएं। निस्वार्थ सेवा और सहयोग भाव की वजह से ही सेवा दल को कांग्रेस का सच्चा सिपाही कहा जाता है।

फ़िलवक़्त देश के 700 ज़िलों और शहरों में सेवा दल की इकाइयां हैं। सेवा दल की एक युवा इकाई शुरू करने की योजना है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को इससे जोड़ा जा सके। आज जब कांग्रेस अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने और पार्टी को हुकूमत में लाने के लिए जद्दोजहद कर रही है, ऐसे में सेवा दल कांग्रेस के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है, बस इस पर ख़ास तवज्जो देने की ज़रूरत है। देश में फैले अराजकता और अविश्वास के माहौल को देखते हुए भी सेवा दल जैसे संगठनों की बेहद ज़रूरत है, जो सांप्रदायिक सौहार्द्र, सामाजिक समरसता और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने का काम करते हैं।

(लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं)

ईमेल : editor.starnewsagency@gmail.com

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार