नाबालिक से रेप के आरोपी आसाराम को जोधपुर की एक अदालत ने दोषी करार दिया है। कोर्ट ने आसाराम के साथ, शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता(सेविका), शरदचंद्र उर्फ शरतचंद्र को भी दोषी करार दिया है। वहीं शिवा उर्फ सवाराम (आसाराम का प्रमुख सेवादार), प्रकाश द्विवेदी (आश्रम का रसोइया) को बरी कर दिया है। आसाराम केस दोषी करार हुई शिल्पी वही लड़की है जो आसाराम के पास लड़कियां भेजती थी।
आसाराम के पास लड़कियां भेजती थी शिल्पी:
शिल्पी आसाराम के मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा आश्रम की वॉर्डन थी। शिल्पी की कॉल डिटेल्स से सामने आया था कि वो आसाराम के लिए लड़कियों को प्रबंधन कराती थी। वह लड़कियों को बहला-फुसलाकर आसाराम के पास जाने के लिए मजबूर कर देती थी। शिल्पी ने ही पीड़िता के परिवार को ये कहा था कि उनकी बेटी पर किसी आत्मा का साया है, भूत-प्रेत उतारने के लिए वो अपनी बेटी को आसाराम के आश्रम में भेज थे। शिल्पी की बातों में आकर बेटी माता पितान ने उसे आसाराम के पास भेज दिया। जिसके बाद नाबालिग ने आसाराम पर उसके साथ रेप करने का आरोप लगाया था।
ऐसे पकड़ में आई शिल्पी :
बलात्कार से एक हफ्ते पहले शिल्पी और आसाराम के बीच फोन पर बात करने का सिलसिला बढ़ गया। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया था कि शिल्पी ब्रेनवॉश करके लड़कियों को आश्रम भेजती थी। आसाराम की गिरफ्तारी के बाद कई दिनों तक शिल्पी फरार रही लेकिन हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद उसने खुद ही अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। शिल्पी के सरेंडर करने के बाद पुलिस ने बताया कि शिल्पी ही वो महिला थी, जो गुरुकुल में पढ़ने वाली लड़कियों को आसाराम के सामने समर्पण कराती थी। उन्हें इस काम के लिए तैयार करती थी।
छानबीन के दौरान जोधपुर पुलिस को पता चला था कि आसाराम ने इसी काम की वजह से शिल्पी को अपने गुरुकल की वॉर्डन बनाया था। पीड़िता को भी शिल्पी ने ही आसाराम के पास जाने के लिए तैयार किया था। इसी मकसद से आसाराम ने शिल्पी को हरिद्वार के आश्रम से हटाकर छिंदवाड़ा के गुरुकुल में वॉर्डन बना कर भेजा था।
पीड़िता ने खोली थी बलात्कारी बाबा की पोल:
15 अगस्त 2013 की रात जो कुछ हुआ, उसके तीन दिन तक पाड़िता ये सोचती रही कि वह कैसे पूरी बात अपने मम्मी-पापा को बताए। 18 अगस्त को पीड़िता ने पूरी बात बताई। उसने अपने पिता का साथ पाया तो उसने ठान लिया कि कुछ भी हो, अब आसाराम के पापों का घड़ा भर गया है, उसे सजा दिलाना जरूरी है। उस दिन से आज तक बहुत सी वारदातें हुईं, लेकिन पीड़िता का हौंसला हर पल बढ़ता गया।
पहले हुई बातचीत के दौरान पीड़िता ने बताया था कि वह रात तो उसे कभी नहीं भूलेगी, जब भगवान समझे जाने वाले का उसने शैतानी रूप देखा था। वह दूसरों की भावनाओं से खेलता है। पाखंडी है वह, वह लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करता है। ऐसे व्यक्ति के लिए भारत में ऐसी सजा का प्रावधान होना चाहिए, जिससे दूसरे पाखंडी भी सबक ले सकें।