मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरया की दो नई किताबें बाज़ार में आ चुकी हैं। पत्रकारिता में लंबा अनुभव रखने वाले पटैरया वर्तमान में राजधानी भोपाल में ‘लोकमत’ के ब्यूरो चीफ हैं। उनकी किताबें ‘मध्यप्रदेश की जलनिधियां’ और ‘छत्तीसगढ़ 2018’ इस वक़्त बाज़ार में हैं और उन्हें अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।
किताब ‘मध्यप्रदेश की जलनिधियां’ राज्य की वॉटरबॉडी पर केंद्रित है, जबकि ‘छत्तीसगढ़ 2018’ में छत्तीसगढ़ की संपूर्ण जानकारी समाई हुई है। ये किताब एक तरह से विवरण और विविधतापूर्ण विषयों के धरातल पर छत्तीसगढ़ राज्य के संदर्भ ग्रंथ की तरह है। मध्यप्रदेश की जलनिधियों को शब्दों में ढालने का ख्याल पटेरिया को करीब 15 साल पहले आया, जब उनकी नज़र अपनी गांव के एक सूखे तालाब पर पड़ी। उन्होंने इस विषय पर गहन अध्ययन और शोध किया, तब कहीं जाकर किताब तैयार हो सकी।
शिव अनुरोग पटैरया मूलरूप से मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के रहने वाले हैं। वे बताते हैं कि यहां एक मशहूर तालाब जल संरचना है, जिसमें एक दूसरे से इंटरलिंक तालाब होते हैं। किसी ज़माने में करीब 1100 तालाब अकेले एक जिले में थे, लेकिन अब इनकी संख्या 100 भी नहीं बची है। मध्यप्रदेश नदियों का मायका कहा जाता है, मगर इस मायके के हालात अब अच्छे नहीं हैं। एक सूखे तालाब को देखकर मुझे लगा कि जिस तरह से नदियां सूखती जा रही हैं पता नहीं आने वाले समय में इनका अस्तित्व रहेगा भी या नहीं। जिज्ञासावश जब मैंने तथ्य जुटाने शुरू किये तो यह जानकर हैरान रह गया कि ऐसी कोई जानकारी नहीं है जो यह बता सके कि मध्यप्रदेश में कितनी नदियां और तालाब हैं, वो पहले कैसे थे और आज किस स्थिति में हैं। इसलिए मैंने इस विषय पर एक डॉक्यूमेंटेशन तैयार करने का फैसला लिया और आज यह ‘मध्यप्रदेश की जलनिधियां’ के रूप में आपके सामने है।
अपनी दूसरी किताब ‘छत्तीसगढ़ 2018’ के बारे में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एक ज़माने में मध्यप्रदेश का हिस्सा था। वो आज भले ही अलग हो गया है, लेकिन मेरा उससे जुड़ाव कायम है। इस किताब को लिखने का आशय राज्य की हर छोटी बड़ी बात को एक जगह समेटकर लाना था। छत्तीसगढ़ हिंदी ग्रन्थ अकादमी ने मेरी इस किताब को छापा है। आज के वक़्त में जब लोगों का किताबों से लगाव कम होता जा रहा है, यह देखकर अच्छा लगा कि ‘छत्तीसगढ़ 2018’ को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। मुझे बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि ‘छत्तीसगढ़ 2019’ पर भी काम शुरू हो गया है।
शिव अनुराग पटैरया पत्रकारिता सहित अलग-अलग विषयों पर अब तक 40 किताबें लिख चुके हैं। उनका कहना है कि हम पत्रकार तात्कालिकता पर लेखन करते हैं, लेकिन किसी विषय के अतीत और वैभवशाली गौरव पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। मैं अब इसी दिशा में आगे बढ़ रहा हूं। मेरी किताबें एक तरह से तात्कालिकता के लेखन से स्थायी लेखन की तरफ बढ़ने की कोशिश है। पटैरया मध्यप्रदेश के सबसे व्यस्त पत्रकारों में से एक हैं। वे हर रोज़ किसी न किसी न्यूज़ चैनल पर डिबेट में शरीक होते नज़र आ जाते हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर उनकी गहरी पकड़ है।
साभार – http://samachar4media.com से