मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नौकरशाहों के व्यवहार से खुश नही हैं। आईएएस और आईपीएस अफसरों को आइना दिखाते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें अहंकार त्यागने और सरकार को टेम्पररी और खुद को परमानेंट मानने की मानसिकता छोड़ने की सलाह दी। मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कहा कि अहंकार में अफसर यह भूल जाते हैं कि वे 'सेवक' हैं। सिविल सर्विस डे के मौके पर उन्होंने बड़े सपाट शब्दों में आईएएस और आईपीएस अफसरों को यह अहसास कराया कि वह भी एक 'सामान्य आदमी' हैं। सिर्फ वे ही नहीं और भी लोग समाज के विकास के लिए बेहतर सोच रखते हैं। मुख्यमंत्री ने अफसरों को '… मैं तो साहब बन गया…' टाइटल वाला फिल्मी गाना भी सुनाया और कहा कि आप लोग अपने अन्दर से इस भाव को निकाल दीजिए। आपको अधिकार मिला है उसका सदुपयोग कीजिए। साथ ही वह यह कहना भी नहीं भूले कि जिसको अधिकार मिल जाता है, वह उसका प्रदर्शन करने से नहीं चूकता। साहब के कमरे के बाहर बैठा चपरासी भी उनसे मिलने आए व्यक्ति की पर्ची अंदर भेजते वक्त अपनी 'साहबी' का अहसास जरूर करवा देता है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
शिवराज सिंह ने आईएएस और आपीएस अफसरों के बीच चलने वाली खींचतान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अक्सर अफसरों को अहंकार हो जाता है। आईएएस अफसर समझते हैं कि हम से अच्छा कौन हैं, तो आईपीएस का मानना रहता है कि हम क्या किसी से कम हैं? एक-दो नम्बर के अन्तर से क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने सभी तरह की सेवाओं के अफसरों को सलाह दी कि नौकरी में अहंकार को आड़े न आने दे। सभी को जनता की सेवा के लिए ही नियुक्त किया गया है। इस मौके पर उन्होंने सरकार की ओर से चलाई जा रही कन्यादान योजना का जिक्र किया। शिवराज ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मैनें यह आइडिया को अफसरों को दिया तो उन्होंने तत्काल खारिज कर दिया। अफसरों का कहना था कि सरकार का काम विवाह कराना नही है। ऐसी ही राय लाड़ली लक्ष्मी योजना के सम्बन्ध में भी थी। लेकिन आज ये दोनों योजनाएं न केवल प्रदेश में अच्छे से चल रही हैं, बल्कि अन्य राज्य इनका अनुसरण भी कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने फाइलें रोकने की अफसरों की प्रवृत्ति पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अक्सर फाइलें अफसरों की टेबल पर पड़ी रहती हैं। वे फाइलों पर दस्तखत करने से बचते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि फाइल रोकना भी एक अपराध हैं। उन्होंने अफसरों को नसीहत देते हुए कहा कि अफसर सरकारी नौकरी से बाहर निकलें, रोते-गाते काम करने वाले अफसर प्रदेश पर बोझ हैं। आपको मौका मिला है तो इसे मिशन के रूप में लेकर प्रदेश हित में काम करें। आप लोगों के कंधो पर देश-प्रदेश के विकास की जिम्मेदारी है। अफसरों के मन में कई बार यह भी भाव आता है कि नेता तो आते-जाते हैं, हम तो परमानेंट हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सर्विस डे वर्ष 2006 से कर्मकांड के रूप में मनाया जाता रहा है। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई देना चाहता हूं, उन्होंने इस दिवस को नया कीर्तिमान और नई ऊंचाई देने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आईएएस, आईपीएस और आईएफएस एक साथ बैठे हुए हैं।
इन तीनों कैडर में अक्सर अहं का टकराव देखने में आता है। अफसरों के मन में कई बार यह भी भाव आता है कि नेता तो आते जाते हैं, हम तो परमानेंट हैं। 60 के बाद ही रिटायर होंगे हमें कोई नहीं हटा सकता। मुख्यमंत्री ने अफसरों पर तंज कसते हुए फिल्मी गीत -'साला मैं तो साहब बन गया" का भी जिक्र किया और कहा कि ये भाव अपने अंदर न आने दें। आपको अधिकार मिला है तो सदुपयोग करें। अधिकार बड़ी बुरी चीज है, जिसे मिल जाए वह उसका प्रदर्शन करने से नहीं चूकता। अफसर के केबिन के बाहर बैठा भृत्य भी साहब को अंदर पर्ची भेजने में अपनी पूरी कला प्रदर्शन दिखा देता है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने 35 मिनट के संबोधन में 25 मिनट तक अफसरों का ब्रेन वॉश करने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने बीच-बीच में गीता श्लोक सुनाकर उन्हें देश-प्रदेश के विकास में सहयोग देने के लिए प्रेरित भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई अफसर ईमानदारी का ढोल बजाकर काम को इतना पेंचीदा बना देते हैं कि उसे ऊपर वाले अधिकारी को सुलझाने में पसीने छूट जाते हैं। फिर सवाल खड़ा होता है कौन कलम फंसाए, भगवान बचाए।
मुख्यमंत्री ने अफसरों के साथ-साथ नेताओं में अहंकार की बात कही। उन्होंने कहा कि टोल नाके वाला यदि टैक्स मांग ले तो नेताओं का अहं जाग उठता है। उनके इतना कहते ही कार्यक्रम में मौजूद अफसर दबे स्वर पूर्व मंत्री तुकोजी राव पवार की घटना का जिक्र करने लगे।मुख्यमंत्री ने कहा सफलता को पाने के लिए जूनूनी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि बाघ विहीन हो चुके पन्ना नेशनल पार्क में फिर से बाघों को बसाने जैसे चुनौती का काम एक आईएफएस अफसर श्रीनिवास कृष्ण मूर्ति ने किया है। वह सच में पागल और जुनूनी अफसर हैं। उन्होंने दिन-रात एक कर आज पन्ना में 34 बाघ कर दिए।