सुपर्णा चौधरी को दुनिया शोमा चौधरी के नाम से जानती है।
कुछ समय पहले एक कार्यक्रम में भारतीय मीडिया की मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए शोमा ने कहा था कि इसकी हालत बेहद गंभीर है। उन्होंने आरोप लगाया था कि अब मीडिया कॉरपोरेट हित साधने के साधन बन चुके हैं। उन्होंने कहा था कि जनहित की जगह अब राजस्व हित मीडिया पर हावी है।
शोमा चौधरी सिर्फ पत्रकार नहीं हैं। उनके कारोबारी हित भी लाखों के हैं
शोमा चौधरी के कारोबारी हितों की चर्चा मीडिया में तेजी से हो रही है। शोमा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। शोमा चौधरी को तहलका को छापने वाली कंपनी अनंत मीडिया ने 10 रुपए के मूल्य पर 1500 शेयर अलॉट किए थे। तब वे पत्रिका की फीचर संपादक हुआ करती थीं। 14 जून, 2006 को शोमा ने 500 शेयर एके गुर्टू होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को 13,189 रुपए के प्रीमियम पर बेच दीं। इस तरह से शोमा ने करीब 66 लाख (65,94,500 रुपए) रुपए का मुनाफा बटोरा। शोमा ने अनंत मीडिया के 1500 शेयर खरीदने के लिए 15000 रुपए की रकम खर्च की थी। इसका मतलब यह हुआ कि 5 हजार रुपए में खरीदे गए अनंत मीडिया के 500 शेयरों ने तीन सालों के भीतर शोमा को 66 लाख का मुनाफा दे दिया।
तहलका में काम कर चुके ओपन मैगजीन के पूर्व राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल का कहना है कि जिस दौर में वे तहलका में काम कर रहे थे, तब उन लोगों को अपनी तनख्वाह के लिए भी दो-दो महीने इंतजार करना पड़ता था। लेकिन बल का कहना है कि हैरानी की बात यह है कि उसी दौर में तहलका में हमारे कुछ साथी आश्चर्यजनक ढंग से रातों रात अमीर होते जा रहे थे।
अनंत मीडिया और उससे जुड़े लोगों के लेनदेन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। 14 जून, 2006 को जिस दिन शोमा ने अपने शेयर करीब 13189 हजार रुपए में बेचे थे, उस दिन ही तरुण तेजपाल ने शंकर शर्मा और देविना मेहरा से 4,125 शेयर 10 रुपए प्रति शेयर मूल्य पर खरीदे थे। मतलब एक ही दिन में एक ही कंपनी यानी अनंत मीडिया के शेयरों के कई दाम थे। एक तरफ कुछ लोग उसे 10 रुपए में खरीद रहे थे, तो वहीं कुछ लोग उसे 13189 रुपए में। जबकि उस दिन कंपनी का नेट एसेट वैल्यू नकारात्मक था। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी के एक शेयर की असल कीमत उस दिन 10 रुपए भी नहीं थी। लेकिन उस दिन 10 रुपए के शेयरों को 2000 से लेकर 13000 रुपए से ज्यादा की कीमत पर बेचा गया।
तहलका पत्रिका को प्रकाशित करने वाली कंपनी अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के 66.75 फीसदी शेयर रॉयल बिल्डिंग्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के पास हैं। यह कंपनी केडी सिंह की है जो तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं।
शोमा के दादा इंदू चौधरी 60-70 साल पहले बिहार के मधेपुरा आए थे और वहीं बस गए। मधेपुरा के चंदा टॉकीज के पास ही इन्होंने अपना मकान बनवाया। इंदू चौधरी डॉक्टर थे और उन्होंने मधेपुरा में ही अपनी डिसपेंसरी भी बनवाई। इंदू चौधरी के बेटे संतोष चौधरी ही शोमा के पिता हैं। संतोष चौधरी ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और डॉक्टर बने। इंदू और संतोष का मधेपुरा में काफी रसूख रहा है। शोमा के बचपन का एक बड़ा हिस्सा अपनी छोटी बहन वीणा और भाई जय के साथ यहां पर ही गुजरा है। बताया जाता है कि जब तक संतोष जिंदा थे, तब तक शोमा मधेपुरा आती-जाती थीं।
शोमा की पढ़ाई लिखाई दार्जीलिंग के नजदीक कुर्सेयॉन्ग के सेंट हेलेंस कॉन्वेंट और कोलकाता के ला मार्टिनियर स्कूल में हुई थी। शोमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से बीए ऑनर्स किया था। शोमा ने इसी यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस से पोस्ट ग्रैजुएशन भी किया था।
प्रिंट पत्रकारिता से जुड़ने से पहले शोमा ने दूरदर्शन के साथ काम किया था। तब उन्होंने किताबों और लेखकों पर 40 हफ्तों तक चले टीवी शो का निर्देशन किया था। बाद में वे अंग्रेजी अखबार द पायनियर के साथ बुक एडिटर के तौर पर जुड़ गईं। यहां कुछ समय तक काम करने के बाद शोमा इंडिया टुडे पत्रिका के साथ जुड़ गईं और उसके बाद आउटलुक पत्रिका के साथ। 2000 में शोमा तहलका.कॉम में काम करने तरुण तेजपाल के साथ आ गईं। स्टिंग ऑपरेशनों के बाद जब तहलका को बंद कर दिया गया था, तब भी शोमा तेजपाल के साथ जुड़ी रहीं। तहलका की मैनेजिंग एडिटर बनने से पहले शोमा तहलका की स्पेशल प्रोजेक्ट की डायरेक्टर और फीचर एडिटर हुआ करती थीं।