एक ट्वीटर उपयोगकर्ता ऋषि बागरी ने सोनू सूद पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए कहा है कि कैसे सोनू सूद फर्जी ट्वीटर एकांट पर मदद पहुँचा रहे हैं। उन्होंने एक ट्वीट का उल्लेख करते हुए कहा, आज तक सिर्फ एक ट्वीट किया और सोनू सूद को टैग भी नहीं किया। लोकेशन भी नहीं है, ना ही किसी भी तरह की कोई कॉन्टैक्ट डिटेल्स दी गईं। सोनू सूद ने बिना टैग के भी ये ट्वीट ढूंढ लिया और मदद भी ऑफर कर दी। ये कैसे हुआ? इसके बाद उन्होंने लिखा कि सिर्फ इतना ही नहीं जिन लोगों ने इससे पहले मदद मांगी है। उनमें से अधिकतर लोगों ने बाद में ट्वीट डिलीट कर दिए हैं। आप देखिए कि कैसे एक पीआर टीम काम करती है।
ऋषि को जवाब करते हुए सोनू सूद ने कुछ दस्तावेज पोस्ट किए। इनमें स्नेहल मरीज के नाम की अस्पताल रसीद और दूसरी रिपोर्ट हैं। सोनू ने लिखा, यही तो बेस्ट पार्ट है भाई। मैं एक जरूरतमंद को खोजता हूं और वे मुझे। ये केवल मंशा पर निर्भर करता है लेकिन तुम ये नहीं समझोगे। कल मरीज एसआरसीसी अस्पताल में होगा। प्लीज थोड़ी मदद आप कर दीजिए और उसके लिए फ्रूट्स भेज दीजिए। 2-3 फॉलोवर्स वाला शख्स अधिक फॉलोवर्स वाले शख्स से प्यार पाकर खुश होगा। सोनू सूद के इन डॉक्युमेंट में भी ऋषि ने एक बड़ा गड़बड़झाला पकड़ लिया और फिर जो सवाल किया उसने हजारों ट्विटर यूजर का ध्यान खींच लिया।
सोनू से पूछा- सितंबर में इलाज हुआ तो अक्टूबर में ट्वीट क्यों?
सोनू ने जो रसीद शेयर की थी। उसमें स्नेहल नाम तो था लेकिन तारीख 25 सितंबर की थी। इस पर ऋषि ने सोनू को टैग करते हुए लिखा कि तारीख देखिए। रिपोर्ट्स 17 सितंबर को हुईं, सर्जरी 25 सितंबर को हुईं और फिर इसके बाद उन्होंने 20 अक्टूबर को ट्वीट किया और फिर सोनू ने मदद की। इसका क्या मतलब तो ये हुआ कि एक महीने पहले जिनकी सर्जरी हो गई, आप उनकी मदद अब कर रहे हैं। अपनी पीआर टीम को नौकरी से निकाल दीजिए, उनकी वजह से आपका फ्रॉड सबके सामने आ गया है।
इसके बाद लोगों ने ट्विटर पर सोनू सूद को लेकर लगातार ट्वीट किए और उनसे पूछा कि आखिर ये क्या माजरा है। कई लोगों ने ये भी लिखा कि क्या सोनू जो मदद की बातें रोज कर रहे है, वो सब झूठ है।