Sunday, November 24, 2024
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सोवियत तानाशाह स्टालिन की बेटी ने एक भारतीय से शादी कर सबको चौंका दिया था

बोलने की आजादी को लेकर अपनी सरकार पर हो रहे हमलों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोवियत संघ के तानाशाह स्टालिन और उनके बाद सोवियत संघ की सत्ता संभालने वाले निकिता ख्रुश्चेव से जुड़ी कहानी सुनाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने अब 13 देशों में बंट चुके उस अविभाजित सोवियत संघ के तानाशाह जोसेफ स्टालिन का जिक्र किया जिसने 1929 से 1953 के बीच करीब 24 साल तक सोवियत संघ पर शासन किया. स्टालिन पर आरोप लगता रहा है कि अपने शासनकाल में अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए 10 लाख लोगों की हत्या करवा दी थी. यही नहीं स्टालिन ने इतिहास में खुद को वामपंथी विचारधारा का सबसे अहम किरदार साबित करने के लिए ना सिर्फ नए सिरे से इतिहास लिखवाया बल्कि उस दौर के सोवियत संघ के शहरों, गलियों मोहल्लों में अपना नाम दर्ज करवाने की सनक भरी कोशिश भी की थी. ये सिलसिला तब थमा जब 1953 में जोसेफ स्टालिन की मौत हो गई.

इसी तानाशाह स्टालिन की बेटी एक भारतीय की दीवानी थी और उससे शादी भी की थी।

स्वेतलाना सोवियत संघ के चर्चित नेता, राष्ट्रपति जोसेफ़ स्टालिन की इकलौती संतान थी। वह अपने पिता के बजाय अपनी मां एलिल्युयेवा के नाम का इस्तेमाल करती थीं। स्वेतलाना ने चार शादियां की थीं। आखिरी शादी उन्होंने पेट्रास से की थी।

स्वेतलाना उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के बृजेश सिंह की ‘अनौपचारिक’ पत्नी थीं। स्वेतलाना ने तीसरी शादी कुंवर बृजेश सिंह से की थी। कालाकांकर, प्रतापगढ़ राजघराने से भारतीय कम्युनिस्ट नेता थे। स्वेतलाना एलिल्युयेवा और कालाकांकर के राजकुमार ब्रजेश सिंह के प्रेम प्रकरण ६० के दशक का चर्चित और विवादित मुद्दा रहा। बृजेश सिंह उन भारतीय कम्युनिस्टों में से एक थे जिन्होंने बीसवीं सदी के तीसरे दशक के बाद मॉस्को को अपना घर बनाया था। बृजेश सिंह भारतीय कम्युनिस्ट नेता थे और इलाज करवाने रूस गए थे। बृजेश सिंह कालाकांकर के राजघराने से थे और उनके भतीजे दिनेश सिंह केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे। बृजेश सिंह काफी पढ़े-लिखे, नफीस और सौम्य व्यक्ति थे और उनसे स्वेतलाना का प्रेम संबंध हो गया। लेकिन सोवियत सरकार ने उन्हें शादी की अनुमति नहीं दी। बृजेश सिंह की मृत्यु १९६७ में मास्को में हो गई और उनका शव लेकर स्वेतलाना भारत आईं।

बृजेश सिंह की मृत्यु के बाद स्वेतलाना ने तय किया था कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार हिंदू रिति- रिवाज के हिसाब से करेंगी। वह ब्रजेश सिंह कि अस्थियां गंगा में बहाने के लिए भारत भी लाई थी। हालांकि सोवियत नेताओं ने स्वेतलाना को ऐसा न करने के लिए मनाने की काफी कोशिश की थी। कहा जाता है कि उस समय के सोवियत प्रधानमंत्री अलेक्सी कोसिगिन ने उनसे कहा था कि वह जोखिम ले रही हैं क्योंकि कट्टर हिंदुओं में विधवाओं को मृत पति के साथ जलाने की परंपरा है। जिद पर अड़ी स्वेतलाना भारत पहुंच गईं। वह ब्रजेश सिंह के घर गई और वहीं बसना चाहती थीं। लेकिन भारत में रुकने की उन्हें अनुमति नहीं मिली।

जब वह उत्तर प्रदेश में अपने पति के पुश्तैनी गांव से दिल्ली लौटीं तो भारत नेहरू के बाद पहले आम चुनाव की गहमागहमी के बीच था। इसलिए वह उस समय के मीडिया में महत्वपूर्ण खबर नहीं बन सकी। लेकिन अचानक एक सुबह एक छोटे परमाणु धमाके जैसी खबर आई। स्वेतलाना ने दिल्ली से अमरीका में शरण लेने की ठानी।. सोवियत संघ ने भारत से कड़ा विरोध जताया। भारत इसमें कुछ नहीं कर सकता था अमेरिका के दबाव के आगे नेहरू झुक गए। स्वेतलाना भारत में सोवियत संघ के राजदूत निकोलाई बेनेडिक्टोव के यहां सोवियत दूतावास ठहरी हुई थीं।

वह धोखे से अमरीकी दूतावास में चली गई। अमरीकी दूतावास तब तक बंद हो चुका था। स्वेतलाना ने ड्यूटी पर तैनात अधिकारी को बताया कि वो कौन हैं और क्या चाहती हैं। अमरीकी राजदूत चेस्टर बॉवल्स को रात में आना पड़ा और अमेरिका जाने का रास्ता साफ हो गया। अमेरिका उस समय हर सोवियत संघ से भागे व्यक्ति को शरण देता था। राजदूत ने एक सीआईए अधिकारी के साथ स्वेतलाना को रोम की एक फ्लाइट में सवार होने के लिए एयरपोर्ट भेज दिया। फिर वहां से वह अमेरिका पहुंच गईं। जब स्वेतलाना रोम में सुरक्षित पहुंच गईं तभी इस खबर को जग जाहिर किया गया।

स्वेतलाना ने चार शादियां की थीं। आखिरी शादी उन्होंने विलियम पेट्रास से की थी।1984 में वह सोवियत संघ लौट आई और पश्चिम को काफी कोसा। लेकिन एक साल बाद ही उनका बदलते रूस से मोह भंग हो गया और अमेरिका लौट गई और वहां जा कर कहा कि अब वह कभी रूस नहीं जाएंगी। अमेरिका में जा कर स्वेतलाना तो मीडिया में छाई रही लेकिन बेवकूफी भरे तमाम फैसलों के कारण उनकी जिंदगी के आखिर लम्हे तंगहाली में गुजरे। बायोग्राफी के लिए उस जमाने उन्हें 25 लाख डालर मिले थे। लेकिन उन्होंने काफी पैसा दान कर दिया और गलत निवेश में लगा दिया। यह दान उन्हें काफी भारी पड़ा । सोवियत संघ से भाग कर अमेरिका आए लोगों को वह मदद करती रही। लेकिन इस चक्कर में वह खुद मुसीबत में पड़ गई। स्वेतलाना की लड़की ओल्गा पोर्टलैंड में रहती है, जबकि बेटे जोसफ की मौत 2008 में हो गई थी। स्वेतलाना के दोनों भाइयों की मौत बहुत पहले ही हो गई थी।

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