देश के सौ से ज्यादा मैनेजमेंट संस्थानों ने स्वैच्छिक समापन के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) में आवेदन किया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक इस प्रक्रिया से जुड़े कुछ अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि इन संस्थानों में छात्र पढ़ने के लिए नहीं आ रहे और जिन छात्रों को डिग्री-डिप्लोमा मिल चुका है उन्हें कैंपस प्लेसमेंट के जरिये नौकरियां नहीं मिल रही हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक अगर इन 101 संस्थानों की स्वैच्छिक समापन की अपील स्वीकार कर ली गई तो इनके बंद होने से 10,000 सीटें खत्म हो जाएंगी. इनके अलावा कुछ संस्थानों ने केवल मैनेजमेंट कोर्स के समापन की अपील की हुई है. अगर उनका आवेदन भी मंजूर हुआ तो मैनेजमेंट की 11,000 और सीटें नहीं रहेंगी. भारत में एआईसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त 3,000 मैनेजमेंट संस्थान हैं जहां एमबीए डिग्री और पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा कराए जाते हैं.
एआईसीटीई के डेटा से पता चलता है कि कुल 101 मैनेजमेंट संस्थानों ने स्वैच्छिक समापन के लिए लिखित अपील की है. इनमें से ज्यादातर संस्थान उत्तर प्रदेश (37) के हैं. दूसरे नंबर पर कर्नाटक और महाराष्ट्र हैं. वहां 10-10 संस्थानों ने स्वैच्छिक समापन के लिए एआईसीटीई को लिखा है. खबर के मुताबिक ज्यादातर आवेदनों को स्वीकार किया जा सकता है. 2016-17 और 2015-16 में भी क्रमशः 76 और 66 मैनेजमेंट संस्थान इसी तरह समाप्त कर दिए गए थे. बता दें कि ये दोनों ही साल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे नहीं थे.
हाल के सालों में ये मैनेजमेंट संस्थान अधिकतर छात्रों को नौकरी नहीं दिलवा पाए हैं. 2016-17 में मात्र 47 प्रतिशत (करीब डेढ़ लाख) एमबीए ग्रेजुएट छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट के जरिये नौकरियां मिल पाई थीं. यह आंकड़ा उससे पिछले साल के मुकाबले चार प्रतिशत कम था. यानी 2015-16 में 51 प्रतिशत छात्रों को नौकरियां मिली थीं. वहीं, पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा करने वाले छात्रों को नौकरी मिलने में 12 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. एआईसीटीई के पूर्व अध्यक्ष एसएस मंथा बताते हैं कि अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करने के बाद नौकरियां नहीं मिलना एक गंभीर समस्या है और मैनेजमेंट भी इससे प्रभावित है.