आगरा । 2 दिन पहले यह खबर आई थी आईआईटी-बीएचयू के छात्र महेश वाल्मीकि अपनी पढ़ाई के लिए लिया गया कर्ज चुकाने को अपनी किडनी बेचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके दलित होने के कारण कोई खरीदार नहीं मिल रहा। इस खबर के बाद अब महेश को मदद देने का प्रस्ताव देने वालों का तांता लग गया है।
देशभर से महेश को आर्थिक सहायता की पेशकश मिल रही है। 65 साल के एक बुजुर्ग ने कहा कि वह महेश का कर्ज चुकाने के लिए अपनी एफडी तोड़ने को तैयार हैं। वहीं, गुड़गांव में रहने वाली एक मध्यम-वर्गीय अकेली महिला ने महेश को हर महीने 5,000 रुपये देने की पेशकश की है। IIT-BHU के कई पूर्व छात्रों ने भी महेश को स्कॉलरशिप देने का प्रस्ताव दिया है।
राजस्थान के अलवर जिले के निवासी महेश ने अपनी पढ़ाई के लिए 2.7 लाख का कर्ज लिया था। महेश के बीमार पड़ने के कारण इस कर्ज पर लगने वाले ब्याज की दर बढ़ती रही। महेश के शिक्षकों का कहना है कि वह काफी प्रतिभाशाली छात्र हैं। कर्ज चुकाने की चिंता में महेश को पढ़ाई छोड़नी पड़ी और उन्होंने अपने गांव में 4,000 रुपये वेतन पर सफाईकर्मी का काम करना शुरू कर दिया।
महेश के सामने कर्ज चुकाने की चिंता थी। ऐसे में उन्होंने पैसों के लिए अपनी किडनी बेचने का फैसला किया, लेकिन उनकी किडनी को कोई खरीदार नहीं मिला। ऐसे में तंग आकर महेश ने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया। महेश के दोस्तों ने उनसे मैगसायसाय पुरस्कार विजेता व सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय से मिलने का सुझाव दिया। पाण्डेय ने बीएचयू के पूर्व छात्रों से मुलाकात कर पैसा जमा किया और कुछ दिन पहले ही महेश का पूरा कर्ज चुका दिया। कर्ज तो पूरा हो गया, लेकिन महेश की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी। वह अभी भी सफाईकर्मी की नौकरी कर रहे हैं।
महेश की कहानी को देशभर की मीडिया ने लोगों के सामने रखा। अब धर्म-जाति की सीमाओं को लांघते हुए देश के कोने-कोने से महेश के लिए मदद देने की पेशकश करने वालों का तांता लग गया है। लोगों से लेकर गैर-सरकारी संस्थानों ने उनकी मदद करने का प्रस्ताव दिया है। फरीदाबाद में रहने वाले देव राज आनंद ने लिखा है, ‘मैं एक रिटायर्ड कर्मचारी हूं और मेरे पास मेरी बचत के तौर पर कुछ एफडी हैं। मैं महेश की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए तैयार हूं। जब वह कमाना शुरू कर दें तो वह बिना किसी ब्याज के यह पैसा मुझे लौटा सकते हैं।’
सुप्रीम कोर्ट में वकील संजीव हेगड़े ने लिखा कि वह एक फंड बनाने को तैयार हैं, जो कि महेश की पढ़ाई का खर्च उठाने के साथ-साथ उनकी पारिवारिक जिम्मेदारियों का भी खर्च उठाएगा। दिल्ली में रहने वाली आभा ने हर महीने उनके लिए एक तय रकम देने की पेशकश की है। वहीं जयपुर के नाज सिद्दीकी ने भी मदद की पेशकश की है।
डीआरडीओ में पूर्व मकैनिकल इंजिनियर वसंता रामस्वामी अब एक कारोबारी हैं। उन्होंने भी महेश की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाने की पेशकश की है। मुंबई के शैलेंद्र उनियाल ने लिखा कि वह एक फिल्म बनाकर महेश के लिए फंड जमा करना चाहते हैं। इनके अलावा भी महेश की मदद करने के इच्छुक लोगों की फेहरिस्त में कई नाम हैं। उम्मीद है कि महेश अब अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर सकेंगे।
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से