रायपुर। अनादि काल से यह आत्मा दुख में डूबी हुई है। हम सुखी बनने के लिए कब से मेहनत कर रहे हैं पर सुख मिल ही नहीं रहा है। यह सुख मिल भी नहीं सकता क्योंकि जब तक आपकी बुद्धि बीच में होगी, सुख नहीं मिलेगा परमगति में जाना है तो आपको भगवान के तत्वों को समझना होगा। आप अपने जीवन में कितनी भी भौतिक वस्तुओं का उपयोग कर लें जो सुख आपको मिलेगा वह काल्पनिक रहेगा। पूरी दुनिया में सुख कहीं नहीं केवल भगवान के दर्शनों में ही सुख की प्राप्ति है। आज छोटी छोटी बातों पर व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है, आप विचार कीजिए कि हम कितने सहनशील है।
यह बातें राजधानी के एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में चल रहे प्रवचन श्रृंखला के दौरान शुक्रवार को प. पू. गणाधीश पंन्यास प्रवर गणिवर्य श्री विनयकुशल मुनिजी म.सा. के सुशिष्य ओजस्वी वक्ता, दिव्य तपस्वी प. पु. श्री विरागमुनि जी म.सा. ने कही। इसके साथ ही मुनिश्री विरागमुनि जी ने शुक्रवार को अपना 111 उपवास पूरा किया, वे 16 मई को पारणा करेंगे। गुरु भगवंत ने आगे कहा कि धर्म करो, आत्महत्या बहुत बड़ी मूर्खता है। लोग बहुत ही छोटी छोटी बातों पर आत्महत्या कर लेते है। मां-बाप ने बात नहीं मानी, परीक्षा में कम नंबर आने और प्रेम संबंधों जैसी बातों पर लोग हार मान जाते है। आत्महत्या से होगा क्या, आपका दुख और यह शरीर तो छूट जाएगा पर कर्म नहीं छूटेंगे। कर्म आपके साथ जाएंगे और जन्म जन्मांतर तक वह आपका पीछा नहीं छोड़ेंगे।
जैन दादाबाड़ी में शुक्रवार को जैन धार्मिक शिक्षण शिविर की शुरुआत हुई। यह शिविर 14 मई तक चलेगी। शिविर के पहले दिन प्रदेशभर से आए बच्चों ने भाग लिया। मुनिश्री विरागमुनि जी ने शिविर के दौरान बताया कि हमें जीवन में चार चीजें कभी नहीं करनी चाहिए। पहला अनुकूलता का राग, दूसरा प्रतिकूलता का द्वेष, तीसरा है भविष्य में रोग आदि की चिंता और चौथा है भावांतर में सुख प्राप्ति की इच्छा रखना। उन्होंने आगे बताया कि आज मानव भौतिक सुख प्राप्त करने के लिए ना जाने कितने पाप करता है। वर्तमान में पाप अब पाप लगते नहीं है। अपने सुख के लिए व्यक्ति यह नहीं सोचता की उसने कितने जीवों की जान ली है, बस वह सुख भोगने में लगा रहता है। अपने सुख के लिए एक व्यक्ति आज कितना झूठ बोलता है यह तो आप जानते हो, पर आप कुछ नहीं कहते क्योंकि उस झूठ के पीछे आपका सुख भी छिपा हुआ है। आज धन कमाने के लिए लोग ग्राहकों को लुभाने के लिए उन्हें ऑफर देकर अधिकाधिक लाभ कमाने की स्कीम निकालते है, पैसा बचाने के लिए टैक्स की चोरी करते है और ऐसा करके वे खुद को बहुत चतुर समझते हैं। जैसे-जैसे सुख बढ़ता है वैसे-वैसे पाप भी बढ़ता जाता है और धर्म घटता जाता है।