Sunday, November 24, 2024
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सुन्दरकाण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड क्यों रखा गया?

हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी।

त्रिकुटाचल पर्वत पर तीन पर्वत थे:

पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था;

दूसरा नील पर्वत, जहाँ राक्षसों के महल बने हुए थें;

तीसरे पर्वत का नाम है सुन्दर पर्वत, जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी।

इस काण्ड की यहीं सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुन्दरकाण्ड रखा गया है।

शुभ अवसरों पर ही सुन्दरकाण्ड का पाठ क्यों?

शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता हैं। शुभ कार्य सुन्दरकाण्ड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है।

जबकि किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियाँ हो, कोई काम नहीं बन पा रहा है, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुन्दरकाण्ड के पाठ सें शुभ फल प्राप्त होने लग जाते है!

कई ज्योतिषी या संत भी विपरीत परिस्थितियों में सुन्दरकाण्ड करने की सलाह देते हैं।

सुन्दरकाण्ड का पाठ विशेष रूप से क्यों किया जाता है?

माना जाता है कि सुन्दरकाण्ड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते है। सुन्दरकाण्ड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्दी प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुन्दरकाण्ड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जातें हैं! इस काण्ड में हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है।

इसी वजह से सुन्दरकाण्ड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।

सुन्दरकाण्ड से मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ!

वास्तव में श्रीरामचरितमानस कें सुन्दरकाण्ड की कथा सबसे अलग हैं, संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है, सुन्दरकाण्ड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड है।

मनोवैज्ञानिक नज़रिये से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला काण्ड है, सुन्दरकाण्ड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।

सुन्दरकाण्ड से मिलता है धार्मिक लाभ!

सुन्दरकाण्ड के पाठ से मिलता है धार्मिक लाभ। हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है।

बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वालें देवता हैं! शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुन्दरकाण्ड का पाठ करना है। सुन्दरकाण्ड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

किसी भी प्रकार की परेशानी हो सुन्दरकाण्ड के पाठ से दूर हो जाती है, यह एक श्रेष्ठ और सरल उपाय है। इसी वजह से काफी लोग सुन्दरकाण्ड का पाठ नियमित रूप से करते हैं।

हनुमानजी जो कि वानर थें, वे समुद्रको लांघकर लंका पहुंच गए! वहां सीताजी की खोज की, लंका को जलाया, सीताजी का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए। यह एक भक्त की जीत का काण्ड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है!

सुन्दरकाण्ड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं, निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से जीवन में सम्मान कैसे प्राप्त हो, इसका जीवंत उदाहरण सुन्दरकाण्ड ही हो सकता है!

इसलिए पूरे मानस में सुन्दरकाण्ड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

जय श्रीराम!
जय सियाराम!
जय श्रीरामभक्त हनुमानजी नमो नमः!!

एक निवेदन

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