विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 52,000 से भी ज्यादा सीटों के लिए अलग-अलग कॉलेजों में अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। छात्र अब इन सभी कॉलेजों के लिए नेशनल एलिजबिलटी एंट्रेंस टेस्ट यानि नीट नामक एक कॉमन टेस्ट देकर आवेदन कर सकेंगे। बता दें कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध और असंवैधानिक करार दिए गए नीट को कोर्ट पुनर्अस्तित्व में लाया है। अच्छी बात यह भी है कि नीट इसी शिक्षा सत्र (2016-2017) से प्रभावी होगा। कोर्ट द्वारा अवैध करार दिए जाने के बाद पिछले तीन सालों से सभी मेडिकल कॉलेज अपनी अलग-अलग प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करा रहे थे।
इस साल सभी कॉलेजों के लिए परीक्षाओं का दौर 1 मई से सीबीएससी एआईपीएमटी -पीडीटी (ऑल इंडिया प्री मेडिकल एंड डेंटल टेस्ट) के साथ शुरू होना था। महाराष्ट्र में 5 मई को सीईटी द्वारा कर्नाटक में 8 मई से यह परीक्षाएं होनी थीं। नीट को पुनर्अस्तित्व में लाने का फैसला 5 जजों की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने सुनाया है और केंद्र व मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को एक कॉमन मेडिकल टेस्ट लेने की अनुमति दी है। एनजीओ संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की याचिका में अधिवक्ता अमित कुमार ने कोर्ट से कहा कि केंद्र, एमसीआई और सीबीएसई कोर्ट के फैसले की ठीक से पालना नहीं कर रहे। जिसके चलते छात्रों को देश भर में 90 अलग-अलग मेडिकल परीक्षाओं से जूंझना पड़ता है। कुमार ने पीठ से कहा, “मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए छात्र को लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं और ज्यादातर मेडिकल परीक्षाएं ईमानदारी से नहीं कराई जातीं।” कोर्ट याचिकाकर्ता द्वारा दी गई दलीलों से सहमत हुआ और नीट को इसी शिक्षा सत्र से लागू करने के आदेश दिए।