Thursday, December 26, 2024
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संदेह के घेरे में है भारतीय वैज्ञानिकों की रहस्यमयी मौतें

भारत देश की जनसंख्या 1 अरब 25 करोड़ है। सक्रिय सैनिकों की संख्या 13 लाख 25 हज़ार है। इस देश में 2 सैनिकों की हत्या होने की कीमत लगभग 2000 नागरिकों के जीवन पर संकट होने के बराबर है। सोचिये इस देश के 1 परमाणु वैज्ञानिक की हत्या की क्या कीमत चुकानी पड़ेगी??? भारतीय वैज्ञानिको की रहस्यमयी मौतों पर कभी किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया न मीडिया ने न सरकार ने।
भारत विज्ञान के पथ पर आगे बढ़ रहा है, परंतु प्रगति का यह मार्ग लगता है खून से रंगा जा रहा है । पंद्रह वर्षो में देश के उच्च कोटि के वैज्ञानिको व विज्ञान से जुड़ी खोज संस्थाओं में 197 वैज्ञानिको व कर्मचारियो ने आत्महत्या की है और 1733 की मौत गंभीर बीमारियों से हुई । इसमें से भारतीय परमाणु ऊर्जा मुंबई के उच्च कोटी के 13 वैज्ञानिको और कर्मचारियों ने आत्महत्या की है और 346 की विभिन्न कारणो से मौत हुई । इन सभी मौतों पर संदेह नहीं प्रकट किया जा सकता, परंतु कुछ ऐसी घटनाएं भी हो रही हैं जो किसी षड़यंत्र के होने की आशंका प्रकट कर रही है ।

1) मृतको के नाम- श्री अभिष व श्री के.के.जोश पद-श्री अभिष कुमार भारत की पहली परमाणु जनित ऊर्जा चलित पनड़ुब्बी ‘अरिहंत’ के मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर) थे जबकि श्री जोश जहाज निर्माण के मुख्य अभियंता थे । मौत कैसे हुई-दोंनो की मौत विष से हुई । इनकी लाशो को रेल की पटरियों पर फेंक दिया गया । पूरी आशंका है कि इन प्रतिभावान युवा वैज्ञानिको की हत्या की गई । बाद में इस घटना को दुर्घटना मान लिया गया । ह्त्या का संभावित कारण- दोंनो वैज्ञानिक अपने क्षेत्रों में स्वदेशी तकनीक विकसित करने में लगे थे ।

2) मृतक का नाम- श्री अमित कुमार पद-बारक में वैज्ञानिक मौत कैसे हुई-मार्च 2013 में हुई सड़क दुर्घटना में ।

3) मृतक का नाम- श्री ए.जी. पोद्दार पद- वरिष्ठ वैज्ञानिक मौत कैसे हुई- 27 मार्च 2008 को सड़क दुर्घटना में। परिवार के लोगो ने हत्या की आशंका जताई परंतु पुलिस ने इसे दुर्घटना मान कर फाइल बंद कर दी ।
4) मृतक का नाम-एल. महालिंगम पद- कैगा परमाणु ऊर्जा केन्द्र (कर्नाटक) के वरिष्ठ वैज्ञानिक मौत कैसे हुई- 8 जून 2009 को सुबह सैर के लिए गए पर वापिस नहीं लौटे । पांचवे दिन लाश काली नदी के किनारे क्षत-विक्षिप्त अवस्था में मिली । लाश कि पहचान ड़ी.एन.ए. द्वारा हो पाई पर पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला मान लिया ।

5) मृतको के नाम- श्री उमंग सिंह, श्री पार्थ प्रितम । मौत कैसे हुई- काम करते समय प्रयोगशाला में आग लगी । आग लगने का कारण अभी अज्ञात है । प्रयोगशाला में कोई ज्वलनशील पदार्थ भी नहीं मिला । पुलिस इसे दुर्घटना बता रही है ।

6) इसी तरह 22 फरवरी 2010 को मुंबई स्थित आनंद भवन के स्टाफ क्वार्टर में मैकेनिकल इंजीनियर श्री एस.पी.नैयर मृत मिले । पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आने के बावजूद पुलिस इसे दुर्घटना मान रही है । 3 मार्च 2010 को एक युवा महिला वैज्ञानिक सुश्री तीतम पाल की लाश कोलकाता में उनके क्वार्टर में झुलती मिली । इस मामले को भी आत्महत्या मान कर ठप कर दिया गया ।

7) 25 अगस्त,2007 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र (इसरो) के वैज्ञानिक राजीव लोचन व श्री कृष्ण मूर्ति श्री हरिकोटा प्रक्षेपण केन्द्र के लिए अपनी कार से रवाना हुए । सितंबर महीने में यहां उपग्रह इनसैट 4 सी.आर. को जीएसएलवी से प्रक्षेपित किया जाना था । रास्ते में हुई सड़क दुर्घटना में वैज्ञानिक श्री लोचन का स्वर्गवास हो गया और श्री कृष्णामूर्ति गंभीर रूप से घायल हो गए।

8) मध्यप्रदेश के सतना में तैनात इसरो के वैज्ञानिक डॉ. दिवाकर तिवारी की नदी में बहने से मौत हो गई जो कि पूरी तरह संदेह के दायरे में है ।
हमारे देश में जिन वैज्ञानिको की मौत हृदयघात और अन्य बिमारियों के चलते बताई जा रही है, उनमें अधिकतर 24 से 40 वर्ष की आयु के थे । इतनी छोटी आयु में इतने बड़े पैमाने पर हृदयघात समझ से परे है । कुछ देशो को हमारी वैज्ञानिक प्रगती पच नहीं रही । कहीं इनके पीछे हमारे पड़ोसी देश या हमें तकनीक का निर्यात करने वाले देश तो नहीं ? कहीं अलकायदा, तालिबान, इंड़ीयन मुजाहिद्दीन जैसे संगठन इन कार्यो को अंजाम तो नहीं दे रहे ? हर छोटी बड़ी घटना पर टी वी चैनलो पर चर्चा करने वाले बयान बहादुर हमारे राजनैतिज्ञ और फिजूल की बातों को ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ बताने वाला मीड़िया इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर मौन क्यो है ? केवल वैज्ञानिक ही क्यों हर अप्राकृतिक मौत की जांच होनी चाहिए और उसकी सच्चाई संबंधित परिवार और समाज के सामने लाई जानी चाहिए । आखिर यह काम कौन करेगा और सोई हुई व्यवस्था को कौन जगाएगा ।

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