स्वदेशी जागरण मंच तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और उनके आसपास के विवादों को समाप्त करने वाले प्रधानमंत्री के बयान का स्वागत करता है। उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले, संसद ने तीन अधिनियम बनाए थे; किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा समझौता अधिनियम, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम और किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य ( प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) अधिनियम और कुछ किसान संगठन इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे।
स्वदेशी जागरण मंच में हमारा दृढ़ विश्वास है कि कृषि कानूनों की मंशा अच्छी थी। हालांकि, हम प्रधानमंत्री से सहमत हैं कि सरकार आंदोलनकारी किसानों को कानूनों के लाभों के बारे में समझाने में सफल नहीं हो पाई। हम देश में खेती और किसानों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों की भी सराहना करते हैं, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर लागत जमा 50 प्रतिशत करना और एमएसपी व्यवस्था के तहत अधिक कृषि वस्तुओं को लाना , इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के माध्यम से कृषि उपज का विपणन और किसानों की स्थिति में सुधार की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कई अन्य कदम।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर, कई अलगाववादी ताकतें आंदोलन में घुस गयी थीं और देश की अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डाल रहीं थी। कृषि कानूनों को निरस्त करने के इस कृत्य से सरकार ने राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी ताकतों के गलत इरादों को परास्त कर दिया है। निश्चित रूप से समय की आवश्यकता के अनुसार पुराने कानूनों में संशोधन और नए क़ानून बनाने की आवश्यकता है। हालांकि, नए कानून बनाते समय सभी हितधारकों को साथ लेने की अंतर्निहित आवश्यकता है। उम्मीद है कि इन कानूनों को निरस्त करने के बाद एक नया अध्याय शुरू होगा और कृषि विपणन और अन्य संस्थागत सुधारों में सुधारों का रास्ता साफ़ हो जाएगा।
डॉ. अश्विनी महाजन
राष्ट्रीय सह संयोजक