पत्रकार-लेखक एस हुसैन जैदी ने नई किताब मुंबई एवेंजर्स लिखी है। वे किस्सों के आधार पर किताब लिखते हैं और हर किस्सा एक से एक रोमांचकारी होता है। फिर चाहें वह किस्सा इराक में आतंकियों द्वारा उन्हें बंधक बनाए जाने का ही क्यों न हो।
जैदी ने ब्लैक फ्राइडे, डोंगरी टू दुबई और भायखला से बैंकॉक जैसी पुस्तकें लिखी है। अपनी ताजी किताब मुंबई एवेंजर्स में उन्होंने भारतीय सेना के कमांडोज़ के पाकिस्तान की सीमा के अंदर किए गए सीक्रेट मिशन के काल्पनिक किस्से को बयां किया गया है।
जैदी ने एक किस्सा बताया कि जब वह इराक में अपहृत कर लिए गए थे, तो अमिताभ बच्चन ने उनकी जान बचाई। उन्होंने बताया कि मैं उस वक्त इराक गया था, जब अमेरिका ने सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटा दिया गया था। मैं सद्दाम के करीबी लोगों से बात करना चाहता था और मैं उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था कि इसी बीच बगदाद में मेरा अपहरण हो गया।
मुझे एक सूनसान जगह पर ले जाया गया और आप यकीन नहीं मानेंगे कि किसने मेरी जान बचाई। अमिताभ बच्चचन। दरअसल, जब मेरी आंखों की पट्टी हटाई गई, तो वहां सिर्फ एक क्लीनशेव लंबे बाल वाले आदमी के अलावा बाकी सभी को बड़ी दाढ़ी के साथ देखा। उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं पाकिस्तानी हूं। मैंने कहा मैं हिंदी हूं, भारत से। फिर उसने अरबी भाषा में कुछ कहा, जो मैं नहीं समझ सका।
इसके बाद उसने मुझसे कहा क्या तुम अमीशा बक्कन को जानते हो? मैंने कहा मैं एक ही अमीशा को जानता हूं जो अमीषा पटेल है। उसने मुझे बुरी तरह फटकार लगाई कि तुम अमीशा बक्कन को नहीं जानते। वह गुस्से में अपने कमरे में गया और 1982 की फिल्म शक्ित का पोस्टर ले आया।
तभी मेरे दिमाग में आया कि यह शक्ित के अमिताभ बच्चन को कॉपी कर रहा है। इस खुलासे के बाद मैं खुशी से चीख पड़ा कि वह मुझे गलती से अमीशा बक्कन (अमितजी) का दोस्त समझ रहा है। फिर उसने मुझसे एक नोट लिखवाया कि जब भी वह मुंबई आएगा, तो मैं उसे अमिताभ बच्चन से मिलवाऊंगा। मैंने उसे तुरंत हां कर दी और मेरी जान बच गई।
अमिताभ बच्चन के नाम ने बचाया आतंकवादियों से
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