'जब आप गाय के 100 ग्राम घी से लैंप जलाते हैं, तो पूरे पर्यावरण को ताजा ऑक्सीजन मिलती है। भारतीय गाय की यह ताकत है।' यह कहना है आरएसएस की इकाई अखिल भारतीय गो सेवा के अध्यक्ष शंकर लाल का। अपने इस बयान के जरिये वह विज्ञान को भी झुठलाने की कोशिश में नजर आते हैं, जिसके तहत ऑर्गेनिक चीजों को जलाने में ऑक्सीजन की खपत होती है और इससे कार्बन डाईऑक्साइड निकलती है। लाल ने कहा कि आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 'बीमारी मुक्त भारत, कर्ज मुक्त भारत' का नारा काफी अहम होगा और इसके लिए गाय अहम जरिया होगी। राष्ट्रीय सेवा संगम की सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया।
संघ ने गायों की सुरक्षा के लिए अपने सहयोगी सभी एनजीओ के लिए 18 पॉइंट्स का अजेंडा तैयार किया है। इसके तहत गाय आधारित खेती और इससे जुड़े कामों को बढ़ाने के लिए प्लान तैयार करना, कैदियों को सुधारने के लिए जेलों में गायों के लिए शेड बनाना, स्कूलों में गायों पर स्कॉलरशिप परीक्षा, गाय विज्ञान पर स्टडी के लिए रिसर्च लैब और यूनिवर्सिटी, हर राज्य में गाय अभयारण्य बनाने जैसी बातें शामिल हैं। साथ ही, गायों के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मंदिरों में हर हफ्ते गऊ कथा के आयोजन का भी प्रस्ताव है।
शंकर लाल ने कहा, 'अपराध मुक्त भारत के लिए भी यह जरूरी है कि हमारे बच्चे सिर्फ भारतीय गाय का दूध पीएं क्योंकि इससे वे सात्विक बनेंगे। जर्सी गाय और भैंसों का दूध पीने से उनके मन में खराब बातें आती हैं, जिससे वे अपराधी बन जाते हैं।' शंकर लाल का बयान हाइब्रिड नस्ल की गायों को लेकर संघ नेताओं की राय को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा, 'इस तरह की गायों के दूध से हमारी सेहत को नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही, हमारी गायें कम से कम 17 बार बच्चा दे सकती हैं, जबकि हाइब्रिड गायें सिर्फ 7 बार बच्चा देती हैं। हमें निश्चित तौर पर देसी नस्ल के गायों को बढ़ावा देना चाहिए।'
आरएसएस हर राज्य में गाय अभयारण्य की भी मांग कर रहा है, जहां देसी नस्लों वाली गायों का संरक्षण किया जा सके। लाल ने बताया, 'मध्य प्रदेश में 5,000 से भी ज्यादा गायें इस अभयारण्य का हिस्सा हैं। गुजरात में भी इस तरह के प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।' संघ ने देशभर में गायों से जुड़ी स्टडी का भी आंकड़ा पेश किया। उन्होंने कहा कि पिछले 60 साल में गायों की संख्या 70 करोड़ से घटकर 15 करोड़ हो गई है। गायों से जुड़े संघ के अभियान की एक और अहम बात जेलों में गायों के लिए शेड बनाना है, जहां कैदी काम करेंगे।
'गाय ज्ञान परीक्षा' का कॉन्सेप्ट राजस्थान से आया है, जहां स्टूडेंट्स गाय की उपयोगिता और इसकी सुरक्षा की जरूरत के बारे में लिखते हैं। गायों के संरक्षण से जुड़े संघ के नेता अभिनव शर्मा ने बताया, 'इस साल 3 लाख से भी ज्यादा स्टूडेंट्स ने यह टेस्ट दिया। बच्चे अगर गायों का संरक्षण सीख लेते हैं, तो वे परिवारों पर भी असर डालते हैं और जिम्मेदार बन जाते हैं।' संघ के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने भी गायों के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि यह पूरे समुदाय की जिम्मेदारी है। उन्होंने नियमित तौर पर गो संगम की जरूरत बताई, जहां गायों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जायजा लिया जा सके।
साभार- इकॉनामिक टाईम्स से
गायों के संरक्षण के लिए संघ का 18 बिंदुओं वाला एजेंडा
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