चुनाव आयोग ने पहली बार मतदाताओं को सारे उम्मीदवारों को खारिज करने का विकल्प दिया। ईवीएम में जिसे नन ऑफ द एबव (नोटा) के रूप में दर्ज किया गया था। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित चित्रकोट सीट पर सर्वाधिक 10848 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया, जो कि तमाम राजनीतिक दलों के लिए एक सबक की तरह है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में� जिले की 7 विधानसभाओं में सबसे ज्यादा मरवाही के वोटरों ने नोटा, यानी इनमें से कोई नहीं का बटन दबाया है। यहां 7 हजार 115 मतदाताओं ने 10 में से किसी एक प्रत्याशी को भी योग्य नहीं माना। दिलचस्प है कि भाजपा, कांग्रेस को छोड़कर शेष आठ प्रत्याशियों ने नोटा जितने वोट भी हासिल नहीं कर सके। मरवाही में नोटा तीसरे नंबर पर रहा। बिलासपुर में भी नोटा का बटन 3669 बार दबा। यहां भी यह तीसरे स्थान पर था।
1 लाख 33 हजार 875 वेलिड वोट वाली विधानसभा के 7 115 मतदाताओं ने हरेक प्रत्याशी को नापसंद किया। यहां भाजपा, कांग्रेस जैसी दो बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों के अलावा 8 अन्य उम्मीदवार भी मैदान में थे। सबसे अहम यही है कि इनमें से किसी एक प्रत्याशी ने भी नोटा के आंकड़े को पार नहीं किया। नोटा के सबसे करीब सुमन सिंह रहे हैं, जिन्हें 6 259 वोट मिले। नोटा ने यहां 8 प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए 5 फीसदी मत हासिल किया और तीसरा स्थान हासिल किया।������� �
छत्तीसगढ़ में कुल 5,88,411 मतदाताओं ने यह बटन दबाया। यह कुल पड़े वोट का 1.92 फीसदी हिस्सा है, यानी तकरीबन हर 50 मतदाता में से एक ने नोटा का इस्तेमाल किया। इसका सबसे अधिक प्रयोग पंचायतराज मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय की सीट बागीदौरा में 7259 लोगों ने किया। इसके अलावा पिड़वाड़ा आबू में 7,253 मतदाताओं ने "उपरोक्त में से कोई नहीं" पर अपनी मुहर लगाई।
सबसे रोचक दांतारामगढ़ सीट का मामला है। यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी नारायणसिंह महज 210 वोटों से चुनाव जीते है, जबकि इस सीट पर 1999 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया है। इसी तरह कोलायत से कांग्रेस के भंवरसिंह भाटी 1134 वोटों से चुनाव जीते, जबकि यहां 2,951 ने नोटा का प्रयोग किया।
दंतेवाड़ा में भाजपा के मौजूदा विधायक भीमा मंडावी का कड़ा मुकाबला दर्भा घाटी में हुए माओवादी हमले में मारे गए कांग्रेस के वरिष्ट नेता और सलवा जुडूम के जन्मदाता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा से था.
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राजस्थान में पहली बार ईवीएम में नोटा के बटन का लोगों ने जमकर इस्तेमाल किया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा से इस पद की प्रत्याशी वसुंधरा राजे के क्षेत्र में भी नोटा का जादू चला। अशोक गहलोत की सीट सरदारपुरा में 1,779 और वसुंधरा की सीट झालरापाटन में 3,729 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया। इसी तरह भंवरी देवी कांड में फंसे मलखान सिंह विश्नोई की मां अमरीदेवी के क्षेत्र लूणी में 3,322 और महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा के क्षेत्र ओसियां में 2597 लोगों ने नोटा का बटन दबाया।
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राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य इलाके डूंगरपुर जिले में सबसे अधिक 4.50 फीसद तथा दूसरे नम्बर पर बांसवाडा जिले में 3.42 फीसद मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देने के लिए नोटा का इस्तमाल किया।
राजस्थान में सबसे ज्यादा करीब 87,609 मतदाओं ने सभी उम्मीदवारों को रिजेक्ट करने वाले नोटा विकल्प चुना। मध्य प्रदेश में 43,851 मतदाताओं ने इनमें से कोई नहीं विकल्प आजमाया। शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 7,929 लोगों ने नोटा बटन दबाया।
एसी के लिए आरक्षित राजस्थान के केशोराय पाटन विधानसभा क्षेत्र में 7,230,दिल्ली की बवाना सीट पर 1,217 मतदाताओं ने नोटा विकल्प का इस्तेमाल किया। दिल्ली में करीब 21,808 लोगों ने नोटा इस्तेमाल किया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के विधानसभा क्षेत्र विदिशा में 1,368 मतदाताओं ने नोटा विकल्प का इस्तेमाल किया। राजस्थान में वसुंधरा राजे के निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन में 940 नोटा वोट पड़े। छत्तीसगढ़ में 67,222 नोटा वोटर्स थे। एसी के लिए सुरक्षित चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 6,460 मतदाताओं ने नोटा विकल्प चुना।