देश के सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कामकाज अंग्रेजी में होता है लेकिन बिहार के वकील इंद्रदेव प्रसाद के प्रयास से अब सुप्रीम कोर्ट में हिंदी की आवाज सुनाई देगी. पटना हाईकोर्ट के वकील इंद्रदेव प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में याचिका दायर की और उनकी दलीलों से इसे स्वीकार कर लिया गया है. अब वे सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में बहस करेंगे. हालांकि अभी तिथि तय नहीं हुई है.
वकील इंद्रदेव प्रसाद ने बताया कि वे पटना हाईकोर्ट द्वारा एक लोकहित याचिका में पारित आदेश के खिलाफ 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट गए थे. हिंदी में लिखी याचिका को देखते ही सुप्रीम कोर्ट का रजिस्ट्रार कार्यालय भड़क गया. याचिका को अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए कहा गया. लेकिन मैंने अंग्रेजी में अनुवाद करने से इंकार कर दिया.
सु्प्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने कहा कि हिंदी में याचिका देना अच्छी बात है लेकिन संविधान के अनुच्छेद 348 की बाध्यता के कारण हिंदी में याचिका स्वीकार नहीं कर सकते हैं.
प्रसाद ऐसा करने को तैयार नहीं हुए। तब रजिस्ट्रार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 348 की बाध्यता के कारण हिंदी में याचिका नहीं दायर हो सकती। याचिकाकर्ता प्रसाद ने उन्हें संविधान के अनुच्छेद 300, 351 के साथ-साथ मूल अधिकार से जुड़े अनुच्छेद 13 एवं 19 को दिखाया, जिसमें हिंदी के साथ भेदभाव करने से मना किया गया है। आखिरकार उन्होंने अपनी बात मनवा ली।
प्रसाद पटना हाईकोर्ट में हिंदी में लिखी याचिका ही दायर करते हैं और हिंदी में ही बहस भी करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में लिखी याचिका को स्वीकार करवाना चुनौती थी। संभावना है कि अगले महीने तक उनके मामले पर सुप्रीम कोर्ट को हिंदी में बहस सुननी होगी।