कंज्यूमर फोरम ने मुंबई के एक डॉक्टर को निर्देश दिया है कि वह मलाड़ में रहने वाली एक महिला को 19 लाख रुपये हर्जाना दे। डॉक्टर के वक्त पर न पहुंचने की वजह से इस महिला ने डिलिवरी के कुछ ही देर बाद अपना बच्चा खो दिया था।
मुंबई सबअर्बन डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम ने कहा, 'बच्चे की मौत डॉक्टर की लापरवाही की वजह से हुई। परिवार को पहुंचे सदमे और नुकसान के लिए डॉक्टर ही जिम्मेदार है।' फोरम ने कहा, 'डॉक्टर को मालूम था कि महिला प्रेगनेंट है और डिलिवरी की नॉर्मल अवधि पार कर चुकी है। ऐसे में जन्म के वक्त डॉक्टर का मौजूद रहना और इस बारे में अतिरिक्त सावधानी बरतना जरूरी था।'
बच्चे की मां सोनू करीर ने शिकायत की थी और केस पिता ने लड़ा। मामला 2003 का है। 18 अक्टूबर को वह चेकअप के लिए डॉक्टर के पास गईं, तो बताया गया कि बेबी कभी भी हो सकता है। डॉक्टर ने महिला को सलाह दी कि वह कांदिवली के एक अन्य अस्पताल में भर्ती हो जाए।
सोनू 28 अक्टूबर को 12.30 बजे लेबर पेन होने पर हॉस्पिटल ले जाई गईं। डॉक्टर 4 बजे आया और एग्जामिनेशन के बाद कहा कि 15 मिनट में डिलिवरी होगी। इसके बाद डॉक्टर घर के लिए रवाना हो गया। सोनू साढ़े 5 बजे तक दर्द से जूझती रहीं। जब उन्होंने डॉक्टर के बारे में पूछा तो बताया गया कि वह जल्दी आएंगे। इस बीच नर्स उन्हे ऑपरेशन थिएटर ले गईं। नर्स की मौजूदगी में ही बेबी हो गया। जब डॉक्टर आया तो उसने परिवार से कहा कि बेबी को तुरंत बच्चों के अस्पताल ले जाइए।
फोरम ने डॉक्टर का यह दावा खारिज कर दिया कि बच्चा मृत पैदा हुआ था और उसने उसे बचाने के लिए हर संभव कोशिश की। यह पाया गया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह अननैचरल थी और ऑक्सिजन की कमी की वजह से उसकी जान गई थी। फोरम ने पाया कि गर्भनाल बच्चे के गले में लिपटी हुई थी और इस वजह से वह जोर-जोर से सांस ले रहा था। फोरम ने कहा कि इससे साबित होता है कि बच्चा मृत पैदा नहीं हुआ था।
साभार-
टाईम्स ऑफ इंडिया से
लापरवाह डॉक्टर को देना होगा 19 लाख का हर्जाना
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