Sunday, December 29, 2024
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Homeवार त्यौहारहमारी लोक परंपराओं और लोक गीतो में होली की महिमा

हमारी लोक परंपराओं और लोक गीतो में होली की महिमा

होली हमारी लोक परंपरा और धार्मिक आस्था का ऐसा त्यौहार है जिसे अमीर गरीब सब साथ मिलकर मनाते हैं। पिछले कुछ सालों से होली से लेकर दिवाली के खिलाफ तथाकथित बुध्दिजीवियों और न्यायालय में बैटे न्याय के पहरेदारों ने इन त्यौहारों के खिलाफ मुहिम चलाकर इनसे जुड़े उत्साह और परंपराओं को नष्ट करने की कोशिश की गई। लेकिन जब हिंदू चेतना जाग्रत हुई और सोशल मीडिया से लेकर हर मंच पर लोगोे ने इनके खिलाफ आक्रोश जताया तो ये पूरी गैंग चुप्पी साध गई। विज्ञापनों से लेकर टीवी चैनलो और अखबारों में जो लोग होली के दिन पानी बचाने के नाम पर इस पर्व की पवित्रता को नष्ट करने पर तुले थे वे घरों में दुबक गए। अब टीवी से लेकर अखबारों में कोई सलाह नहीं दे रहा है कि होली खेलने से पानी बर्बाद होता है। विज्ञापन वाले विज्ञापन दिखा रहे हैं कि होली खेलिये और हमारे साबुन व पाउडर से रंग साफ कीजिये, कल तक यही लोग रंग से बचने की सलाह दे रहे थे। सोशल मीडिया पर जागरुक हिंदुओं ने इन खिलाफ ऐसी मुहिम चलाई कि ये लोग घर में घुस गए। होली ऐसा त्यौहार है जो हमारी जीवंतता का प्रतीक है और मौसम के बदलाव की सूचना भी देता है। हमारे सभी वार-त्यौहार प्रकृति से जुड़े हैं, अंग्रेजी कैलैंडर से नहीं। यहाँ प्रस्तुत है हमारी लोक परंपरा में और लोकगीतों में होली का त्यौहार कितनी गहराई से रचा बसा है। हमारी परंपरा में तो भगवान कृष्ण से लेकर शिव जी और रामजी तक आम आदमी के साथ होली खेलते हैं।

होली खेलन आया श्याम
होली खेलन आया श्याम आज इसे रंग में बोरो री |
कोरे-कोरे कलश मँगाओ, केसर घोलो री
मुख पर इसके मलो, करो काले से गोरा री ||
होली खेलन ———

पास-पड़ोसन बुला, इसे आँगन में घेरो री
पीतांबर लो छीन, इसे पहनाओ चोली री || होली खेलन ———
माथे पे बिंदिया, नैनों में काजल सालो री
नाक में नथनी और शीश पे चुनरी डालो री || होली खेलन ———
हरे बाँस की बाँसुरी इसकी तोड़-मरोड़ो री
ताली दे-दे इसे नचाओ अपनी ओरी री || होली खेलन ———

लोक-लाज मरजाद सबै फागुन में तोरो री
नैकऊ दया न करिओ जो बन बैठे भोरो री ||

होली खेलन ———
चन्द्र्सखी यह करे वीनती और चिरौरी री
हा-हा खाय पड़े पइयाँ, तब इसको छोड़ो री ||
होली खेलन ———


रसिया को नार बनाओ

रसिया को नार बनाओ री, रसिया को |
कटि-लहँगा, गल-माल कंचुकी, वाह रे रसिया वाह!
चुनरी शीश उढ़ाओ री, रसिया को ||
रसिया को नार —-

बाँह बरा बाजूबन्द सोहे, वाह रे रसिया वाह!
बाँह बरा बाजूबन्द सोहे,
नकबेसर पहनाओ री, रसिया को ||
रसिया को नार —-

गाल गुलाल दृगन बिच काजल, वाह रे रसिया वाह!
गाल गुलाल दृगन बिच काजल,
बेंदी भाल लगाओ री, रसिया को ||
रसिया को नार —-

आरसी-कंगन-छल्ला पहनाओ, वाह रे रसिया वाह!
आरसी-कंगन-छल्ला पहनाओ,

पैंजनी पाँव सजाओ री, रसिया को ||
रसिया को नार —-

श्यामसुंदर पे ताली बजा के, वाह रे रसिया वाह!
श्यामसुंदर पर ताली बजा के,
यशुमती निकट नचाओ री, रसिया को ||
रसिया को नार —-

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मत मारे दृगन की चोट
मत मारे दृगन की चोट ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी |
मैं बेटी वृषभान बाबा की, और तुम हो नन्द के ढोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी |

मुझको तो लाज बड़े कुल-घर की, तुम में बड़े-बड़े खोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी |

पहली चोट बचाय गई कान्हा, कर नैनन की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी |

दूजी चोट बचाय गई कान्हा, कर घूँघट की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी |

तीजी चोट बचाय गई कान्हा, कर लहँगा की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी |

नन्दकिशोर वहीं जाय खेलो, जहाँ मिले तुम्हारी जोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी |

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नैनन से मोहे गारी दई
नैनन से मोहे गारी दई, पिचकारी दई,
हो होली खेली न जाय, होली खेली न जाय |
काहे लंगर लंगुराई मोसे कीन्ही,
केसर-कीच कपोलन दीनी,

लिए गुलाल खड़ा मुसकाय, मोसे नैन मिलाए,
मोपे नेह लुटाय, होली खेली न जाय ||
जरा न कान करे काहू की,
नजर बचाए भैया बलदाऊ की,

पनघट से घर तक बतराय, मोरे आगे-पीछे आय,
मोरी मटकी बजाय, होली खेली न जाय ||
चुपके से आय कुमकुमा मारे,
अबीर-गुलाल शीश पे डारे,
यह ऊधम मेरे सासरे जाय, मेरी सास रिसाय,

ननदी गरियाय, होली खेली न जाय ||
होली के दिनों में मोसे दूनों-तीनों अटके,
शालिग्राम जाय नहीं हट के,
अंग लिपट मोसे हा-हा खाय, मोरे पइयाँ पर जाय,
झूटी कसमें खाय, होली खेली न जाय ||

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कान्हा तुझे ही बुलाय गई
कान्हा तुझे ही बुलाय गई नथ वाली, कान्हा तोहे ही |
मुझे काहे को बुलाय गई नथ वाली, मोहे काहे को ?
होली खेलन को बुलाय गई नथ वाली, होली खेलन को |
उस नथ वाली का रूप बताय दे,
बड़े–बड़े नैना कजरा वाली, कान्हा तोहे ही |
उस नथ वाली का रंग बताय दे,

गोरा-गोरा रंग चटक साड़ी, कान्हा तोहे ही |
उस नथ वाली का गाँव बताय दे,
बरसाना गाँव बताय गई, कान्हा तोहे ही |
उस नथ वाली का नाम बताय दे,
राधा नाम बताय गई, कान्हा तोहे ही |
कान्हा तुझे ही बुलाय गई नथ वाली, कान्हा तोहे ही |

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अरी होली में हो गया झगड़ा
अरी होली में हो गया झगड़ा, सखियों ने मोहन को पकड़ा |
धावा बोल दिया गिरधारी
नन्द गाँव के ग्वाले भारी
तक-तक मार रहे पिचकारी
आँख बचाकर कुछ सखियों ने, झट से मोहन पकड़ा ||
अरी होली में ——-

सखियों के संग भानुदुलारी
ले गुलाल की मुट्ठी भारी
मार रहीं हो गई अँधियारी
दीखे कुछ नहीं तब भी, सखियों ने मोहन को पकड़ा ||
अरी होली में ——-

सखा-भेष सखियों ने धारा
सब ने मिल के बादल फाड़ा
जाय अचानक फंदा डाला
छैला को कस कर जकड़ा, सखियों ने मोहन पकड़ा ||
अरी होली में ——-

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नन्द के द्वार मची होली
नन्द के द्वार मची होली, बाबा नन्द के |
इधर खड़े हैं कुँवर कन्हैया-लाला
उधर खड़ी राधा गोरी, बाबा नन्द के ||
नन्द के द्वार….

पाँच बरस के कुँवर कन्हैया-लाला
सात बरस-की राधा गोरी, बाबा नन्द के ||
नन्द के द्वार….

हाथ में लाल गुलाल पिचकरा
मारत हैं भर बरजोरी, बाबा नन्द के ||
नन्द के द्वार….

सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को
अविचल रहियो यह जोड़ी, बाबा नन्द के ||
नन्द के द्वार….

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मेरा खो गया बाजूबन्द

(ऊधम ऐसा मचा ब्रज में, सब केसर रंग उमंगन सींचें
चौपद छज्जन छत्तन, चौबारे बैठ के केसर पीसें |

भर पिचकारी दई पिय को, पीछे से गुपाल गुलाल उलीचें
अरे एक ही संग फुहार पड़ें, सखी वह हुए ऊपर मैं हुई नीचे |

ऊपर-नीचे होते-होते, हो गया भारी द्वंद
ना जाने उस समय मेरा, कहाँ खो गया बाजूबन्द ||
हो मेरा, हो मेरा, हो मेरा….
हो मेरा खो गया बाजूबन्द रसिया, ओ रसिया होली में
होली में होली में होली-होली में, ओ रसिया होली में ||
मेरा खो गया —–

बाजूबन्द मेरा बड़े री मोल का, तुझसे बनवाऊँ पूरे तोल का
सुन…सु.. नन्द के परचन्द, ओ रसिया होली में ||
मेरा खो गया —–

सास लड़ेगी मेरी ननंद लड़ेगी, बलम की सिर पे मार पड़ेगी
तो!!!! तो हो जाय सब रस भंग, ओ रसिया होली में ||
मेरा खो गया —–

ऊधम तूने लाला बहुत मचाया, लाज-शरम जाने कहाँ धर आया
मैं तो!!!! मैं तो आ गई तोसे तंग, ओ रसिया होली में || मेरा खो गया —–
मेरी तेरी प्रीत पुरानी, तूने मोहन नहीं पहचानी
ओ मुझे!!!!! ओ मुझे ले चल अपने संग, ओ रसिया होली में || मेरा खो गया —–

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और महीनों में बरसे–न-बरसे

कान्हा पे बरसे, और राधा पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग सब गोप-गोपिन पे बरसे ||
फागुनवा में —-

राम जी पे बरसे, और सीता जी पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग प्यारे हनुमत जी पे बरसे ||
फागुनवा में —-

शिव जी पे बरसे, और गौरा जी पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग प्यारे गणपति पे बरसे ||
फागुनवा में —-

विष्णु जी पे बरसे, और लक्ष्मी जी पे बरसे
संग-संग में शेषनाग पे बरसे ||
फागुनवा में —- —

ब्रह्मा जी पे बरसे, गायत्री जी पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग में चारों वेदों पे बरसे || फागुनवा में —- —
मथुरा पे बरसे, वृन्दावन पे बरसे

संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग में बरसाने पे बरसे ||
फागुनवा में —-

बच्चों पे बरसे, जवानों पे बरसे
उन पे भी !!! ओ हो उन पे भी बरसे जो अस्सी बरस के ||
फागुनवा में —-

इन पे भी बरसे, और उन पे भी बरसे
जय बंसी वाले की !!!! जय बंसी वाले की हम हू पे बरसे ||
फागुनवा में —
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कान्हा पिचकारी मत मार
कान्हा पिचकारी मत मार, चूनर रंग-बिरंगी होय |
चूनर नई हमारी प्यारे
हे मनमोहन बंसी वारे
इतनी सुन ले नन्द-दुलारे
पूछेगी वह सास हमारी, कहाँ से लीनी भिगोय ||
कान्हा पिचकारी —–

सबका ढंग हुआ मतवाला
दुखदाई त्योहार निराला
हा-हा करतीं हम ब्रजबाला
राह हमारी अब न रोक रे मैं समझाऊँ तोय || कान्हा पिचकारी ——

मार दीनी रंग की पिचकारी
हँस-हँस कर रसिया बनवारी
भीग गईं सारी ब्रजनारी
राधा ने हरि का पीतांबर खींचा मद में खोय || कान्हा पिचकारी ——

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कान्हा पिचकारी मत मारे
कान्हा पिचकारी मत मारे, मेरे घर सास लड़ेगी रे
सास लड़ेगी रे, मेरे घर नन्द लड़ेगी रे || कान्हा पिचकारी ——

सास डुकरिया मेरी बड़ी खोटी, गारी दे, ना देगी रोटी
द्योरानी-जिठानी मेरी जनम की दुश्मन, सुबह करेंगी रे ||
कान्हा पिचकारी ——

जा-जा झूठ पिया से बोले, एक की चार, चार की सोलह
ननद बिजुलिया जाय पिया के कान भरेगी रे ||
कान्हा पिचकारी ——

कुछ नहीं बिगड़े श्याम तुम्हारा, मुझे होएगा देश-निकाला
ब्रज की नारी दे ताली, मेरी हँसी करेंगी रे ||
कान्हा पिचकारी ——

हा-हा खाऊँ पडूँ तोरी पइयाँ, डालो श्याम मती गलबहियाँ
नाजुक मोतिन की माला मेरी टूट पड़ेगी रे ||
कान्हा पिचकारी ——

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होली खेल रहे नन्दलाल
होली खेल रहे नन्दलाल, वृन्दावन की कुंज गलिन में
वृन्दावन की कुंज गलिन में, वृन्दावन की कुंज गलिन में
होली खेल रहे……………..

संग सखा श्याम के आये, रंग भर पिचकारी लाए
सबका….हो सबका करें हाल बेहाल ||
वृन्दावन की ———-

चल गली रँगीली आए, ढप-झाँझ-मृदंग बजाए
गाँवें … हो गाँवें नाचें, छेड़ें तान ||
वृन्दावन की ———-

रंग भर पिचकारी मारी, चूनर की आब बिगारी
मेरे मुख पे ! हो मेरे मुख पे मला गुलाल ||
वृन्दावन की ———-

छवि निरख श्याम की प्यारी, सब भक्त बजावें तारी
सब पर !!!! हो सब पर रंग डाल रहे ग्वाल ||
वृन्दावन की ———-

होली खेल रहे शिवशंकर
होली खेल रहे शिवशंकर गौरा पार्वती के संग
पार्वती के संग, गौरा पार्वती के संग || होली खेल रहे ———

कुटी छोड़ शिवशंकर चल दिए, लिए नादिया संग
गले में रुन्डों की माला, और सर्प लपेटे अंग || होली खेल रहे ———
मनों तो खा गए भाँग-धतूरा, धड़ियों पी गए भंग
एक सेर गाँजा भी पी गए, हुये नशे में दंग ||
होली खेल रहे ———

रघुवर होली खेल रहे हैं सीता जी के संग
राधे होली खेल रही हैं कान्हा जी के संग ||
होली खेल रहे ———

कामिनियाँ तो खेल रहीं हैं देवर-जेठ के संग
रसिया खेल रहे हैं साली और सलहज के संग ||
होली खेल रहे ———

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रंगरेजवा बलम जी का यार
रंगरेजवा !!!! हो रंगरेजवा बलम जी का यार
हमारी चुनरी ना, हमारी चोली ना रँगी ।
सास की रँग लाया ओढ़नी
अरे सास की रँग लाया ओढ़नी
लखटकिया !!!! ओ लखटकिया ससुर जी की पाग
हमारी चुनरी ना, हमारी चोली ना रँगी |
जिठ्नी का रँग लाया घाघरा
अरे जिठ्नी का रँग लाया घाघरा

बड़बोला !!! ओ बड़बोला जेठ जी की पाग
हमारी चुनरी ना, हमारी चोली ना रँगी |
ननदी की रँग लाया साड़ी जी
अरे ननदी की रँग लाया साड़ी जी
चिकनौता!…ओ चिकनौता नंदोई जी की पाग
हमारी चुनरी ना, हमारी चोली ना रँगी |

हो रंगरेजवा, हो रंगरेजवा, हो रंगरेजवा ! (उसकी ऐसी-तैसी!)

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यशुदा तेरे री लाला ने
यशुदा तेरे री लाला ने मेरी मटकी फोरी री |
हम दधि बेचन जात वृन्दावन, मिल ब्रज-गोरी री
गैल रोक ली हमरी और कीनी झकझोरी री ||
यशुदा तेरे री ——-

दधि सब खाय मटुकिया तोड़ी, बाँह मरोड़ी री
चोरी तो सब जगह होय, तेरे ब्रज में जोरी री ||
यशुदा तेरे री ——-

ले नन्दरानी हमने तेरी नगरी छोड़ी री
नाम बिगाड़े तेरा, बेशरमाई ओढ़ी री ||
यशुदा तेरे री ——-

चुनरी खींच मसक दी ठोड़ी, माला तोड़ी री
पिचकारी की धार मार, उन्ने खेली होली री ||
यशुदा तेरे री ——-

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होली खेल रहे नन्दलाल
होली खेल रहे नन्दलाल, वृन्दावन की कुंज गलिन में |
भर पिचकारी मोहे मारी, टीके की आब बिगारी

अरे मेरी !!! अरे मेरी बिंदिया हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में |
होली खेल रहे ——-

भर पिचकारी मोहे मारी, चूनर की आब बिगारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी चोली हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में |

होली खेल रहे ——-

भर पिचकारी मोहे मारी, लहँगे की आब बिगारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी तगड़ी हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में |

होली खेल रहे ——-
भर पिचकारी मोहे मारी, पायल की आब बिगारी
अरे मेरे !!! अरे मेरे बिछिए हुए खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में |
होली खेल रहे ——-

भर पिचकारी मोहे मारी, गगरी की आब बिगारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी ईंडुरी हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में |
होली खेल रहे ——-

गोकुल के कृष्ण मुरारी जाऊँ तुम पे बलिहारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी नीयत हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में |
होली खेल रहे ——-

खेलें मसाने में होरी दिगम्बर
खेलें मसाने में होरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री |
भूत-पिसाच बटोरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री |

गोप न गोपी न श्याम न राधा
ना कोई रोक न कोई बाधा
ना कोई साजन न गोरी दिगम्बर,
खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री |

लख सुन्दर फागुनी छटा के
मन से रंग गुलाल हटा के
चिता-भस्म भर झोरी दिगम्बर,
खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री |

नाचत-गावत डमरूधारी
भाँग पिलावत गौरा प्यारी (छोड़ें सर्प गरुड पिचकारी)
पीटें प्रेत ढपोरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री |

भूतनाथ की मंगल होरी
देख-देख के रीझें गौरी
धन्य-धन्य नाथ अघोरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री |

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फाग खेलन बरसाने आए
फाग खेलन बरसाने आए हैं, नटवर नन्द्किशोर
नटवर नन्दकिशोर, नटवर नन्दकिशोर, फाग खेलन ——–

घेर लई सब गली रंगीली,
छाय रही सब छवि छवीली,

जिन अबीर, जिन अबीर, जिन अबीर,
गुलाल उड़ाए हैं, मारत भर-भर झोर, फाग खेलन ——–

सह रहे चोट ग्वाल ढालन पे,
केसर कीच मलैं गालन पे,

जिन हरियल, जिन हरियल, जिन हरियल
बाँस मँगाए हैं, चलन लगे चहुँ ओर, फाग खेलन ——–

भई अबीर घोर अँधियारी,
दीखत नाहिं कोई नर और नारी,
जिन राधे, जिन राधे, जिन राधे,
सैन चलाए हैं, पकरे माखन-चोर, फाग खेलन ——–

जुल-मिल के सब सखियाँ आईं,
उमड़ घटा अंबर पे छाई,
जिन ढोल, जिन ढोल, जिन ढोल
मृदंग बजाए हैं, बंसी की घनघोर,
फाग खेलन ——–

जो लाला घर जानो चाहो,
तो होरी को फगुआ लाओ
जिन श्याम ने, जिन श्याम ने, जिन श्याम ने
सखा बुलाए हैं, नाचत कर-कर शोर, फाग खेलन ——–
राधे जू के हा-हा खाओ,
सब सखियन के घर पहुँचाओ
जिन घासीराम, जिन घासीराम पथ गाए हैं, लगी श्याम से डोर।

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दिल की लगी बुझा ले
दिल की लगी बुझा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें
हँस-हँस फाग मना ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें ||

मेरी राह से हट जा काले, तू तो रोज-रोज मँडरावे
मेरे मन से हट जा काले, तू तो रोज-रोज इठलावे ||

चटक-मटक है चार दिनों की,
फिकर न कर तू जग वालों की

संग नाच ले गा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें || दिल की लगी ——–
चटक-मटक तो रोज रहेगी, तुझसे मेरी नहीं बनेगी

नहीं नाचूँ नहीं गाऊँ रे, तू तो रोज-रोज मँडरावे ||
ऐसा समय नहीं फिर आवे, चूक जाए तो फिर पछतावे

हौले से नेक हौले से बतलाय री, तेरे रोज-रोज ना आवें ||दिल की लगी ——–
तेरी होली बारहमासी, करता डोले छिन-छिन हाँसी

मन का कपट मिटा ले रे, तू तो रोज-रोज मँडरावे ||
तुझको अपना पता बतावें, नन्द भवन में तुझे मिल जावें

एक बार आजमा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें ||
दिल की लगी ——–

मै जानूँ तेरा पता-ठिकाना, नन्द बाबा का नाम लजाना
तुझसे मिले सोई पछतावे, तू तो रोज-रोज मँडरावे || दिल की लगी ——–

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फागुन के दिन चार

फागुन के दिन चार रे, होली खेल मना रे, फागुन के दिन चार।
बिन करताल पखावज बाजे, अनहद की टंकार रे

बिन सुर राग छतीसों गावे, रोम-रोम झंकार रे
होली खेल मना रे, फागुन के दिन चार ॥

शील-संतोष की केसर घोरी, प्रेम-प्रीत पिचकार रे
उड़त गुलाल लाल भयो अम्बर, बरसात रंग अपार रे

होली खेल मना रे, फागुन के दिन चार ॥
घर के सब पट खोल दिए हैं, लोक लाज सब ड़ार रे

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, चरण-कमल बलिहार रे
होली खेल मना रे, फागुन के दिन चार ॥

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रंग में होरी कैसे खेलूँ
रंग में होरी कैसे खेलूँ री, या साँवरिया के संग।
कोरे-कोरे कलश मँगाए,
कोरे-कोरे कलश मँगाए लाला, उनमें घोला रंग
भर पिचकारी मेरे सम्मुख मारी, भर पिचकारी मेरे सम्मुख मारी लाला

चोली हो गई तंग ॥
रंग में होरी ——-
सारी सरस सबरी मोरी भीजी,
सारी सरस सबरी मोरी भीजी लाला, भीजों सारो अंग

या दइमारे को कहाँ भिजोऊँ, या दइमारे को कहाँ भिजोऊँ लाला
कारी कामर अंग ॥ रंग में होरी ——-

तबला बाजे सारंगी बाजे,
तबला बाजे सारंगी बाजे लाला, और बाजे मिरदंग
कान्हा जू की बंसी बाजे, राधा जू के संग ॥
रंग में होरी ——-
घर-घर से ब्रज-वनिता आईं
घर-घर से ब्रज-वनिता आईं लाला, लिए किशोरी संग

चन्द्र्सखी हँस यों उठ बोली, चन्द्र्सखी हँस यों उठ बोली लाला
लगो श्याम के अंग ॥ रंग में होरी ——-

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ब्रज में हरि होरी मचाई

ब्रज में हरि होरी मचाई।
इत ते निकरीं सुघर राधिका, उत ते कुँवर कन्हाई
खेलत फाग परस्पर हिल-मिल, शोभा बरनी न जाई
घर-घर बजत बधाई, ब्रज में हरि होरी मचाई।

बाजत ताल मृदंग झांझ डफ, मंजीरा शहनाई
उड़त गुलाल, लाल भए बादल, केसरकीच मचाई
मानो इंदर झड़ी लगाई, ब्रज में हरि होरी मचाई।

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रंगीलो रंग डार गयो

डार गयो री, डार गयो री, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
तान दई मम तन पिचकारी,

फ़ट्यो कंचुकी चीर, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
चूनर बिगर गई जरतारी,

कसकत दृगन अबीर, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
जैसे-तैसे इन अँखियन से,

धोय तो डारो अबीर, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
मृदु मुसकाय कान्ह नैनन के,

मारत तीर गंभीर, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
डार गयो री, डार गयो री, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।

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अरी पकडौ री ब्रजनार

अरी पकडौ री ब्रजनार, कन्हैया होरी खेलन आयो है,
होरी खेलन आयो है, होरी खेलन आयो है, अरी पकडौ री ——-

संग में हैं उत्पाती बाल,

ऐंठ के चले अदा की चाल,
हाथ पिचकारी फेंट गुलाल

कमोरी, कमोरी रंगन की भर लायो है, अरी पकडौ री ——–
डारो मुख ऊपर रंग आज,

एक भी सखा जाय नहीं भाज,
लाज को होरी में क्या काज,

बड़े भागन से, बड़े भागन से फागुन आयो है, अरी पकडौ री ———
दई आज्ञा वृषभानु-दुलारी,

सब मिल पकड़ो कृष्ण मुरारी,
सखिन सब हल्ला खूब मचायो है, अरी पकडौ री ——–

पीताम्बर मुरली लई छिनाय,

श्याम को गोपी भेस बनाय,
राधा-रानी मन्द-मन्द मुसकाय,

श्याम को घूँघट मार नचायो है, अरी पकडौ री ———
पन्ने के आरम्भ में जाएँ

रंग बाँको साँवरिया डार गयो
रंग बाँको साँवरिया डार गयो री,

डार गयो री, रंग डार गयो री,
रंग बाँको साँवरिया डार गयो री।

सारी सुरंग रंग जरतारी,
हो भर पिचकारी, मार गयो री

हो मोपे भर पिचकारी, मार गयो री
रंग बाँको साँवरिया —— ॥

बइयाँ पकर मोहे झकझोरी
हो झटक चुनरिया फार गयो री

ओ मेरी, झटक चुनरिया फार गयो री
रंग बाँको साँवरिया डार गयो री ॥

दृगन अबीर गुलाल गाल मल
हँस-हँस सैन चलाय गयो री

ओ वो तो, हँस-हँस सैन चलाय गयो री
रंग बाँको साँवरिया डार गयो री ॥

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होली खेलन पधारे नन्दलाल

होली खेलन पधारे नन्दलाल, सखी री बरसाने में,
बरसे-बरसे रे केसर गुलाल, सखी री बरसाने में।

ग्वालन की टोली बरसाने आई,
पीछे-पीछे गोप चले, आगे कन्हाई,

आए उड़ाते गुलाल, सखी री —–
चंग बजावें जी धूम मचावें,

राधा से पहले हमको रिझावें,
ये तो फागुन का दीखे कमाल, सखी री —–

श्यामा सों श्याम जी खेलेंगे होरी,
बरसाने में कोई बचेगी न कोरी,
सब गोपियाँ होवें निहाल, सखी री —–

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ब्रज में हरी फाग मचायो

ब्रज में हरी फाग मचायो री, ब्रज में हरी।
चहुँ ओर नाचे कृष्ण मुरारी,

भाजीं ब्रजनारी भर पिचकारी,
कीचम-कीच मचायो, ब्रज में हरी।

नीली-पीली ओढ़ चुनरिया,
पनघट पे मिल गईं गुजरिया,

भर गागर छलकायो री, ब्रज में हरी।
कहीं बाजें ढोलक झाँझ मँजीरा,

रंग उड़े कहीं उड़े अबीरा,
सब दिसि आनन्द छायो री, ब्रज में हरी।

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होली मोसे खेलो न श्याम बिहारी

होली मोसे खेलो न श्याम बिहारी;
मैं तो पिया की प्यारी दुलारी।
सगरी चूनर रंग में न बोरो,
इतनी अरज हमारी, हमारी
इतनी अरज हमारी ॥ होली मोसे खेलो न —–

सास सुनेगी मोहे आने न देगी,
ननद लड़ेगी मोसे न्यारी, न्यारी
ननद लड़ेगी मोसे न्यारी ॥
होली मोसे खेलो न —–

तुम तो लंगर नेक नहीं जानो,
आखिर जात अनाड़ी, अनारी
आखिर जात अनारी ॥
होली मोसे खेलो न —–

हाथ जोड़ के पइयाँ परूँ मैं,
जाने दो हमको मुरारी, मुरारी
जाने दो हम को मुरारी ॥ होली मोसे खेलो न —–

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बरसै केसरिया रंग आज

बरसै केसरिया रंग आज बरसाने में।
खेलें श्याम राधिका होरी, संग सखा-सखियाँ की टोली,

छायो फगवा रंग आज बरसाने में ॥ बरसै केसरिया ——–
रंग अबीर भरे हैं झोरी, छेड़-छाड़ और हथ-हिचकोरी,

नाचें राधा संग श्याम बरसाने में ॥ बरसै केसरिया ——–
जमुना जल है लेत हिलोरें, ग्वाल-बाल सब नाचत डोलें,
मुदित यशोदा-नन्द आज बरसाने में ॥ बरसै केसरिया ——–

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होली खेलन को आए
होली खेलन को आए हैं नवल रसिया, होली खेलन को।
रंग-बिरंगे भेस हमारे, रंग मँगाए घोल,
बरसाने की बजे डफलिया, नन्द गाँव के ढ़ोल,

बजाए रसिया, बजाए रसिया, होली खेलन को।
चोवा चन्दन केसर कुमकुम, भर-भर थाल सजाए,

ओ बरसाने वाली गुजरी, काहे ढेर लगाए,
बुलाए रसिया, बुलाए रसिया, होली खेलन को।

बच के रहे न कोई हम से, चाहे चढ़े अटारी,
डारो-डारो रे रंग डारो, नर होवे या नारी,
रंग छाए रसिया, रंग छाए रसिया, होली खेलन को।

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आई-आई रे होली
आई-आई रे होली, खेलो फाग बीच बरसाने में।
पीली-पीली गुरनारी / रंग भर पिचकारी / देखो मुख पे है मारी / भीगी अंगिया है सारी
आई-आई रे ——–

मुख मलो है गुलाल / नाचें दै-दै के ताल / भीज गए नंदलाल / हँसैँ सारे गोपी-ग्वाल
आई-आई रे ——–

नहीं करत ठिठोली / खा के भाँग की गोली / हम मस्तों की टोली / आज खेले नई होली
आई-आई रे ——–

(बाँके बिहारी ने भर पिचकारी, आज मेरी ओर मारी, मोरी भीज गई सारी,
मेरी चुनरी बिगारी, सास देगी मोहे गारी, कहाँ-से आई दइमारी, मैं तो लाज की मारी

घर कैसे मैं जाऊँ, कछु समझ न पाऊँ, सखी रंग लै के आऊँ
ऐसी होरी खिलाऊँ, या के पीछे पड़ जाऊँ, कारे से गोरो बनाऊँ।)

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मोरी अँखियाँ कर दईं लाल
मोरी अँखियाँ कर दईं लाल, नन्द के छलबलिया।
बरसाने के हम हैं बाबा, खेलन निकरीं फाग,

कौन गाँव के तुम हो बाबा, कौन पिता कौन मात,
कौन है जात रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ———

नन्द गाँव के हम हैं बाबा, जसुदा हमरी मात,
राधा जी के हम हैं रसिया, रसिक हमारी जात,

नन्द बाबा हैं तात रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ———
चोट बुरी है, बहुत बुरी है, नैनन की नन्द लाल,

फागुन में मोहे घायल करके, पीछे मल्यो गुलाल,
अरे ओ मनबसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ———–

बरस मास में फागुन आयो, मत कर गोरी मान,
प्रेम-प्रीत का रंग लगा ले, कर दे सबन निहाल,

रँगीला फाग रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ———-
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होरी मैं खेलूँगी उन संग
जो पिया आवेंगे ब्रज में पलट के,
होरी मैं खेलूँगी उन संग डट के ॥
जो पिया आवेंगे —–

जो पिया मोसे रार करेंगे,
तो गारी मैं देऊँगी घुँघटा पलट के ॥
जो पिया आवेंगे —–

एक-एक पिचकरा ऐसो दे मारूँ,
कुँवर कन्हाई के नैनों में खटके ॥
जो पिया आवेंगे —–

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कन्हैया घर चलो गुँइया
कन्हैया घर चलो गुँइया, आज खेलें होली कन्हैया घर।
अपने-अपने भवन से निकरीं, कोई सांवल कोई गोरी,
एक-से-एक जबर मदमाती, सोलह बरस की छोरी,
कन्हैया घर —–

बंसी बजावत, मन को लुभावत, ऐसो मंत्र पढ़ो री,
सास-ननद से चोरी-चोरी, निकर पड़ीं सब गोरी, कन्हैया घर ——
कोई लचकत कोई मटकत आवत, कोई छुप-छुप चोरी-चोरी,
कोई चपला सी चपल चाल, कोई झिझकत बदन मरोरी,
कन्हैया घर ——–

अबिर गुलाल अगर और चन्दन, केसर भर पिचकारी,
श्यामसुंदर संग होरी खेलें, होना हो सो हो री।
कन्हैया घर ——–

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होरी खेलें रघुबीरा अवध में

होरी खेलें रघुबीरा अवध में होरी खेलें रघुबीरा,
भई महलन में भीरा, अवध में होरी खेलें रघुबीरा।
कौन के हाथ कनक पिचकारी,
कौन के हाथ अबीरा, अबीरा, होरी खेलें रघुबीरा।

राम के हाथ कनक पिचकारी,
लछमन हाथ अबीरा, अबीरा, होरी खेलें रघुबीरा।

कौन के हाथ है चंग झाँझ ढप,
कौन के हाथ मँजीरा, मँजीरा, होरी खेलें रघुबीरा।

भरत के हाथ है चंग झाँझ ढप,
शत्रुघन हाथ मँजीरा, मँजीरा, होरी खेलें रघुबीरा।

कौन की भीजे सतरंग चूनर,
कौन को भीजे सरीरा, सरीरा, होरी खेलें रघुबीरा।
सिया की भीजे सतरंग चूनर,
सखियन को भीजे सरीरा, सरीरा, होरी खेलें रघुबीरा।

भीजेगी मोरी चुनरी
भीजेगी मोरी चुनरी, मत रंग डारौ।
टीका के संग-संग, बिंदिया भीजै,
भीजेगी नाक-बेसर, मत रंग डारौ।
झुमकों के संग-संग, लटकन भीजै,
भीजेगी मोरी हँसुली, मत रंग डारौ।
कंगन के संग-संग, चुरियाँ भीजै,
भीजेगी मोरी मुँदरी, मत रंग डारौ।

लहँगा के संग-संग, चोली भीजै,
भीजेगी मोरी चुनरी, मत रंग डारौ।

तगरी के संग-संग, गुच्छा भीजै,
भीजेगी मोरी तिलरी, मत रंग डारौ।

अनवट के संग-संग, बिछिया भीजै,
भीजेगी मोरी पायल, मत रंग डारौ।

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जमुना तट श्याम खेलत होरी

जमुना तट श्याम खेलत होरी, जमुना तट।
केसर कुमकुम कुसुम सजावत
ग्वाल पुकारत, होरी है होरी, जमुना तट।
खेलन आयो होरी बरजोरी,
अबीर गुलाल लिए झोरी, जमुना तट।

अबीर गुलाल मल्यो मुख मोरे,
पकरि बाँह मोरी झकझोरी, जमुना तट।
दौड़ि दौड़ि पिचकारी चलावत,
कर दीनी मोहे सरबोरी, जमुना तट।
जमुना तट श्याम, खेलत होरी, जमुना तट।

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चैत महिनवा पिया परदेस में

चैत महिनवा पिया परदेस में,
जियरा में हूक उठे मोरे रामा, चैत महिनवा।
को बिन सूनी लागे, अंबुआ की डारी,
को बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।

कोयल बिन सूनी, अंबुआ की डारी,
पी बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
को बिन सूनो लागे, गेंदा को फुलवा,
को बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
भौंरा बिन सूनो, गेंदा को फुलवा,
पी बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।

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टेसू रंग राम खेलत होरी

टेसू रंग राम खेलत होरी, टेसू रंग।
कौन तो पहिने पियरो पीताम्बर, कौन तो

ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
पहिने चीर चुनरी, टेसू रंग ॥
टेसू रंग राम —–

राम जी तो पहिनैं पियरो पीताम्बर, राम जी तो
ए जी सीता जी तो, ए जी सीता जी तो

पहिनैं चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
कौन के हाथ चन्दन पिचकारी, कौन के

ए जी कौन के, ए जी कौन के,
हाथ गुलाल झोरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–

राम जी के हाथ चन्दन पिचकारी, राम जी के
ए जी सीता जी के, ए जी सीता जी के

हाथ गुलाल झोरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
कौन तो न्हावै सरयू के घाट पे, कौन तो
ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
न्हावै आँगन देहरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–

राम जी तो न्हावैं सरयू के घाट पे, राम जी तो
ए जी सीता जी तो, ए जी सीता जी तो
न्हावैं आँगन देहरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–

कौन तो धोवै पियरो पीताम्बर, कौन तो
ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
धोवै चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–

सीता जी तो धोवैं पियरो पीताम्बर, सीता जी तो
ए जी राम जी तो, ए जी राम जी तो
धोवैं चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

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