Sunday, December 29, 2024
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दिल धड़कने दो (हिंदी ड्रामा )

दो टूक : रिश्तों की कोई तय परिभाषा नहीं होती। न ही वो आपके हिसाब से  चलते हैं।  हाँ, एक बात आपके बस में है और वो है जैसे वो आपको ले जाएँ आपको चलना होगा।  लेकिन रिश्तों की ईमानदारी इतनी जरूर होती है कि अगर आप उन्हें बुलाना चाहे तो वो लौटने की कोशिश जरूर करते हैं।  ये बात अलग है कि तब तक शायद उनकी प्राथमिकताएं बदल चुकी हों।  निर्देशक जोया अख्तर की अनिल कपूर, शेफाली शाह, प्रियंका चोपड़ा, रणवीर सिंह और अनुष्का शर्मा के अभिनय वाली फिल्म  दिल धड़कने दो भी  एक परिवार के रिश्तों की कहानी के बहाने यही बयां  करने की कोशिश करती है।

कहानी : फिल्म की  कहानी कमल मेहरा (अनिल कपूर) और उसके परिवार  की है।  कमल अपनी कंपनी के घाटे को संभालने और और बिखरे परिवार  को समेटने की तैयारी को लेकर अपनी शादी की तीसवीं सालगिरह एक क्रूज पर अपनी शादी की 30वीं सालगिरह मनाने की योजना बनाता है। इसमें वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाता है। क्रूज  का इंतजाम उनकी बेटी आयशा ( प्रियंका चोपड़ा ) ने किया है।  

कमल चाहता है कि उसका बेटा कबीर (रणवीर सिंह) एक अमीर उद्योगपति ललित सूद की बेटी नूरी से शादी कर ले ताकि ललित उसकी कंपनी को आर्थिक सहायता देकर उबार ले। कमल की बेटी आयशा (प्रियंका चोपड़ा) अपने पति मानव (राहुल बोस) से अलग होना चाहती है। आयशा एक सफल बिजनेस वीमेन है.  लेकिन कबीर के पिता चाहते हैं कि आयशा के बजाय उनका बेटा कबीर उनकी कंपनी को आगे बढ़ाए जबकि कबीर इसके लायक नहीं है। मेहरा परिवार के आपसी संबंध भी ठीक नहीं है। कमल और उसकी पत्नी नीलम (शैफाली शाह) सिर्फ रहने के लिए साथ हैं। लेकिन सफर में फराह अली (अनुष्का शर्मा) को कबीर दिल दे बैठता है और इस रिश्ते के बारे में सुन कर मेहरा परिवार में खलबली मच जाती है। क्रूज पर मेहरा के मैनेजर के बेटे सनी (फरहान अख्तर) भी है जिसे आयशा चाहती थी और इस वजह से कमल मेहरा ने सनी को पढ़ने के लिए अमेरिका भेज दिया था। सब इकट्ठा होते हैं और परिस्थितियां मोड़ लेती हैं तो कुछ गुंजल भी सुलझने लगते हैं। रिश्तों एक ऐसे ही गुंजलों को सुलझाने की कहानी है दिल धड़कने दो।

गीत संगीत : फिल्म में जावेद अख्तर ने गीत लिखे हैं और संगीत शंकर अहसान लॉए का है।  लेकिन गल्ला गुड़ियाँ और शीर्षक गीत ही ऐसा है जिसे याद रखा जा सकता है। वो भी वो ही पंक्तियाँ जो सुखविंदर ने गायी हैं।

अभिनय : फिल्म के केंद्र में अनिल कपूर हैं जो कहीं चालाक और कहीं बेहद  भावनात्मक पात्र के रूप में झकझोरते हैं। इस फिल्म में रणवीर सिंह और प्रियंका चोपड़ा का बेहतर इस्तेमाल हुआ है। प्रियंका चोपड़ा सक्षम अभिनेत्री हैं। रणवीर सिंह मेहनत करते हैं पर फरहान अख्तर और अनुष्का शर्मा की भूमिकाएं कुछ और बढ़ाई जा सकती थी। शेफाली निराश नहीं करती पर नया कुछ नहीं करती।  राहुल बॉस के साथ जरीना वहाब , रीदिमा सूद , विक्रांत मेस्सी और परमीत सेठी भी ठीक हैं पर सबसे जयदा कमाल है प्लूटो मेहरा नाम का वो कुत्ता जो आमिर खान की आवाज़ में कहानी सुनाता है।

निर्देशन : दरअसल  जोया अख्तर और रीमा कागती द्वारा लिखी गई कहानी कुछ अलग नहीं है।  पर इस कहानी में हाई प्रोफाइल सोसायटी, क्रूज, समुंदर, महंगी शराब, डिजाइनर कपडे , अंग्रेजी बोलते लोग और फाइव स्टार लाइफस्टाइल के जरिये एक ऐसे समाज और दुनिया के रिश्तों को टटोलने की कोशिश की कोशिश करती है। ये ऐसे लोग और चेहरे हैं जो बातों में ख़ुशी लेकिन अंदर टूटन का अहसास लिए रहते हैं पर चुप रहते हुए बिखरते जाते हैं। इस समुंद्री  यात्रा में जोया  तुर्की, स्पेन, ट्यूनिशिया और इटली के बंदरगाहों से गुजरते अपने पात्रों और चरित्रों के  बाहर और भीतर की यात्रा के साथ कुछ  अमीर परिवारों की विसंगतियों, ग्रंथियों और प्रेम प्रसंगों के जरिये अपनी बात कहती हैं. हालांकि फिल्म की गति कुछ सुस्त है और फिल्म का व्याकरण भी अपने कथ्य से कुछ छिटका हुआ है।  पात्रों के बहुलता भी उसे सुस्त करती है क्योंकि उनका परिचय और व्याकरण बहुत लम्बा है।  पर निर्देशक के रूप में जोया बहुत निराश नहीं करती। 

फिल्म क्यों देखें :  रिश्तों पर बनी एक अच्छी फिल्म है
फिल्म क्यों न देखे : नहीं ऐसा मैं नहीं कहूंगा.
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