प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य पक्षकार शिवकुमार पाठक को प्रशिक्षण में अनुपस्थित रहना महंगा पड़ गया। प्रशिक्षण में 12 दिन अनुपस्थित रहने के आरोप में बीएसए ने शिवकुमार पाठक की प्रशिक्षु शिक्षक तैनाती आदेश निरस्त करते हुए उसे प्रशिक्षण से विरत कर दिया है।
शिवकुमार पाठक वही याचिकाकर्ता हैं जिनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों, जजों और मंत्रियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने का निर्देश दिया था। हालांकि इस मामले में याचिका करने वाले शिवकुमार अकेले नहीं थे। हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसी कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आया है।
सुल्तानपुर जिले के लंभुआ तहसील निवासी शिव कुमार पाठक टीईटी संघर्ष मोर्चा बनाकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिका में मुख्य पक्षकार हैं।
शासन से शुरू हुई प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में उन्हें लंभुआ ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय पांडेयपुर में नियुक्ति मिली। उसका सैद्घांतिक प्रशिक्षण बीआरसी लंभुआ पर चल रहा है।
कोर्ट केस में सुनवाई के दौरान उसे प्रशिक्षण से छुट्टी लेनी पड़ती थी। बीएसए ने प्रशिक्षु शिक्षक शिवकुमार पाठक को सैद्घांतिक प्रशिक्षण में अनुपस्थित रहने के कारण उसका नियुक्ति आदेश निरस्त कर दिया है।
बीएसए रमेश यादव ने बताया कि बीईओ की रिपोर्ट के मुताबिक शिवकुमार पाठक सैद्घांतिक प्रशिक्षण से नियम विरुद्घ 12 दिवस अनुपस्थित पाया गया है। जिसकी वजह से उसे परीक्षा से वंचित कर दिया गया है।
बीएसए ने बताया कि प्रशिक्षण में अस्वस्थता के अलावा किसी तरह की छुट्टी मान्य नहीं है। इसलिए पाठक के तैनाती के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए प्रशिक्षण से विरत कर दिया गया है।
शिवकुमार पाठक का कहना है कि उन्हें इस नौकरी से सिर्फ इसलिए बर्खास्त किया गया है क्योंकि उन्होंने एक नहीं कई जनहित याचिकाएं दायर की थीं। उनका कहना है कि बीएसए उनसे इस बात से हमेशा खिन्न रहते हैं कि वह ऐसी याचिकाओं की पैरवी कर रहे हैं।
शिवकुमार पाठक का कहना है कि वह जब भी किसी काम से गए हैं और उन्होंने विद्यालय से इसके लिए लिखित अनुमति ली है। और उन्हें इस बात की लिखित अनुमति दी भी गई।
शिवकुमार कहते हैं वह मई, जुलाई और अगस्त की तीन तिथियों में प्रशिक्षण कार्य में उपस्थित नहीं रहे हैं और इसके लिए वह हमेशा स्कूल से अनुमति लेकर ही गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके सारे प्रमाण पत्र उनके पास मौजूद हैं। शिवकुमार कहते हैं कि यदि जरूरत पड़ी तो जल्द ही कोर्ट की शरण लूंगा।