दिवाली के त्योहारी सीजन पर चीन के सामानों के बहिष्कार के अभियान के चलते बने माहौल के कारण खुदरा व्यापारियों और थोक व्यापारियों के बीच चीन के सामान की मांग में पिछले साल के मुकाबले लगभग 45 फीसद की गिरावट आई है। उधर दूसरी तरफ लगभग 10 साल के बाद इस साल मिट्टी के बने सामानों की मांग में बढ़ोतरी का अनुमान है। चीनी सामान के प्रति उपभोक्ता का क्या रुख है इससे पर्दा तभी उठेगा जब लोग दिवाली की खरीद के लिए बाजार में आएंगे। कंफेडेरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से देश के 20 विभिन्न शहरों के व्यापारिक संगठनों से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की सोशल मीडिया पर चीनी सामान के बहिष्कार के अभियान और देश भक्ति के माहौल के कारण लोगों के बीच चीनी सामान न खरीदने की संभावनाओं का आंकलन करते हुए इस साल देश भर में खुदरा व्यापारी संभल कर स्टॉक बना रहे हैं। खास तौर पर चीनी सामान को बहुत ज्यादा न रखने का फैसला लिए हुए हैं। जिसके कारण इस साल खुदरा व्यापारियों की ओर से इंपोर्टर्स एवं थोक व्यापारियों से चीनी सामान खरीदने की मांग लगभग 45 फीसद घटी है। व्यापारियों का अनुमान है की क्योंकि पाकिस्तान इस विषय से जुड़ा है इस वजह से लोगों का चीनी सामानों के प्रति विरोध ज्यादा है।
सोशल मीडिया के जरिए भी यह अभियान घरों महिलाओं और बच्चों के बीच पहुंच गया है। त्योहारी खरीदारी में महिलाओं और बच्चों की बड़ी भूमिका होती है, इसलिए व्यापारी इस साल चीन का सामान अपनी दुकानों पर रखने से कतरा रहे है। कैट का मानना है की जिन थोक व्यापारियों ने काफी पहले चीनी सामान का आयात किया है उन्हें इस साल नुकसान की सूरत नजर आ रही है। चीनी सामान जिसमें पटाखे, बल्ब की लड़ियां, गिफ्ट का सामान, फर्निशिंग फैब्रिक, इलेक्ट्रिक फिटिंग, इलेक्ट्रॉनिक सामान, घरेलू सजावट का सामान, खिलौने, भगवान की तस्वीर एवं मूर्तियां आदि शामिल हैं जिन पर इस बहिष्कार का व्यापक असर पड़ेगा। इसे बड़ा अवसर मानते हुए कुम्हारों ने इस साल दिवाली त्यौहार के लिए मिट्टी के दिये एवं मिट्टी से बने अन्य सामान की तैयारी की है। खास तौर पर घर सजाने के लिए बनी कलात्मक वस्तुएं, रोशनी के लिए लटकाने वाली कंदीलें, दिवार पर लटकाने के लिए मिट्टी के बने भगवान आदि में बाजार में दिखाई दिए हैं। वहीं दूसरी ओर सिवाकाशी में बने पटाखे, मोमबत्तियों आदि के भी अच्छा व्यापार करने की सम्भावना है।
साभार- जनसत्ता से