जम्मू-कश्मीर राज्य से जुड़ा लगभग 13 हज़ार वर्ग किलोमीटर का स्वर्ग रूपी वह भूभाग जिसपर पाकिस्तान ने अपना अधिकार जमा रखा है उसे पाकिस्तान भले ही आज़ाद कश्मीर के नाम से क्यों न संबोधित करता हो परंतु दरअसल यह क्षेत्र भी भारतीय कश्मीर का ही एक हिस्सा है। कहने को तो पाक अधिकृत कश्मीर में स्थानीय स्वायत्तशासी सरकार काम करती है। परंतु वास्तव में इसका पूरा नियंत्रण इस्लामाबाद में ही रहता है। सर्वविदित है कि पाक अधिकृत कश्मीर व यहां की लगभग सत्तर लाख की जनसंख्या के विकास तथा इनके रोज़गार की िफक्र छोडक़र यही पाकिस्तान भारत स्थित कश्मीर के लोगों को भारत के विरुद्ध वरग़लाने में तथा उन्हें धर्म के नाम पर गुमराह कर उन्हें भी आज़ादी के दु:स्वपन दिखाने में मशगूल रहता है।
पाक अधिकृत कश्मीर की हकीकत कुछ ऐसी है जिसे सुनकर इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि वह पाक अधिकृत कश्मीर जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के चलते तथा स्थानीय लोगों के कला कौशल की वजह से पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने तथा इसी पर्यट्न उद्योग के बलबूते पर स्वयं को आत्मनिर्भर व मज़बूत बनाने की क्षमता रखता है वही पाक अधिकृत कश्मीर आज न केवल आतंकवादियों की पनाहगाह व आतंकियों के प्रशिक्षण केंद्रों की एक बड़ी कॉलोनी बन चुका है बल्कि स्थानीय कश्मीरियों की अनदेखी कर पाकिस्तान सरकार इस क्षेत्र में पाकिस्तान के ही मूल निवासियों को रोज़गार व स्थानीय नौकरियों में अवसर दिए जाने का काम कर रही है। ज़ाहिर है अपनी उपेक्षा होती देख स्थानीय कश्मीर वासी समय-समय पर पाकिस्तान द्वारा अपने साथ किए जा रहे इस सौतेले व्यवहार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं और पाकिस्तान की सेना व पाक के निर्देशों पर काम करने वाली स्थानीय पुलिस ने हमेशा ऐसे विरोध प्रदर्शनों को बर्बरतापूर्वक कुचलने का काम किया है।
गत् 13 अप्रैल को एक बार फिर पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ्फराबाद में जम्मू एंड कश्मीर नेशनल स्टूडेंटस फेडरेशन(जेकेएनएसएफ) तथा जम्मू एंड कश्मीर नेशनल अवामी पार्टी के संयुक्त तत्वावधान में एक पाकिस्तान विरोधी रैली निकाली गई। इस रैली में भाग ले रहे प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि स्थानीय युवाओं के साथ रोज़गार के विषय पर भेदभाव बरता जा रहा है। उनका कहना था कि इस्लामाबाद की ओर से पाकिस्तानी लोगों को यहां की स्थानीय नौकरी में तरजीह दी जा रही है जबकि स्थानीय युवकों को इन सेवाओं में कार्य करने का मौका नहीं दिया जा रहा है।
इन प्रर्दशनकारियों द्वारा न केवल पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए गए बल्कि कश्मीर को पाकिस्तान से आज़ाद कराए जाने की भी ज़बरदस्त मांग उठाई गई। प्रदर्शनकारियों के हाथों में जो तिख्तयां थीं उनपर कश्मीर की आज़ादी की मांग करने वाले तथा पाकिस्तान के ज़ुल्म व अत्याचार की कहानी सुनाने वाले नारे लिखे हुए थे। जिस विशाल बैनर को आगे लेकर यह प्रदर्शनकारी मुज़फ्फराबाद की सडक़ों पर मार्च निकाल रहे थे। उसपर लिखा हुआ था कि-‘कश्मीर बचाने निकले हैं, आओ हमारे साथ चलो’। जिस समय पाक अधिकृत कश्मीर की पाकिस्तान से दु:खी जनता मुज़फ्फराबाद की सडक़ों पर शांतिपूर्वक अपना विरोध प्रदर्शन कर विश्व के मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही थी उसी समय इस्लामाबाद के इशारे पर स्थानीय पुलिस ने इस विरोध प्रदर्शन व रैली को रोकने का प्रयास किया। और जब यह प्रदर्शनकारी अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक अपने मार्च को आगे बढ़ाते गए उस समय पुलिस ने उनपर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया जिसमें दर्जनों लोग ज़ख्मी हो गए।
ग़ौरतलब है कि जिस पाकिस्तान के इशारे पर पाक अधिकृत कश्मीर के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाई गईं और उन्हें पाकिस्तान विरोधी नारे लगाने से रोकने की कोशिश की गई वही पाकिस्तान भारतीय कश्मीर में पुलिस ज़्यादती तथा सेना के अत्याचार की दुहाई देता रहता है। और भारतीय कश्मीर की सच्ची-झूठी घटनाओं को धर्म व जेहाद जैसे शब्दों से जोडक़र इस क्षेत्र में अशांति का वातावरण पैदा करने की कोशिशें करता रहता है। पाकिस्तान इस वास्तविकता को भूल जाता है कि कहां तो पाक अधिकृत कश्मीर में स्थानीय लोग इस बात को लेकर दु:खी हैं कि उनकी उपेक्षा कर कश्मीर में पाकिस्तानी लोगों को नौकरियां क्यों दी जा रही हैं तो दूसरी ओर भारतीय कश्मीर के लाखों स्थायी निवासी पूरे भारत में न केवल उच्च पदों पर सरकारी सेवाओं का हिस्सा हैं बल्कि अभी चार वर्ष पूर्व इसी राज्य के एक नवयुवक शाह फैसल ने भारत की सर्वोच्च राजकीय सेवा समझी जाने वाली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान हासिल किया।
भारत सरकार द्वारा भारतीय कश्मीर के विकास के लिए बिजली,पानी,सडक़,रेलयातायात,स्थानीय उद्योग तथा खासतौर पर पर्यटन के क्षेत्र में जो कुछ किया जाता है वह कश्मीर के वह लोग जो इन सुविधाओं से लाभान्वित होते हैं, भलीभांति जानते हैं। परंतु पाकिस्तान को चूंकि भारतीय कश्मीर के लोगों की खुशहाली तथा इस क्षेत्र में अमन-शांति व भाईचारा रास नहीं आता इसलिए इस्लामाबाद में बैठे साजि़शकर्ता भारतीय कश्मीर में अपने गुर्गों के माध्यम से कभी पाकिस्तानी झंडे लहराकर तो कभी पाकिस्तानी झंडों के साथ ही विश्व के सबसे बदनाम आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के झंडे बुलंद करवाकर दुनिया को यह झूठा संदेश देने की कोशिश करते हैं कि भारतीय कश्मीर की अवाम पाकिस्तान के पक्ष में कश्मीर में जेहादी आंदोलन की पक्षधर है।
परंतु पिछले दिनों मुज़फ़्फ़राबाद में हुई पाक विरोधी रैली ने और उस रैली में शरीक होने वाले शांतिप्रिय प्रदर्शनकारियों पर ढाए गए पुलिसिया ज़ुल्म ने पाकिस्तान की हकीकत को सामने ला दिया है। इतना ही नहीं बल्कि पिछले ही दिनों भारतीय कश्मीर में खासतौर पर राजधानी श्रीनगर में जहां जुमे की नमाज़ के पश्चात पाकिस्तान के इशारे पर अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चंद समर्थक कभी पाकिस्तान का झंडा तो कभी आईएस का झंडा दिखाकर भारतीय सुरक्षाकर्मियों को चुनौती देने की कोशिश करते रहते हैं उसी श्रीनगर में जुमे की नमाज़ के बाद ही आईएस के तथाकथित जेहाद को चुनौती देने वाले पोस्टर लगे देखे गए। इन पोस्टरों में आईएसआईएस के हवाले से एक कमांडर यह कहता है कि-‘अल्लाह हमें इज़राईल के ख़िलाफ़ जेहाद का हुक्म नहीं देता’। तो इसी पोस्टर के नीचे आईएसआईएस की इस घोषणा पर यह सवाल किया गया है कि-‘तो फिर अल्लाह क्या मस्जिदों को धमाकों से उड़ाने का हुक्म देता है? कश्मीर घाटी में पहली बार पाकिस्तान व आईएस की विध्वंसात्मक नीतियों से दु:खी होकर स्थानीय युवकों द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध ऐसी आवाज़ बुलंद करने की कोशिश की गई है। वैसे भी स्थानीय पुलिस अधिकारियों के अनुसार कश्मीर घाटी में आईएस व पाकिस्तान के झंडे दिखाने के पीछे स्थानीय आम लोगों की कोई मंशा नहीं होती। बल्कि यह काम केवल दस-बारह शरारती युवकों द्वारा ही किया जाता है। इसका मकसद अपने दुष्प्रचार के द्वारा सुरक्षा बलों को उकसाना तथा पूरी दुनिया को गुमराह करना मात्र है।
भारतीय कश्मीर के लोगों को तथा भारत सरकार व जम्मू-कश्मीर सरकार को पाक अधिकृत कश्मीर तथा भारतीय कश्मीर में पाकिस्तान व आतंकवाद के विरुद्ध पनपने वाले इस ताज़ातरीन आक्रोश पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है। जहां भारतीय कश्मीर में उन विध्वंसकारी शक्तियों को बेनकाब करने की ज़रूरत है जो पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीर में अशांति फैलाने व आईएस व पाकिस्तान के झंडे लहराकर दुनिया को गलत संदेश देने के प्रयास किया करते हैं वहीं ज़रूरत इस बात की भी है कि पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों के अधिकारों की रक्षा हेतु उनके साथ सहयोग किया जाए। उन्हें पाकिस्तान की साजि़श का शिकार होने से बचाया जाए,उनकी प्रत्येक वाजिब मांग के लिए उनका सहयोग किया जाए। इसमें कोई शक नहीं कि पाक अधिकृत कश्मीर के स्थानीय निवासी स्वयं को पाकिस्तान के साथ रखना बिल्कुल पसंद नहीं करते। इसके बजाए वे भारतीय कश्मीर के साथ रहना ज़्यादा मुनासिब व अपने लिए लाभकारी व हितकारी समझते हैं।
श्रीनगर व मुज़फ्फराबाद के बीच शुरु की गई बस सेवा की सफलता से भी यही साबित होता है। लिहाज़ा चूंकि पाक अधिकृत कश्मीर को आज़ाद कश्मीर के नाम से पुकारे जाने का पाकिस्तानी ढोंग एक बार फिर उजागर हो चुका है। और तथाकथित आज़ाद कश्मीर के लोग पाकिस्तान से स्वयं को मुक्त व स्वतंत्र कराए जाने की मांग के साथ सडक़ों पर उतर आए हैं। लिहाज़ा ऐसे अवसर पर भारत सरकार का इस विषय में दिलचस्पी लेना बेहद ज़रूरी है।