कई सो साल पहले एक रानी के ख्वाब का आइना किशोर सागर के बीच बना जगमंदिर आने वाले एक – दो माह में ही अपने निखरे स्वरूप से कोटा वासियों और आने वाले पर्यटकों को लुभाएगा। शहर में हेरिटेज संरक्षण के अनेक कार्यों में जग मन्दिर के जीर्णोद्धार और नवीनीकरण के कार्य में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की गहन रुचि की वजह से नगर विकास न्यास के द्वारा करीब 60 लाख रुपए की लागत से जगमंदिर के रिनोवेशन और कंजर्वेशन के कार्य के साथ तालाब के चारों ओर लगी रेलिंग ,दीवार पर आकर्षक कलर वही अंदर वाले सिरे में भी दीवारों पर रंग रोगन करके कोटा के इस ऐतिहासिक स्थल को प्राचीन वैभव लौटाया जा रहा है।
नगर विकास न्यास के सचिव राजेश जोशी के मुताबिक ऐतिहासिक जग मंदिर परिसर के पिल्लर, छतरियां में टूट-फूट की मरम्मत के साथ ऊपरी हिस्से में साफ सफाई, पॉलिश कार्य के साथ खमीरा ,लाइन प्लास्टर, लाइन कड़ा, इमारत पर कलर स्टेप वर्क के कार्य किए जा रहे हैं यहां की स्थापत्य कलाकृतियां और चित्रकारी जिस शैली में स्थापित हैं उनको आकर्षक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कारीगर अपनी पूर्ण कुशलता के साथ जुटे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी दस साल पहले करीब 50 लाख रुपए से आर यू आई डी पी योजना के अंतर्गत इस इमारत का सौंदर्यकरण किया गया था।
तालाब के मध्य खूबसूरत जग मन्दिर कोटा राज्य के शासक महाराव दुर्जनशाल सिंह की महारानी ब्रजकंवर बाई के ख्वाब का आईना है।
महारानी प्रकृति प्रेमी थी और उनके आग्रह पर महाराव ने छत्र विलास उद्यान में आकर्षक बृज विलास महल और झीलों नगरी उदयपुर की याद को ताज़ा करते हुए किशोर सागर के बीच इस सुंदर इमारत जग मन्दिर का निर्माण कराया था। महारानी ब्रजकंवर मेंवाड़ के महाराणा सांगा द्वितीय की पुत्री और जगतसिंह द्वितीय की बहिन थीं। महाराव दुर्जनशाल सिंह कोटा से सन् 1734 में इनका विवाह हुआ था।
जग मंदिर दो मंजिला इमारत है जिसमें ऊपर बारहदरी बनी है। इमारत में सुन्दर छोटा सा बगीचा है और परिसर के चारों कोनों पर सुन्दर झरोखे बने हैं। खूबसूरत जगमंदिर 18 वीं शताब्दी के राजपूत स्थापत्य शिल्प कला का नायाब नभूना है। हेरिटेज संरक्षण से यह इमारत फिर से पर्यटकों का आकर्षण बन जाएगी।
(लेखक पर्टयन व पुरातात्विक विषयों पर लिखते हैं)